लोक निर्माण विभाग में सुरक्षा निधि घोटाला
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी की तरह लोक निर्माण विभाग में कोरोड़ों रुपए के सुरक्षा निधि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) घोटाले की स्थिति बन गई है। यानी पहले तो लोक निर्माण विभाग में अधिकारी ठकेदारों से वर्क आर्डर के लिए सुरक्षा निधि जमा करवाते थे और उसे वर्क आर्डर के साथ ही लौटा देते थे। विभाग में हुए इस घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपा गया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जांच शुरू होने से पहले ही करोड़ों रुपए के सिक्योरिटी डिपॉजिट घोटाले से जुड़ी करीब 200 मेजरमेंट बुक की 12 दफ्तर स्थित पीडब्ल्यूडी (ईएंडएम) आॅफिस से चोरी हो गई है।
जिस तरह चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया है, उससे यह चोरी भी सुनियोजित षड्यंत्र लग रही है। तथाकथित चोर लाखों रुपए के सामान के बजाय अलमारी से छांटकर सिर्फ घोटाले से जुड़ी मेजरमेंट बुक ही ले गए। खास बात यह है कि घोटाले का खुलासा होने के बाद आगे की कार्रवाई के लिए ईओडब्ल्यू को सौंपा जा चुका है। इसी घोटाले से जुड़ी 200 मेजरमेंट बुकों की रहस्यमयी चोरी हो गई है। ईओडब्ल्यू के डीजी अजय शर्मा का कहना है कि पीडब्ल्यूडी में सिक्योरिटी डिपॉजिट घोटाले संबंधी विभागीय जांच सहित फाइल आई है, जिसका परीक्षण करने के बाद एफआईआर दर्ज होगी। कब से शुरू हुआ, कौन-कौन शामिल हैं आदि की जांच होगी।
चार ठेकेदारों पर विशेष मेहरबानी
बीते दिनों दर्जनभर ठेकेदारों की करीब ढाई करोड़ रुपए की सिक्योरिटी डिपॉजिट इंजीनियर और बाबुओं ने अपने रिश्तेदार चार ठेकेदारों के खातों में ट्रांसफर कर दी। इसकी भनक नवंबर 2021 में लगने के बाद ठेकेदारों ने शिकायत की, जिसके बाद शुरू हुई जांच में एक करोड़ रुपए से ज्यादा हड़पने का खुलासा हो चुका है। इसके बाद यह मामला प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी नीरज मंडलोई ने ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया है। वहीं इसी मामले से जुड़ी करीब 200 मेजरमेंट बुक की तथाकथित चोरी की सूचना कार्यपालन यंत्री अरविंद चौहान ने टीटी नगर थाने में बीते सोमवार को दी, जिसके बाद पुलिस टीम ने मौके पर जांच की। हालांकि इस मामले में टीटीनगर थाना प्रभारी चैन सिंह रघुवंशी का कहना है कि मौका मुआयना में चोरी होने की पुष्टि नहीं हुई है। दरवाजे, खिड़की सलामत हैं। ज्ञात हो कि टेंडर मंजूरी के बाद ठेकेदार से सिक्योरिटी डिपॉजिट विभाग जमा करवाता है। यह राशि ठेका कार्य पूर्ण होने के एक साल बाद ठेकेदार के आवेदन की जांच करके भुगतान आदेश जारी होता है। इस राशि को वास्तविक ठेकेदारों के बजाय सिर्फ चार चहेते ठेकेदारों के खाते में ट्रांसफर की गई, जिनमें सोनी इलेक्ट्रिकल्स, सागर एसोसिएट्स, विश्व इंफ्राटेक और पलाश इलेक्ट्रिकल्स हैं। इसकी विभागीय जांच के बाद तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री वीके मनवानी, संभागीय लेखाधिकारी एके पाठक, वरिष्ठ लेखा लिपिक उल्लास मजूमदार, कंप्यूटर ऑपरेटर गगन रजक दोषी को दोषी माना गया है।
