- ड्रोन इंडस्ट्री को 30 करोड़ तक सब्सिडी
- गौरव चौहान
राजधानी में 24-25 फरवरी को होने वाली दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने कई सहूलियत और रियायतों का ऐलान किया है। इसके तहत मोहन सरकार ने ड्रोन संवर्धन और उपयोग नीति और सेमीकंडक्टर पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। गत दिवस कैबिनेट की बैठक में इन दोनों पॉलिसियों पर मुहर लगाई गई। पॉलिसी के मुताबिक ड्रोन इंडस्ट्री के लिए 30 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। वहीं मार्केटिंग का खर्च भी एक निश्चित समय सीमा तक सरकार उठाएगी। इसी तरह सेमीकंडक्टर उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए 10 साल तक दो रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मुहैया कराई जाएगी।
राज्य सरकार को उम्मीद है कि अगले पांच साल में इस क्षेत्र में 3982 करोड़ की इंडस्ट्री स्थापित होगी और 2700 करोड़ का निवेश होगा। जिससे 14,400 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, जिससे हर साल 1702 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। बता दें कि अमेरिका और यूरोप की कई सेमीकंडक्टर कंपनियों ने गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अपनी यूनिट स्थापित की है।
8 हजार लोगों को रोजगार
ड्रोन संवर्धन और उपयोग नीति से ड्रोन इंडस्ट्री में 8 हजार लोगों को नौकरी मिलने की संभावना है। पॉलिसी के मुताबिक ड्रोन इंडस्ट्री के लिए 30 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। वहीं मार्केटिंग का खर्च भी एक निश्चित समय सीमा तक सरकार उठाएगी। इसी तरह सेमीकंडक्टर उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए 10 साल तक दो रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मुहैया कराई जाएगी। कृषि सुधार में ड्रोन का अहम रोल होगा। इसका आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा इसका लोगों और पब्लिक प्रॉपर्टी की सुरक्षा, निगरानी करना, भीड़ को कंट्रोल और क्रिमिनल केसों की जांच में किया जाएगा। बुनियादी ढांचों, पुलों, सडक़ों और अन्य बुनियादी ढांचे के निरीक्षण में भी इसका इस्तेमाल होगा। की योजना है। जिससे प्रदेश में मेंटेनेंस और सुरक्षा में सुधार होगा। इस पॉलिसी में ड्रोन स्कूल, ड्रोन इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऑपरेशंस, मार्केटिंग सपोर्ट, पेटेंट, ड्रोन कौशल, ईको सिस्टम को लेकर भी प्रोविजन किए गए हैं। सरकार को उम्मीद है कि ड्रोन पॉलिसी लागू होने के बाद प्रदेश में 370 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
40 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी
पॉलिसी के तहत वित्तीय प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। ड्रोन बनाने के लिए निवेश पर 40 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी (अधिकतम 30 करोड़ रुपए)दी जाएगी। लीज रेंटल सब्सिडी के तहत 25 प्रतिशत किराया सब्सिडी (अधिकतम 5 लाख रुपए)का 3 साल तक का प्रावधान है। 2 करोड़ रुपए तक अनुसंधान एवं विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) सहायता दी जाएगी। 8 हजार रुपए प्रति माह तक की इंटर्नशिप में मदद (6 महीने तक)दी जाएगी। मार्केटिंग सहायता के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी (अधिकतम 1 लाख रुपए घरेलू और 2 लाख रुपए अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए)दी जाएगी। 100 प्रतिश्ता स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क में छूट दी जाएगी। पेटेंट फाइलिंग सब्सिडी के तहत घरेलू पेटेंट के लिए 5 लाख और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के लिए 10 लाख दिए जाएंगे। मेगा इन्वेस्टमेंट यूनिट्स के लिए 50 करोड़ से अधिक निवेश पर कस्टमाइज्ड प्रोत्साहन दिया जाएगा। शिक्षा संस्थानों को सहायता के तहत ड्रोन पाठ्यक्रम जोडऩे पर 50 प्रतिशत (अधिकतम 25 लाख रुपए) सब्सिडी दी जाएगी।
पूंजी निवेश पर 25 प्रतिशत की सब्सिडी
कैबिनेट ने सेमीकंडक्टर पॉलिसी को भी मंजूरी दी है। कई राज्यों की पॉलिसी का अध्ययन करने के बाद यह नीति बनाई गई है।सरकार का अनुमान है कि इस सेक्टर में दो हजार करोड़ तक का निवेश हो सकता है। सेमीकंडक्टर पॉलिसी के तहत सरकार ने निवेश करने वाले उद्योगों को 25 फीसदी सब्सिडी का ऐलान किया है। इसके अलावा उद्योगों के लिए 10 सालों तक 2 रुपए प्रति यूनिट बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार ने इस क्षेत्र में अगले पांच साल में 1009.46 करोड़ रुपए का बजट रखा है। सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में स्किल्ड वर्क फोर्स को तैयार करने और पहले से इस क्षेत्र में काम कर रहे प्रोफेशनल्स की ट्रेनिंग के लिए भी सरकार पैसा खर्च करने वाली है। सेमीकंडक्टर के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस: इसके संचालन के लिए सरकार 5 साल में 25 करोड़ रुपए की सहायता देगी। ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के लिए सहायता: इलेक्ट्रॉनिक्स और वीएलएसआई डिजाइन में ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्स के लिए संस्थान को 10 लाख का एकमुश्त अनुदान। संस्थान का चयन नोडल एजेंसी करेगी। स्कूल कॉलेज में सेमीकंडक्टर सब्जेक्ट पढ़ाने वाले टीचर्स की ट्रेनिंग पर 50 लाख रु. सालाना खर्च किए जाएंगे। इसका फायदा एमपी के मूल निवासियों को मिलेगा। सेमीकंडक्टर कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के स्किल डेवलपमेंट के लिए 50 हजार रु. प्रति पाठ्यक्रम शुल्क दिया जाएगा। 3 साल के लिए हर यूनिट के 50 कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।