केन्द्रीय मंत्री से लेकर राज्यपाल तक बनाया
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। केंन्द्र के साथ ही प्रदेश की भाजपा सरकारों ने बीते समय में कई मुस्लिम नेताओं को सम्मान देने के लिए बेहद अहम पद दिए हैं। इसके बाद भी यह समाज भाजपा के साथ खुलकर आने को तैयार नजर नहीं आता है। बात भरोसा जताने की आई तो कांग्रेस से आईं नजमा हेपतुल्लाह को मप्र से राज्यसभा भेजकर केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्यपाल तक बनाया गया। इसी तरह से प्रदेश के बड़े मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आरिफ बेग से लेकर सनब्बर पटेल तक को सरकारों में महत्व दिया गया है। भाजपा की मंशा सबका साथ, सबके विकास की है, लेेकिन इसके बाद भी मुस्लिम समुदाय भाजपा से दूर ही बना हुआ है।
यह बात अलग है कि अब भाजपा संगठन से लेकर सरकार तक मुस्लिमों को अपने करीब लाने के प्रयासों में कई कदम उठा रही है। यही वजह है कि स्थानीय कद्दावर मुस्लिम नेता आरिफ बेग को पार्टी ने केंद्र की सियासत तक में जगह दी। प्रदेश में वरिष्ठ नेताओं में शुमार से लेकर केंद्र में सम्मान तक बेग के हाथ आया है। सिलसिला अब तक जारी है। राजधानी भोपाल में रियाज अली काका से लेकर हकीम कुरैशी और शौकत मोहम्मद खान तक पद से नवाजे जा चुके हैं। पिछले दो दशक में प्रदेश में भाजपा की सरकार रहते हुए कई मुस्लिम नेता मंत्री तमगे के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं। लेकिन, इसके विपरीत भाजपा की झोली अब भी मुस्लिम समुदाय के भरोसे से खाली ही दिखाई देती है। पिछले कुछ चुनाव में भाजपा के खाते में मुस्लिम वोट प्रतिशत बढ़ा तो है, लेकिन अब भी यह कोम पूरी तरह से कांग्रेस के मोहपाश से बाहर नहीं आई है। प्रदेश के खाते से जिन्हें केन्द्र सरकार में मंत्री पद तक मिला है उनमें आरिफ बेग, नजमा हेपतुल्लाह (केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल) और एमजे अकबर (राज्यसभा सांसद) जैसे नाम शामिल हैं।
इन मुस्लिम चेहरों को मिला महत्व
अगर प्रदेश की बात की जाए तो अनवर मोहम्मद खान मप्र अल्पसंखयक आयोग, एसके मुद्दिन मप्र मदरसा बोर्ड, कुक्कुट विकास निगम, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, सलीम कुरैशी मप्र हज कमेटी, मप्र उर्दू अकादमी, राशिद खान मप्र मदरसा बोर्ड, हाजी इनायत हुसैन मप्र राज्य हज कमेटी, कलीम अहमद बच्चा मप्र मदरसा बोर्ड, जाफर बेग मप्र उर्दू अकादमी, नियाज मोहम्मद खान मप्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग, हकीम कुरैशी मप्र मदरसा बोर्ड, मसाजिद कमेटी, शरीफ अहमद, मिर्जा हबीब बेग मसाजिद कमेटी, मोहम्मद गनी अंसारी मप्र मदरसा बोर्ड, शौकत मोहम्मद खान, डॉ. सनव्वर पटेल मप्र वक्फ बोर्ड, रफत वारसी आदि। इनमें से अधिकांश मुस्लिम नेताओं को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। जबकि कुछ के हिस्से राज्य मंत्री का दर्जा और इसके लिए निर्धारित सुविधाएं दी गई हैं। इसी तरह से भाजपा ने मुस्लिम समाज को पार्टी से जोडऩे के लिए प्रदेश स्तर का मोर्चा को भी आकार दिया है। जिसमें पिछले दो दशकों में लालभाई कमाल भाई, हिदायत उल्लाह, डॉ. सनव्वर पटेल और रफत वारसी को नवाजा जा चुका है। वर्तमान में यह जिम्मेदारी एम एजाज खान के पास है। हिदायत उल्लाह और डॉ सनव्वर पटेल इस पद पर एक से ज्यादा बार सेवाएं दे चुके हैं।
संघ के प्रयास भी
जिस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नाम से मुस्लिमों को हमेशा भयभीत किया जाता रहा है। उसी संघ ने मुस्लिमों को अपने करीब लाने के लिए एक विशेष विंग मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बनाया है। वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में एक बड़ी टीम पूरे देश में काम कर रही है। संघ की कार्यनीति की तर्ज पर भाजपा ने मुस्लिम समुदाय को भी पूर्ण कालिक सदस्यों के रूप में जोड़ा। प्रदेश में भाजपा दूसरे कार्यकाल के दौरान इस टीम ने कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम भी किया है।
अब पसमांदा पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन 2024 के आगाज से पहले देशभर में पसमांदा मुस्लिम समाज को लेकर विशेष अभियान चलाया। इसके तहत विशेष प्रशिक्षित कार्यकर्ता पहुंचकर मुस्लिमों को भाजपा की रीति, नीति, कल्याणकारी योजनाओं और भविष्य की योजनाओं से परिचित करवा रहे हैं। इन कार्यकर्ताओं को मोदी मित्र नाम दिया गया है। अब, यह देखना दिलचस्प होगा कि कितने फीसदी मुस्लिम भाजपा पर भरोसा जताते हुए उसे वोट देंगे।
सात प्रतिशत है प्रदेश में मुस्लिम आबादी
मध्य प्रदेश में दो दलीय व्यवस्था ही कायम है। जब भी मतदाता भाजपा से नाराज होते हैं तो वे कांग्रेस की सरकार चुनते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक, मध्य प्रदेश में मुस्लिम आबादी सात प्रतिशत है जो अब नौ प्रतिशत हो सकती है। मुस्लिम वोट 47 विधानसभा सीटों पर प्रभावी हैं, जबकि वे कुछ क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाता है। प्रदेश की भोपाल उत्तर सीट ऐसी हैं, जहां पर मुस्लिम कांग्रेस प्रत्याशी को ही लगातार कई दशकों से जीत मिल रही है। इस सीट पर अब तक भाजपा के प्रयास नाकाम रह चुके हैं।