पोषण आहार से भी… दूर नहीं हो रहा कुपोषण

  • सरकार के सारे प्रयास हो रहे फेल
  • विनोद उपाध्याय
पोषण आहार

मप्र में कुपोषण ऐसा कलंक बन गया है जिसके आगे सरकार के सारे प्रयास फेल हो रहे हैं। स्थिति यह है कि पोषण आहार के बाद भी कुपोषण दूर नहीं हो पा रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मप्र में 1.36 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं। कुपोषित श्रेणी के सबसे अधिक बच्चे जनजातीय बाहुल्य जिलों में हैं। मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम के तहत प्रदेश भर से दर्ज किए गए आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में 29 हजार 830 बच्चे अतिकुपोषित, जबकि 1 लाख 6 हजार 422 बच्चे कुपोषित हैं। ये जानकारी विधानसभा में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई है। सरकारी आंकड़े  कहते हैं कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 30 जनवरी, 2024 तक की स्थिति में कुल 1 लाख 36 हजार 252 बच्चे कुपोषित हैं। उल्लेखनीय है कि मप्र में कुपोषण को समाप्त करने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में 453 बाल विकास परियोजनाओं के अंतर्गत कुल 84465 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं 12670 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों में स्वीकृत हैं। आंगनबाडिय़ों से 6 माह से लेकर 6 वर्ष उम्र तक के बच्चों एवं धात्री माताओं सहित लगभग 40 लाख हितग्राहियों को पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराया जा रहा है। इस पूरक पोषण आहार पर खर्च होने वाली कुल राशि में से 50 प्रतिशत राशि भारत सरकार का महिला बाल विकास विभाग उपलब्ध कराता है।
पोषण आहार पर 8 से 12 रूपए खर्च
मप्र में सरकार पूरक पोषण आहार पर हर दिन 8 से लेकर 12 रुपए की राशि खर्च कर रही है। 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चे पर प्रतिदिन/प्रति बच्चा 8 रुपये के मान से पूरक पोषण आहार, जिसमें 12-15 ग्राम प्रोटीन एवं 500 कैलोरी होती है। 6 माह से 6 वर्ष तक के अति कम वजन के बच्चे पर प्रतिदिन/प्रति बच्चा 12 रुपये के मान से पूरक पोषण आहार, जिसमें 20-25 ग्राम प्रोटीन एवं 800 कैलोरी होती है। गर्भवती माता/धात्री माता एवं किशोरी बालिका पर प्रतिदिन/प्रति हितग्राही 9.50 प्रति हितग्राही प्रतिदिन के मान से पूरक पोषण आहार, जिसमें 18-20 ग्राम प्रोटीन एवं 600 कैलोरी होती है। सरकारी आदेश के अनुसार 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती धात्री माताओं को एमपी एग्रो, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं अन्य प्रदायकर्ताओं के माध्यम से संभागवार सप्ताह के 5 दिन अलग-अलग दिवसों में दी जा रही हैं। इनमें धात्री माता/गर्भवती महिलाओं को 150 ग्राम गेहूं सोया बर्फी, आटा- बेसन लड्डू एवं खिचड़ी दिए जाते हैं। इसी प्रकार 6 माह से 3 साल तक के बच्चों के लिए 120 ग्राम हलुआ (प्रीमिक्स), बाल आहार (प्रीमिक्स) एवं खिचड़ी उपलब्ध कराई जाती है, जिसमें 12 ग्राम प्रोटीन एवं 500 कैलोनी होती है। वहीं 6 माह से 6 वर्ष तक के आंगनवाड़ी केंद्र में दर्ज अति कम वजन के बच्चों को तीसरा मील के रूप में सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को दोपहर के भोजन के मीनू अनुसार तथा मंगलवार, गुरुवार एवं शनिवार को नाश्ता के मेनू अनुसार पोषण आहार दिया जाता है। वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों/उप आंगनवाड़ी केंद्रों में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के अंतर्गत 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को मीठा सुगंधित स्किम्ड फ्लेवर्ड मिल्क 15 जुलाई 2015 से सप्ताह के 3 दिवस सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को प्रदाय किया जा रहा है। प्रत्येक बच्चे को 10 ग्राम मिल्क पावडर से 100 मिली दूध तैयार कर दिया जा रहा है।
जिलों में कुपोषण की स्थिति
विधानसभा में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश के छह जिलों में हजार से ज्यादा अति कुपोषित बच्चे हैं। उनमें धार में 2411,छिंदवाड़ा में 1884, बड़वानी में 1513, रीवा में 1453, सतना में 1136 और झाबुआ में 1004 बच्चे कुपोषित हैं। तीन जिलों में सौ से कम अति कुपोषित हैं। इनमें निवाड़ी में 99, आगरा में 87 और हरदा में 78 बच्चे कुपोषित हैं। वहीं छिंदवाड़ा सबसे ज्यादा 7763 कुपोषित बच्चे हैं। जबकि धार में 7313,बड़वानी में 5095, रीवा में 3986, सतना में 3921, बैतूल में 3666 और इंदौर में 3015 बच्चे कुपोषित हैं। वहीं कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां सबसे कम कुपोषण हैं। उनमें निवाड़ी में 304, दतिया में 314, हरदा में 402, आगरा में 530, बुरहानपुर में 607, शाजापुर में  713, उमरिया में 751, श्योपुर में 789, अलीराजपुर में 973 और डिंडोरी में 992 बच्चे कुपोषित हैं।

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