मप्र बनेगा विकास प्रदेश

मप्र

-शिव ‘राज’ का प्लान
-चौतरफा विकास की ओर बढ़ रहा प्रदेश, देश की सर्वाधिक 19.7 प्रतिशत विकास दर

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मप्र आज देश में तेजी से विकास कर रहा है। विकासशील राज्य को विकसित राज्य बनाने के लिए शिवराज सरकार ने ऐसा प्लान बनाया है कि 2023 में मप्र विकास प्रदेश बन जाएगा। इसकी झलक अभी से दिखने लगी है। शिव ‘राज’ का ही प्रयास है कि आज मप्र चौतरफा विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र देर से ही सही अपने गठन के समय बूझी गई संभावनाओं को साकार करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। खासतौर से पिछले डेढ़ दशक का अरसा इस बात का गवाह रहा है, कि मप्र विकास के पथ पर अब आगे ही आगे है। सुविचारित सोच, सुचिंतित नीतियों, फैसलों और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रेरणादायी नेतृत्व ने सरकार की नीति और नीयत के फर्क को मिटाकर सच्चे अर्थों में प्रदेश के विकास और लोगों की बेहतरी के कामों की तस्वीर में नए रंग भर दिए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सेवा, समर्पण, सक्रियता के कारण मप्र ने पिछले सालों में विकास के जो अध्याय लिखे हैं उससे कई राज्य सीख ले रहे हैं। सबसे बड़ी उपलब्धि तो यह है कि प्रदेश की विकास दर वर्तमान मूल्यों पर 19.7 प्रतिशत तक पहुंच गई जो देश में सर्वाधिक है। सकल घरेलू उत्पाद 10 लाख करोड़ है। पूजीगत व्यय भी 48 हजार करोड़ हो गया है। प्रदेश सरकार ने स्थायी विकास और आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। करीब 20 साल में प्रति व्यक्ति आय 13 हजार से बढक़र अब एक लाख 23 हजार रुयये हो गई है। औद्योगिक निवेश, मध्यम, सूक्ष्म और लघु उद्योगों को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इसका उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ाना है। रोजगार मेलों का जरिए अभी तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 10 लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार दिलाया गया है। बुनियादी सुविधाएं जैसे आवास, पानी, बिजली और सडक़ों का विस्तार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी तक 33 लाख आवास बनाए जा चुके हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपए का प्रविधान किया गया है। माफिया से 21 हजार एकड़ जमीन मुक्त कराई गई है। इस पर सुराज कालोनी बनाकर गरीबों को आवास दिलाए जाएंगे।

देश का सबसे विकसित राज्य बनेगा मप्र
शिव ‘राज’ का संकल्प है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की थीम की मदद से मप्र 2023 के अंत तक देश का सबसे विकसित राज्य बनेगा। इसमें सुदृढ़ अधोसंरचना के साथ औद्योगिक संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। प्रदेश ने वर्ष 2003 के बाद अधोसंरचना के साथ-साथ कृषि, सिंचाई, औद्योगिक विकास के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं लेकिन विकास एक सतत प्रक्रिया है। नई तकनीकों के ईजाद हो जाने पर संसाधनों को बेहतर बनाने का क्रम लगातार जारी रहता है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण देश को दिया तो उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की रुपरेखा तैयारी की गई और उसपर तेजी से काम शुरू हो गया है। वर्ष 2023 तक मध्यप्रदेश में सभी लक्ष्यों की पूर्ति कर ली जायेगी। औद्योगिक विकास गतिविधियों के साथ-साथ औद्योगिक संस्थाओं को सामाजिक क्षेत्र में काम करने की जरूरत है। नागरिकों में भी अपने सामाजिक दायित्व बोध जगाने की आवश्यकता है। तभी हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।
आज मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में न केवल अपनी बल्कि भारत सरकार की भी लोक कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने में अग्रणी बनकर उभरा है। मध्यप्रदेश की इन्हीं उपलब्धियों को देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश को भारत की अर्थ-व्यवस्था की ड्रायविंग फोर्स बनने की पूरी क्षमता वाला बताया है। भारत सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश के अग्रणी राज्य है। यहां स्वामित्व योजना, एनीमिया मुक्त भारत, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, जल जीवन मिशन, कृषि अधोसंरचना निधि, नगरीय विकास, प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना, मनरेगा, स्व-सहायता समूहों का सशक्तीकरण, प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), स्वच्छ भारत मिशन, ट्रान्सजेण्डर पहचान-पत्र, दिव्यांगजन पहचान-पत्र, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, सौर ऊर्जा, कौशल विकास, ईज ऑफ डूईंग बिजनेस में मप्र सभी राज्यों से आगे है।

