मध्यप्रदेश की शहरी गौशालाएं होंगी स्मार्ट

 गौशालाएं

पशुपालन विभाग का ड्रीम प्रोजेक्ट, पहले चरण में खर्च होंगे 132 करोड़
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।

प्रदेश की गौशालाएं कुप्रबंध और बदहाली का शिकार हैं। इस कारण गौशालाओं में गौ-वंश के मरने की खबरें लगातार आती हैं। ऐसे में सरकार प्रदेश की बदहाल शहरी गौशालाओं को स्मार्ट बनाने की कार्ययोजना पर काम कर रही है। स्मार्ट गौशाला में गायों के उठने-बैठने से लेकर चारा खाने तक के लिए हर सुविधा आधुनिक होगी। प्रोजेक्ट के पहले चरण में निर्माण की राशि छोड़कर 132 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। गौशालाओं के उत्पाद में शामिल दूध, कंडे आदि की जानकारी भी ऑनलाइन दर्ज होगी। इन  गौशालाओं में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। फायर सिस्टम, अलार्म सिस्टम, सोलर प्लांट, रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, कवर्ड ब्लॉक, ऑटो ट्राली सिस्टम, ऑटो वॉशिंग सिस्टम, ओपन स्पेस समेत अन्य सुविधाएं भी होंगी। गौरतलब है कि बीते एक साल में प्रदेश से गौशालाओं के बदहाली की कई तस्वीरें सामने आई हैं। राजधानी भोपाल के ग्रामीण अंचल में सैकड़ों की संख्या में गोवंश के कंकाल मिले। विपक्ष ने गौवंश संरक्षण को मुद्दा बनाकर सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवाल भी खड़े किए थे। अब स्मार्ट गौशालाओं के नए प्रोजेक्ट में पशुपालन विभाग, नगरीय प्रशासन और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे। इसके लिए  चरणबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। पहले चरण में शहरी क्षेत्र की गौशालाओं को हाईटेक किया जाएगा। फिर उन गौशालाओं पर फोकस होगा जो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और गायों की संख्या अधिक है।
होंगी आधुनिक सुविधाएं
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में कुल 1687 गौशालाएं (सरकारी और प्राइवेट) हैं। इनमें करीब 2 लाख 75 हजार गौवंश आश्रित हैं। इनके संचालन के लिए सरकार 131 लाख 84 करोड़ रुपये का अनुदान देती है। दानदाताओं समेत कई संस्थाएं गौशालाओं को राशि दान करती हैं। जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने गौशाला को लेकर विस्तृत योजना तैयार की है। यह सब राज्य के पशुपालन विभाग की ओर से किया जा रहा है।  इसके तहत आधुनिक गौशाला तैयार करने की योजना है। इसमें गायों के सोने और घूमने-फिरने के लिए अलग-अलग क्षेत्र बनाए जाएंगे। उन्हें चारा देने से लेकर उसके गोबर और मूत्र संग्रह तक के लिए फिल्ट्रेशन प्लांट बनाने का प्लान है। इसके लिए शासन को निजी कंपनियों को सिर्फ जमीन मुहैया करानी होगी। हालांकि, कंपनियों को आवंटित की जाने वाली जमीन सशर्त होगी। जमीन तब तक ही कंपनी के नाम पर रहेगी, जब तक उस पर गौशाला का संचालन किया जाएगा। संबंधित कंपनी द्वारा दूसरे उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने पर आवंटन को रद्द कर दिया जाएगा।
ऑनलाइन पोर्टल पर होगी  निगरानी
प्रोजेक्ट के तहत पशुपालन विभाग एक पोर्टल भी बनाएगा। इसमें गौशाला के संधारण, दानदाताओं और सरकार से मिली राशि का हिसाब होगा। किस मद में कितना खर्च किया गया, इसकी जानकारी पोर्टल में मिलेगी। गौवंश का हेल्थ चेकअप की तारीख, समय, डॉक्टर का नाम, बीमारी, दवाओं की जानकारी पोर्टल पर दर्ज होगी। इसके अलावा चारा-भूसा समेत अन्य खाने-पीने के लिए दी जाने वाली सामग्री की भी जानकारी ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। स्मार्ट गौशालाओं को लेकर बनाए जाने वाले कंट्रोल रूम में मॉनिटरिंग के साथ डाटा संग्रहण किया जाएगा। स्मार्ट गौशालाओं के नोडल अधिकारी के पास कंट्रोल रूम से प्रतिदिन रिपोर्ट भेजी जाएगी। ताकि रखरखाव के साथ बेहतर प्रबंधन किया जा सके। पोर्टल में ऑनलाइन कोड के जरिए किसी भी प्रकार की शिकायत या सुझाव को दर्ज कराई जा सकेगी। पोर्टल पर शिकायत की स्थिति और निराकरण की जानकारी भी दर्ज की जाएगी। स्मार्ट गौशालाओं का स्मार्ट ऑडिट भी किया जाएगा। व्यवस्था के सुधार के लिए इसका कोई समय निर्धारित नहीं किया है।

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