10 फीसदी स्टाफ के भरोसे मेडिकल यूनिवर्सिटी

 मेडिकल यूनिवर्सिटी

 600 कॉलेजों की निगरानी 33 नियमित अधिकारी-कर्मचारी पर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। हमेशा विवादों में रहने वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी में लगभग हर स्तर पर लापरवाही सामने आती रहती है। इसको लेकर यूनिवर्सिटी पर तरह-तरह के आरोप लगते रहते हैं। लेकिन इसकी असली वजह यह है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है। जानकारी के अनुसार मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए स्टाफ का जो कैडर तय किया गया है उसमें से मात्र 10 फीसदी स्टाफ ही पदस्थ हैं। हैरानी की बात यह है कि 600 कॉलेजों की निगरानी का जिम्मा मात्र 33 नियमित अधिकारियों-कर्मचारियों के पास है।
गौरतलब है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के तहत 600 मेडिकल कॉलेज हैं। प्रदेश के 600 कालेजों की निगरानी व परीक्षा का भार उठाने वाले मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में पर्याप्त नियमिति अधिकारी-कर्मचारी नहीं हैं। इनमें भी अधिकारियों की पूरी टीम प्रतिनियुक्ति पर है। वर्ष 2011 में स्थापित विश्वविद्यालय को लगभग 10 वर्ष बाद इस साल आठ नियमित कर्मचारी मिले हैं, फिर भी अभी लगभग 90 प्रतिशत पद रिक्त हैं।
लंबे समय से मानव संसाधन की कमी विश्वविद्यालय की व्यवस्थाओं के बेहतर संचालन की राह में बाधा बनी हुई है। स्थाई कर्मचारियों के नहीं होने से विश्वविद्यालय को संवेदनशील कार्य भी ठेका पर कराने के लिए विवश होना पड़ रहा है। जबकि ठेका कर्मियों पर सीधा उत्तरदायित्व तय नहीं होता है। अधिकारी विश्वविद्यालय स्तर पर सीधी भर्ती से बचते रहे हैं।
प्रशासकीय अधिकारी ही नहीं
मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की बदहाल स्थिति का आंकलन इसी से किया जा सकता है कि विश्वविद्यालय में कोई प्रशासकीय अधिकारी ही नहीं है। जबकि इसके लिए तीन पद स्वीकृत हैं। इसी तरह उपकुलसचिव के 77 पदों में से 5 ही भरे है। सहायक कुलसचिव के 19 पदों पर 3, निज सचिव 6, अनुभाग अधिकारी के 12, सहायक वर्ग-1 के 12 पद पूरी तरह खाली हैं। वहीं सहायक वर्ग-2 के 22 पदों में से 1, सहायक वर्ग-3 के 48 पदों में से 20 पद भरे हैं। वहीं चतुर्थ श्रेणी के सभी 52 पद खाली हैं। उपरोक्त में पदोन्नति व प्रतिनियुक्ति के पद भी शामिल हैं। आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में 275 पद स्वीकृत हैं। 14 पद पर अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर हैं। 19 लिपकीय पद पर स्थाई नियुक्तियां है। 242 कुल पद अभी संस्थान में रिक्त हैं। विश्वविद्यालय में कुलगुरु, कुलसचिव सहित अधिकारियों के कुल 48 स्वीकृत पद सृजित हैं। इन समस्त पदों पर प्रतिनियुक्ति से पदस्थापना का प्रविधान है। वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर मात्र 12 अधिकारी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। कई प्रमुख पदों पर संस्थान की स्थापना के बाद अभी तक कभी अधिकारियों की पदस्थापना नहीं हुई है।
लिपिकीय पदों पर मात्र 19 कर्मचारी कार्यरत
विश्वविद्यालय में लिपिकीय संवर्ग के संबंधित 125 पद स्वीकृत हैं। इनमें लगभग आधे पद सीधी भर्ती और शेष रिक्त पद पदोन्नति या प्रतिनियुक्ति से भरे जाने हैं। लिपिकीय पदों पर अभी मात्र 19 कर्मचारी कार्यरत हैं। लिपिकों की भारी कमी के कारण विश्वविद्यालय को कामकाज के लिए ठेका कर्मचारियों का सहारा लेना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय ने स्थापना के बाद पहली बार लिपिकीय पदों पर भर्ती के लिए व्यापमं के माध्यम से प्रक्रिया शुरू की। इनमें चयनित आठ कर्मचारी अभी तक पदस्थ हुए हैं। इसी प्रक्रिया में चयनित 15 प्रतिभागियों को इस माह के अंत तक का समय नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है। उपकुलसचिव के रिक्त दो और सहायक कुलसचिव के रिक्त 16 पदों पर प्रतिनियुक्ति के लिए 20 जुलाई तक पात्र शिक्षक व अधिकारी से आवेदन मांगे हैं। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अशोक खंडेलवाल का कहना है कि विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के पद रिक्त पदों पर पीईबी के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति प्रदान की गई है। व्यवस्थाएं पूर्व से अच्छी हुई हैं। अधिकारियों के रिक्त पद पर प्रतिनियुक्ति के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

Related Articles