- दो साल से मप्र देश में लगातार आ रहा है पहले स्थान पर
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन को देश में मप्र साकार कर रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिशा निर्देश पर राज्य सरकार ने डिजिटल मप्र की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यही वजह है कि इस बार भी मप्र ने नेशनल लैंड रिकॉर्ड एंड सर्विस इंडेक्स में पहला स्थान हासिल किया है। खास बात यह है कि मप्र ने बीते साल भी इसी मामले में देश में पहला स्थान हासिल किया था। वहीं सरकार ने 2023 तक मप्र की जमीनों का पूरा रिकार्ड डिजिटल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। गौरतलब है कि लैंड रिकार्ड डिजिटाइजेशन में मप्र सरपट दौड़ रहा है। लैंड डिजिटाइजेशन में मप्र नए रिकॉर्ड बना रहा है। इसके चलते 100 फीसदी लैंड डिजिटाइजेशन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार का मकसद है कि विधानसभा चुनाव 2023 तक मप्र की जमीनों के पूरे रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया जाए। इसके लिए लक्ष्य को रिवाइज कर काम शुरू किया गया है।
मप्र के मुकाबले कोई अन्य राज्य नहीं
लैंड रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन में मप्र देश के अन्य राज्यों से काफी आगे है। नेशनल काउंसिल ऑफ एंप्लॉइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के भूमि रिकॉर्ड और सेवाओं के सूचकांक 2020-21 में मध्यप्रदेश सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा है। इसके बाद पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु रहे। इसमें जमीन के रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन और इस रिकॉर्ड की गुणवत्ता देखी गई। नेशनल लैंड रिकॉर्ड एंड सर्विस इंडेक्स के सर्वे में मध्यप्रदेश का 74.9 इंडेक्स स्कोर है। वहीं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि सभी गांव के जमीनों के रिकॉर्ड को डिजिटली बदल रहे हैं। जो रिकॉर्ड बचे हैं वह जल्द पूरे होंगे। पुराने रिकॉर्ड को भी डिजिटल किया जा रहा है।
डिजिटल मप्र का मॉडल दूसरे राज्यों को भाया
विभागीय जानकारी के अनुसार मप्र में तीन करोड़ से ज्यादा खसरे ई-वर्किंग के जरिए जारी किए गए हैं। अब तय किया गया है कि खसरे को पूरी तरह ई-फॉर्मेट में ही आवेदन लेकर जारी किया जाए। सरकार ने नए लक्ष्य को तय कर दिसंबर 2023 तक डिजिटाइजेशन के लिए वर्क प्लान बनाया है। कोशिश है कि चुनाव तक लैंड रिकॉर्ड को 100 फीसदी डिजिटल कर दिया जाए, ताकि मप्र को डिजिटाइजेशन में बड़े ब्रांड के रूप में पेश किया जा सके। डिजिटल मप्र का मॉडल दूसरे राज्यों को भी पसंद आ रहा है और उसे कई राज्यों में भेजने की तैयारी है। प्रदेश में सीमांकन के लिए भी नई कोर्स पद्धति लागू की गई है। इसके तहत 90 स्टेशन कोर्स पद्धति के बनाए गए हैं। इन्हें बढ़ाकर चार गुना से ज्यादा किया जाएगा। इसके पीछे भी सैटेलाइट से सटीक सीमांकन होना वजह है। यह पद्धति अपडेट है। सीएम शिवराज की हाल ही में राजस्व समीक्षा के बाद इन कामों को नए लक्ष्य और गाइडलाइन के हिसाब से तेज कर दिया गया है।
22 लाख से ज्यादा परिवारों के प्रॉपर्टी रिकॉर्ड तैयार
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2021 में ही मप्र को डिजिटाइजेशन के मामले में देश में नंबर वन होने का तमगा दिया है। इसमें मप्र में लैंड डिजिटाइजेशन और स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन को आधार मानकर देश में नंबर वन करार दिया गया। तब मोदी ने एक लाख 71 हजार हितग्राहियों को सिंगल क्लिक के जरिए स्वामित्व योजना में ई-दस्तावेज सौंपे थे। इस योजना में 22 लाख से ज्यादा परिवारों के प्रॉपर्टी रिकॉर्ड तैयार हो चुके हैं।
2 साल में दुरुस्त होंगी सारी गड़बड़ियां
लैंड डिजिटाइजेशन में जो गांव अब तक सही सीमांकन में नहीं मिल रहे हैं, उनके लिए भी सैटेलाइट और भौतिक सत्यापन की व्यवस्था अपनाई जाएगी। इससे जिन गांवों-कस्बों के सीमांकन-चिह्नांकन में पहले गलतियां हुई थीं, उन गलतियों को सुधारा जा सकेगा। ऐसे सैकड़ों गांव है, जो इन गड़बड़ियों का शिकार है। इन्हें भी अगले 2 साल के भीतर दुरुस्त किया जाएगा। सरकार ने खसरा खतौनी-सीमांकन सहित कई सुविधाओं को फॉर्मेट में तब्दील कर दिया है। इसके बाद अब बाकी सेवाओं को भी इस फॉर्मेट में लाया जाएगा। नामांतरण को रजिस्ट्री के साथ ही जोड़ा जाएगा। इसके लिए भी डिजिटल आवेदन का विकल्प रहेगा। इसमें रजिस्ट्री के साथी ऑटोमेटिक नामांतरण हो जाएगा। वहीं सभी प्रकार की सेवाओं का मोबाइल ऐप तक विस्तार होगा।