- एफआईआर दर्ज करने से पहले करनी होगी पूरी जांच
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वन माफिया द्वारा लगातार हमले करने और झूठी शिकायतों की जांच से परेशान वन विभाग के छोटे कर्मचारी हैरान व परेशान हैं। इसकी वजह से उनकी नाराजगी जगजाहिर है। हद तो तब हो जाती है, जब हमले के दौरान वनकर्मी आत्मरक्षा के लिए कोई बड़ा कदम उठा लेते हैं, तो फिर उन्हें कानूनी रूप से बेहद परेशान होना पड़ता है। इस तरह के कई मामले प्रदेश में बीते सालों में सामने आ चुके हैं। हद तो तब हो गई थी, जब वन हमले ने अपने ऊपर हुए प्राणघातक हमले में आत्मरक्षार्थ गोली चला दी थी , जिसमें एक वन माफिया की मौत हो गई थी। उस मामले में तत्कालीन सरकार ने वन अमले का साथ देने की जगह वन माफिया को न केवल आर्थिक मदद की थी, बल्कि वनकर्मी को जेल तक भिजवा दिया था। जिस पर पूरे वन विभाग में रोष फैल गया था। अब सरकार बदली तो इस तरह के मामले में भी बदलाव के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। दरअसल, माफिया के खिलाफ एक्शन लेने वाले वन अमले के खिलाफ कई झूठी शिकायतों से विभाग भी परेशान है। यही वजह है कि अब सरकार ने तय किया है कि अब वन अमले के खिलाफ होने वाली शिकायतों पर सीधे मामला दर्ज करने की जगह पहले पूरी तरह से जांच करनी होगी। वन मुख्यालय ने इस तरह के मामलों को गंभीरता से लिया है। गृह विभाग के पूर्व आदेश का अब कड़ाई से पालने कराया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि वन कर्मियों के खिलाफ वन माफिया द्वारा की जा रही साजिश असफल हो जाएंगी। यही नहीं वन अमले को भी मैदानी स्तर पर वन माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने में सहूलियत हो जाएगी।
तीन साल से जमा है वन कर्मियों की बंदूकें
प्रदेश में वन रक्षकों के खिलाफ पुलिस में कई झूठी शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। रायसेन शिवपुरी, सतना और भिंड में वन माफिया के खिलाफ सख्त एक्शन लेने वाले वनकर्मियों पर हमले की घटनाएं भी हो चुकी है। 2022 से रायसेन के लटेरी कांड से नाराज वनकर्मियों ने अपनी बंदूके जमा करा दी थी, जो उनके द्वारा अब तक वापस नहीं ली गई हैं। दर असल लटेरी में सागौन माफिया से हुई मुठभेड़ में एक आदिवासी युवक की मौत हुई थी। इस मामले में वन अमले के खिलाफ पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर लिया था। इसी से नाराज वन अमले ने विभाग में बंदूकें जमा करा दी थीं। अहम बात यह है वनकर्मियों को हथियार तो दिए गए हैं , लेकिन उनका उपयोग करने का अधिकार नहीं दिया गया है, जिसकी वजह से भी वन अमला परेशान बना हुआ है।
गृह विभाग का आदेश ताक पर
वन कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे का कहना है कि गृह विभाग का आदेश पहले से है कि वन कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की शिकायत आने पर सक्षम अधिकारी द्वारा जांच कराई जाए। तात्कालिक रूप से एफआईआर दर्ज न हो, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है। माफिया झूठी शिकायतें कराकर वन कर्मियों को मामला दर्ज करा देते है। इससे उनका मनोबल प्रभावित हो रहा है। इस लिए गृह विभाग के आदेश का सख्ती से पालन कराना जरूरी है। वन कर्मियों को विभाग का संरक्षण मिलेगा, तभी वो ठीक तरीके से काम कर पाएंगे।