मध्यप्रदेश का मतदान केंद्र… प्रबंधन मॉडल देश में अव्वल

  • चुनाव निपटते ही बूथ प्रबंधन को और मजबूत करने में जुटी भाजपा
  • गौरव चौहान
मतदान केंद्र

बूथ जीतो, चुनाव जीतो के सूत्र वाक्य पर काम करते हुए मप्र भाजपा संगठन ने विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड जीत दर्ज किया है। ऐसे में आगामी रणनीति के तहत भाजपा अपने बूथ प्रबंधन को और मजबूत करने के अभियान में जुटेगी। इसके लिए समीक्षा कर रणनीति बनाई जाएगी। गौरतलब है कि मप्र भाजपा का मतदान केंद्र प्रबंधन मॉडल देश में अव्वल है। भाजपा ही नहीं बल्कि अन्य पार्टियां भी इस मॉडल का लोहा मानती हैं। इसलिए वर्तमान में कोई बड़ा चुनाव नहीं होने के कारण भाजपा का फोकस बूथ प्रबंधन को और मजबूत करने पर है।  इस संबंध में पिछले दिनों भोपाल में लगातार बैठकों का दौर चला है। इन बैठकों में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जमवाल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद सहित अनेक संगठन पुरुषों ने लगातार विचार विमर्श और मंथन किया है।  गौरतलब है कि जब से वीडी शर्मा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने हैं, तब से भाजपा का बूथ प्रबंधन और मजबूत हुआ है। इसलिए अभी विधानसभा संपन्न हुए सात-आठ माह ही हुए हैं कि भाजपा ने मिशन 2028 यानी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। बूथ प्रबंधन में माहिर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हारे हुए बूथों पर अपनी स्थिति मजबूत करने का खाका तैयार कर लिया है।  मप्र में हारे हुए बूथों की भाजपा अब समीक्षा कर मजबूत पकड़ बनाने में जुटेगी। इसके लिए नए सिरे से रणनीति बनाकर काम किया जाएगा। भाजपा भले ही लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ जीती हो लेकिन विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हारे हुए बूथ अब भी पार्टी के लिए चुनौती है। भाजपा केंद्र में भी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार नहीं बना पाई है। ऐसे में इससे सबक लेते हुए भाजपा अब हारे हुए 20 प्रतिशत बूथों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पसीना बहाएगी। इसके लिए आगामी दिनों में बूथवार विभिन्न आयोजन किए जाएंगे। इन आयोजनों में विधायक और सांसद को अनिवार्य रूप से शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं। जिला और मंडल स्तर की कार्यसमिति की बैठक आयोजित की जाएगी।
बूथ प्रबंधन की नई कार्ययोजना
भाजपा विधानसभा और लोकसभा चुनाव परिणामों की समीक्षा कर रही है। इस आधार पर मतदान केंद्र प्रबंधन को नए सिरे से मजबूत करने की कार्य योजना पर अमल चालू हो गया है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि प्रदेश में ग्वालियर चंबल अंचल और विंध्य, बघेलखंड ही ऐसा क्षेत्र है, जहां संगठन को लगातार फोकस करना पड़ेगा, क्योंकि जातिवादी राजनीति सबसे अधिक इन्हीं दो अंचलों में है। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण विंध्य, बघेलखंड, ग्वालियर और चंबल अंचल की राजनीति पर उत्तर प्रदेश की घटनाओं और समीकरणों का प्रभाव पड़ता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा का सबसे कम मार्जिन ग्वालियर चंबल अंचल की मुरैना, ग्वालियर और विंध्य की सतना सीट पर था। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए संगठन नई कार्य योजना पर काम कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस को जरा भी स्पेस नहीं देना चाहती। इसी कार्य योजना के चलते कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनिवास रावत को 2 दिन पूर्व कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। रामनिवास रावत यदि भाजपा में नहीं आते तो भिंड, मुरैना और गुना तीनों सीटों पर भाजपा के चुनाव परिणामों पर असर पड़ सकता था। रामनिवास रावत को कैबिनेट मंत्री बनने से यह भी स्पष्ट हुआ कि ग्वालियर चंबल अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया का वर्चस्व आने वाले दिनों में और बढऩे वाला है। इसी तरह विंध्य और बघेलखंड पर भी भाजपा अलग से काम करेगी। यहां उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला को कमान दी गई है। इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मध्य क्षेत्र का नेतृत्व भी लगातार मॉनिटरिंग करेगा।मध्य प्रदेश में हारे हुए बूथों की भाजपा अब समीक्षा कर मजबूत पकड़ बनाने में जुटेगी। इसके लिए नए सिरे से रणनीति बनाकर काम किया जाएगा। भाजपा भले ही लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ जीती हो लेकिन विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हारे हुए बूथ अब भी पार्टी के लिए चुनौती है। भाजपा केंद्र में भी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार नहीं बना पाई है। ऐसे में इससे सबक लेते हुए भाजपा अब हारे हुए 20 प्रतिशत बूथों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पसीना बहाएगी। इसके लिए आगामी दिनों में मतदान केंद्रवार विभिन्न आयोजन किए जाएंगे। इन आयोजनों में विधायक और सांसद को अनिवार्य रूप से शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं।
भाजपा का बूथ प्रबंधन ज्यादा बेहतर
दरअसल, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत की वजह उसका बूथ प्रबंधन रहा है। चुनाव से लगभग एक वर्ष पहले से ही भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी थी। बूथ संपर्क सहित कई अभियान चलाए गए। अब कांग्रेस 2028 के विधानसभा चुनाव के लिए उसी तर्ज पर काम करने जा रही है। समस्या यह है कि कांग्रेस के पास बूथ स्तर पर कार्यकर्ता नहीं है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दो दिन चली बैठक में पहले दिन विधानसभा चुनाव में कुछ पराजित प्रत्याशियों ने कहा था कि उन्हें कुछ बूथों पर एजेंट तक नहीं मिले। ऐसे में ब्लाक अध्यक्ष और जिलाध्यक्षों को बूथ स्तर पर टीम बनाने का लक्ष्य दिया जाएगा। बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की हर 15 दिन में बैठक होगी, जिसमें जिला या ब्लॉक स्तर का कोई न कोई पदाधिकारी भी उपस्थित रहेगा। जिला और ब्लाक स्तर की समितियों की प्रतिमाह बैठकें होंगी। शहरों में वार्ड स्तर पर भी अभी से कमेटी बनाई जाएगी। प्रदेश स्तर पर बनने वाली चुनाव प्रबंधन समिति जिला और ब्लाक के पदाधिकारियों को मार्गदर्शन देगी। कांग्रेस में दूसरे दलों से आए नेताओं के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए जाएंगे, जिससे वे पार्टी की विचारधारा से अच्छी तरह से परिचित हो सकें।

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