विदेशी मेहमानों को खिलाएंगे मावा बाटी और इंद्रहर की कढ़ी

विदेशी मेहमानों
  • सवा सौ लोगों को सौंपी गई भोजन बनाने की जिम्मेदारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी में पहली बार होने जा रही ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (जीआईएस) को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारी की जा रही है। इस आयोजन में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेशक भी आ रहे हैं।  24 और 25 फरवरी को दो दिन तक राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में होने वाले आयोजन में मेहमानों, डेलिगेट्स और अन्य का दोपहर का भोजन खास होगा। विदेशी मेहमानों को प्रदेश के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखाने की योजना तैयार की गई है। यहां तीन अलग-अलग कैटेगरी में भोजन की व्यवस्था रहेगी। इसमें वीवीआईपी (मंत्री, विदेश और देश के बड़े बिजनेसमैन), वीआईपी-मीडिया और अन्य डेलीगेट्स के लिए खाने के डोम अलग-अलग होंगे। यहां पर खाने का मेनू मेटरिक्स एक जैसा रहेगा। इन तीनों कैटेगरी के मेनू में भारतीय और विदेशी व्यंजन दोनों होंगे, जिनमें कॉन्टिनेंटल और ओरिएंटल फूड्स के साथ-साथ मध्य प्रदेश के पारंपरिक व्यंजन भी शामिल होंगे। इसमें मावा वाटी के अलावा इंद्रहर की कढ़ी, मिलेट्स व्यंजन खासतौर पर परोसे जाएंगे।
राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में तीन कैटेगिरी में खाने की व्यवस्था की गई है। इसमें तीन अलग-अलग डोम बनाए जा रहे है। यह तीनों डोम एक दूसरे से इंटरकनेक्ट रहेंगे। पर्यटन विकास निगम भोजन की पूरी व्यवस्था कर रहा है। 125 लोगों की टीम दो दिन मेहमानों के लिए लंच तैयार करेगी। वीवीआईपी डोम में खाना खाने की व्यवस्था बैठ कर रहेगी। वहीं, बाकी दो कैटेगिरी में बुफे होगा। खाना सर्वे करने और व्यवस्था के लिए 200 लोग रहेंगे।  
सरकार का फोकस मिलेट की ब्रांडिग पर
दरअसल सरकार का पूरा फोकय मीलेट की ब्रांडिग पर है। सरकार इस आयोजन को इसके लिए अच्छा मौका मान रही है। इसी वजह से भोजन में इससे बनी वस्तुओंं को शामिल किया गया है। पूर्व में सरकार कोदो-कुटकी के उत्पादन को दोगुना करने और इसके उपार्जन के साथ ही उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग के होटलों में कोदो-कुटकी से बने व्यंजनों को मेन्यू में शामिल करने तथा उनके बिक्री केंद्र भी अनिवार्य रूप से स्थापित करने के निर्देश पहले ही दिए हुए हैं। दरअसल, कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा एवं मक्का ऐसी फसलें हैं, जो ज्यादातर आदिवासी इलाकों में होती हैं और जिसका जरूरत के मुताबिक आदिवासी उत्पादन करते हैं। वह मानते हैं कि यह एक ऐसी प्रीमियम फसल है, जो स्वास्थ्यवर्धक है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग है। यही वजह है कि इसकी ब्रांढिग भी की जा रही है।
भोजन में यह शामिल
विदेश से आने वाले मेहमानों को प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र की स्पेशल व्यंजन का स्वाद चखाया जाएगा। दाल बाफला-दाल बाटी के साथ ही नर्मदापुरम की स्पेशल डेजर्ट मावा बाटी विशेष रूप से सर्व की जाएगी। इसे 100 प्रतिशत मावा से बनाया जाता है। इसके अलावा बघेलखंड की खास इंद्रहर की कढ़ी की परोसी जाएगी। इसे पांच तरीके दाल को मिक्स करके बनाया जाता है। जिसे उबालकर उसे बर्फी के शेफ में काट कर कड़ी में डाला जाता है। वहीं, मालवा की स्पेशल लाल भाजी भी स्पेशल डिस में रखी जाएगी। साथ ही मिलेट्स के भी दो आईटम रखे जाएंगे।

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