मध्यप्रदेश में प्रोत्साहन राशि ही नहीं लुभा पा रही पुरुषों को

 प्रोत्साहन राशि
  •  साल भर में महज एक दर्जन लोग ही नसबंदी कराने आए आगे …

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भारतीय समाज में भले ही महिलाओं को पुरुषों से कमजोर माना जाता हो, लेकिन कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें महिलाएं अपना झंडा बुलद कर रही हैं। इनमें सामाजिक से लेकर पारिवारिक मामले तक शामिल हैं। खास बात यह है की नसबंदी जैसे अति संवेदनशील माने जाने वाले मामले में भी महिलाएं पुरुषों पर बेहद भारी हैं।
दरअसल सीमित परिवार रखने के लिए महिलाएं ही नसबंदी कराने में आगे रह रही हैं। अगर भोपाल जिले के एक साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए ,तो जिले में कुल 755 नसबंदी की गई हैं, जिनमें 743 महिलाओं ने नसबंदी कराई, तो पुरुष नसबंदी का आंकड़ा महज एक दर्जन तक ही सीमित रह गया है। यह हाल तब है जबकि सरकार ने नसबंदी कराने पर पुरुषों की मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में न केवल वृद्धि की हुई है, बल्कि उनमें जागरुकता के लिए अभियान भी चला रखा है, पर इसका भी पुरुषों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है।
अगर इसी अवधि में प्रदेशभर के नसंबदी आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 1750 नसबंदी की गईं हैं, जिनमें से महज आठ फीसदी यानी 139 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है। खास  बात यह है की इस मामले में समाज ही नहीं सरकार खुद भेदभाव करती है। दरअसल सरकार ने जिले में महिला नसबंदी के लिए 12397 का लक्ष्य तय किया  हुआ है जबकि पुरुषों के लिए सिर्फ 600 का लक्ष्य तय किया हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि बीते दस सालों के ट्रेंड को देखकर महिला और पुरुष नसबंदी के लक्ष्य तय किए जाते हैं।
बढ़ रहे नसबंदी फेल होने के मामले
दरअसल बढ़ती जनसंख्या के पीछे की एक वजह नसबंदी को फेल होना भी बड़ा कारण है। शहर और प्रदेश में नसबंदी फेल होने के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। 2018 में प्रदेश में 1745 नसबंदी फेल हुई तो 2019 में आंकड़ा 1883 पर पहुंच गया। 2021 में प्रदेश में नसबंदी फेल होने के 1897 मामले सामने आए हैं। इनमें भोपाल जिले के भी 19 मामले शामिल हैं।
आठ सौ रुपए की वृद्धि
पुरुषों में नसबंदी के प्रति जागरुकता बढ़ाने और उन्हें दी जाने वाली राशि में सरकार ने आठ सौ रुपए की वृद्धि की है। इसकी वजह से अब यह राशि 2200 की जगह 3000 हजार रुपए की जस चुकी है। महिलाओं को पहले से ही प्रोत्साहन राशि के रूप में तीन हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रजनन दर में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह है पुरुषों का असहयोगी रवैया है। पुरुषों के मन में अब भी कमजोरी जैसी भ्रांतियां बनी हुई हैं। साथ ही कई अन्य प्रकार की भ्रांतियों के चलते भी पुरुष नसंबदी नहीं करवाते हैं। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की नसबंदी मुश्किल होती है। महिला की ज्यादा उम्र होने पर उन्हें कई प्रकार की दिक्कतें आती हैं।

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