मप्र में सिस्टम ही कुपोषित, कैसे मिटे कुपोषण

कुपोषण
  • बजट के अभाव में पोषण आहार व्यवस्था पर मंडरा रहा संकट …

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार निरंतर मिशन मोड में काम कर रही है। लेकिन यहां का सिस्टम ही इस कदर कुपोषित है कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई अव्यवस्था  का शिकार हो जाती है। वर्तमान में स्थिति यह है कि बजट के अभाव में कई जिलों में पोषण आहार व्यवस्था पर ही संकट मंडराने लगा है। आंगनबाड़ी केंद्रों का बिजली बिल जमा नहीं हुआ है। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका पिछले कुछ माह से आधे मानदेय में काम कर रही हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार, बजट के अभाव में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी लगातार विभाग के ध्यान में ला रहे हैं कि आवंटन नहीं मिलने से पोषण आहार वितरण को लेकर गंभीर समस्या बन सकती है। वहीं सतना के कलेक्टर ने पत्र लिखकर संभावना जताई है कि जल्द आवंटन नहीं मिला तो स्व सहायता समूहों पर गंभीर आर्थिक संकट आ सकता है और ऐसे में पूरक पोषण आहार प्रदान व्यवस्था गड़बड़ा सकती है।
तीन महीने से नहीं मिला आवंटन
प्रदेश के कई जिलों में पिछले तीन महीने से बजट का आवंटन नहीं हुआ है। सतना के जिला अधिकारी ने सूचना दी थी कि मार्च के बाद से यह लगातार तीसरा महीना है, हमें न तो आवंटन मिला है और न ही एसएचजी के लिए कोई निर्देश हैं जो सांझा चूल्हा और अन्य के तहत पूरक पोषण प्रदान कर रहे हैं। स्वयं सहायता समूह के सदस्य अपनी शिकायत निवारण के लिए जनसुनवाई में आ रहे हैं। हमें उन्हें संतुष्ट करना बहुत मुश्किल लगता है। उधर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मार्च से मानदेय नहीं मिल रहा है, क्योंकि पीएफएमएस के नए प्रावधानों के तहत कुछ निर्देश अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। लाड़ली योजना की फीडिंग करने वाले आॅपरेटरों का दो साल से बकाया नहीं मिला।
मानदेय के साथ बिजली बिल भी रूका
प्रदेश में कुपोषण के खिलाफ लड़ाई लडऩे वालों को ही पूरा मानदेय नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में 1,94,270 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को फरवरी 2022 के बाद से आधा मानदेय दिया जा रहा है। विभाग का तर्क है कि इनके 10 हजार रुपए के मानदेय में केंद्र और राज्य का हिस्सा रहता है। राज्य ने अपने हिस्से का अतिरिक्त मानदेय यानि 5,500 रुपए दे दिए हैं। केंद्र के हिस्से का 4,500 रुपए मानदेय रुका है। वहीं वित्त विभाग ने करीब 80 करोड़ रुपए बिजली कनेक्शन और बकाया बिल के मंजूर किए हैं। बजट नहीं मिलने से आंगनबाड़ी केंद्रों की बिजली कटने लगी है। शहडोल जिले में ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं।
वेतन मद को छोड़कर किसी अन्य मद में आवंटन नहीं
सतना कलेक्टर ने जो पत्र लिखा था उसमें चेतावनी दी गई थी कि एक जून को संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग को लिखा- वित्तीय वर्ष 2022-23 के 2 माह समाप्त हो चुके हैं किंतु वेतन मद को छोड़कर शेष किसी भी मदों में आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है। इससे विभाग की प्रमुख योजना पूरक पोषण आहार, आईसीडीएस, वाहन, कम्प्यूटर मरम्मत, फलैक्सी मद आदि में भुगतान की स्थिति लंबित है। बजट अप्राप्त रहने से आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरक पोषण आहार प्रदाय करने वाले स्व सहायता समूहों का माह मार्च 2022 से भुगतान लंबित है। समूहों के देयकों का तीन माह से भुगतान ना होने पर समूह की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की आशंका प्रबल है जिससे पूरक पोषण आहार प्रदाय कार्य प्रभावित हो सकता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ की सागर संभाग की अध्यक्ष लीला शर्मा कहती हैं कि फरवरी का मानदेय नहीं मिला। मार्च का अतिरिक्त मानदेय आया है। इसमें भी भेदभाव हो रहा है।

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