नाराज ठेकेदारों किया खुलासा
इस मामले का खुलासा भी विभाग से नाराज चल रहे ठेकेदारों द्वारा ही किया गया है। दरअसल विभाग में कुछ ठेकेदारों की अफसरों से मिलकर मॉनोपाली चलाई जा रही है, जिसकी वजह से दूसरे ठेकेदारों को काम ही नहीं मिल पाता है। यही नहीं चहेते ठेकेदारों को छोड़ दिया जाए तो अन्य को काम मिल भी जाता है, तो उन्हें तरह -तरह से इतना प्रताड़ित किया जाता है कि वे बीच में ही काम छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं या फिर उनका भुगतान अटका दिया जाता है। इससे परेशान होकर कुछ ठेकेदारों द्वारा बिगत कुछ समय पहले इंजीनियर और बाबूओं द्वारा लेनदेन कर कुछ ठेकेदारों की एफडी वापस कर देने की शिकायतें लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के अलावा मंत्री और ईएनसी आॅफिस में भी की गई थीं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर अब जांच शुरू कर दी गई है। खास बात यह है कि शुरूआती जांच में यह शिकायतें सही पाई गई हैं। इन शिकायतों में सोनी इलेक्ट्रिकल्स, सागर एसोसिएट, विश्वकर्मा इन्फ्रास्ट्रक्चर और पलाश इलेक्ट्रिकल्स फर्म की एफडी वापस किए जाने के तथ्य सामने आए हैं।
वर्क आर्डर के साथ ही लौटा देते थे सुरक्षा निधि
पीडब्ल्यूडी का शायद ही ऐसा कोई बड़ा प्रोजेक्ट हो जो कमियों, खामियों और भ्रष्टाचार की वजह से चर्चा में नही रहता हो, फिर भी विभाग के अफसर अपनी कार्यप्रणाली सुधारने की जगह खेला करने के नए-नए तरीके खोजने में पीछे नहीं रह रहे हैं। इसी तरह के भ्रष्टाचार का यह नया मामला सामने आया है, जिसमें विभाग के अफसर, बाबू और ठेकेदारों ने मिलकर बड़ा खेल कर रहे थे। इस तरह का खेल भोपाल संभाग क्रमांक- 1 के आॅफिस में कई सालों से किया जा रहा है। इस दफ्तर में पूरा खेल इंजीनियर, बाबू और ठेकेदारों द्वारा मिलकर करोड़ों की सुरक्षा गारंटी राशि उन्हें वर्क आॅर्डर के बाद वापस करने के रुप में किया जा रहा है। संदेह तो यह भी जताया जा रहा है की इस तरह का खेल प्रदेश में अन्य विभाग के दफ्तरों में भी किया जा रहा होगा। दरअसल, लोक निर्माण विभाग में निर्माण व बिजली जैसे काम कराने के लिए ठेकों में ठेकेदार से पांच फीसदी राशि धरोहर राशि के रुप में जमा कराई जाने का नियम है। यह राशि वर्क आर्डर की राशि के पांच फीसदी होती है। इसके पीछे की वजह यह है कि अगर ठेकेदार द्वारा काम में गड़बड़ी की जाती है या फिर वह काम आधा अधूरा छोड़ देता ैहै, तो इस राशि को जप्त कर काम को पूरा कराया जा सके। यह राशि काम पूरा होने के बाद भी गारंटी अवधि तक विभाग के पास जमा रहती है। लेकिन भोपाल संभाग क्रमांक- 1 में वर्क आर्डर के साथ ही यह राशि ठेकेदार को लौटाने का खेल किया जा रहा है। पीडब्ल्यूडी के ईएनसी नरेंद्र कुमार का कहना है कि सिक्योरिटी डिपॉजिट में गड़बड़ी की पुष्टि के बाद मामला ईओडब्ल्यू को दिया गया है। अब चोरी की सत्यता के बारे में जांच करवाएंगे। इस मामले से जुड़े सारे इंजीनियर और स्टाफ को भी हटाया जाएगा।