अब चौपाल से चलेगी सरकार
मप्र में पेसा कानून लागू कर दिया गया है। पेसा कानून लागू कर चुकी सरकार अब जनजातीय बहुल प्रदेश के 89 विकासखंडों में मास्टर ट्रेनर भेजकर कानून के फायदे बता रही है। वहीं मास्टर ट्रेनर गांवों में जाकर बताएंगे कि पेसा कानून से उन्हें क्या अधिकार मिले हैं और इससे उनका जीवन कितना आसान होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद जिलों में जाकर पेसा एक्ट जागरुकता और ग्रामसभा कार्यक्रम में लोगों को एक्ट की जानकारी दे रहे हैं। इस दौरान उनका कहना है कि अब प्रदेश की सरकार भोपाल से नहीं बल्कि गांंव की चौपाल से चलेगी। अक्ल का चक्का नेता-अफसर के पास ही नहीं गरीब के पास भी है। इसलिए अब वह वनोपज, तेंदुपत्ता खुद बेच सकेंगा। यहां तक ग्रामसभा में कई महत्वपूर्ण निर्णय भी ले सकेंगा। अब अनुसूचित गांवों में जनता के बीच पटवारी और वन विभाग के अफसर जाएंगे। हर साल खसरा नकल ग्रामीणों के सामने रखकर बताएंगे कि यह जमीन किसकी है। ताकि ऐसा न हो कि धन्ना की जमीन पन्ना के नाम हो गई हो और धन्ना को मालूम ही न हो। अब सरकारी निर्माण कामों में आदिवासी क्षेत्रों की जमीन उनकी बगैर अनुमति के नहींं ली जाएगी। मालिक के अलावा ग्रामसभा की अनुमति भी ली जाएगी, तभी जमीन का अधिग्रहण हो सकेगा। कोई बिना मर्जी या जबरदस्ती के जमीन नहीं हड़प पाएंगा। इसके अलावा धर्मांतरण का कुचक्र नहींं चलने दिया जाएगा। क्योंकि, आदिवासी बहन-बेटियों से शादी करवाकर जमीन उनके नाम करवा ली जाती है। आदिवासी की जमीन पर खदान की अनुमति के लिए ग्रामसभा का अप्रूवल लगेगा।
आदिवासी ग्रामों में बने तालाबों में मछली पालन आदि का जिम्मा ग्रामसभा के पास रहेगा। उसकी परमिशन भी ग्रामसभा देगी, न कि भोपाल से मिलेगी। इसके अलावा 100 एकड़ जमीन तक के तालाबों से सिंचाई व्यवस्था का जिम्मा भी ग्रामसभा के पास रहेगा। जो लोग काम की तलाश में बाहर जाते है, उन्ही ग्रामसभा को जानकारी देना होगी। ताकि, बाहर के जिले या प्रदेश में उनके साथ अनहोनी हो तो मदद की जा सकें। कोई भी व्यक्ति उन्हें बंधक बनाकर काम नहीं करवा सकेंगा। अभी मनरेगा में भ्रष्टाचार होता है। 100 मजदूरों के नाम से राशि निकाली जाती है और काम सिर्फ 50 लोग ही कर रहे होते है। ऐसे में मस्टर रोल यानी हाजिरी रजिस्टर को ग्रामसभा में रखकर जनता को बताना पड़ेगी। अनुसूचित गांवों में शराब और भांग की दुकान के लिए ग्रामसभा तय करेगी कि खुलेगी या नहीं। कई किसान लोग साहूकार से कर्ज लेते है, इसके लिए साहूकार के पास लाइसेंस होना चाहिए। ब्याज की दर सीमित होना चाहिए। गांवों में शांति और विवाद निवारण समिति बनेगी, जो छोटे विवादों को सुलझाएगी ताकि मामला पुलिस थाना तक नहीं पहुंचे। दरअसल, साल 2018 के चुनाव से सबक लेते हुए भाजपा आदिवासियों को साधने में एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। प्रदेश में 23 फीसदी से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं। 47 सीटे जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। जनजातीय वर्ग का वोट बैंक कांग्रेस का माना जाता रहा है। साल 2018 के चुनावों में भाजपा को आदिवासी वोटर वाली सीटों पर शिकस्त मिली थी। पेसा एक्ट के जरिए अब भाजपा ने इसमें सेंध लगाने की कोशिश की है। आदिवासी वोट बैंक के जरिए ही सत्ता तक पहुंचना आसान माना जाता रहा है। पेसा एक्ट आदिवासी वोट बैंक के लिहाज से सरकार के लिए बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है।

नौकरियों की आएगी बहार
प्रदेश में सरकार अगस्त 2023 तक 1.12 लाख सरकारी खाली पदों पर भर्ती करेगी। विधानसभा चुनाव को देखते हुए आचार संहिता लगने के काफी पहले भर्ती करने की तैयारी है। युवाओं के लिए रोजगार सबसे बड़ी जरूरत है। रोजगार सरकारी क्षेत्र में हो या निजी में, योग्यतानुसार कार्य मिल जाए, यह जरूरी है। पर्याप्त अमले से संस्थानों, विभागों की कार्य-प्रणाली सहज, आसान होती है। मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रति माह रोजगार दिवस के फलस्वरूप बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है। औद्योगिक संस्थानों में स्थानीय युवाओं की सेवाएं लेने को महत्व दिया जा रहा है। राज्य सरकार सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरने दृढ़ संकल्पित है। इसी की पूर्ति के लिए अभियान संचालित कर शासकीय विभागों में रिक्त पद भरे जा रहे हैं। जीएडी एसीएस विनोद कुमार ने बताया कि 15 अगस्त से शुरू हुआ भर्ती अभियान 12 महीने चलेगा। अगले अगस्त तक 1 लाख 12 हजार 724 खाली पद भरेंगे। नवंबर में लगभग 60 हजार पद भरने प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। शिवराज ने कहा कि गृह विभाग में ही 6 हजार आरक्षक पदों पर नियुक्ति देने की पहल हुई है। प्रयास यह है कि किसी एक दिन सभी को समारोह पूर्वक नियुक्ति-पत्र प्रदान किए जाएं। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विभागों के पदों को भरने की कार्रवाई के साथ ही राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों में भी पदों की पूर्ति के लिए कार्यवाही की जा रही है। उपस्थित मंत्रीगण ने रोजगार और स्व-रोजगार क्षेत्र में हो रहे कार्य को महत्वपूर्ण बताया। प्रदेश में स्व-रोजगार के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की मुख्यमंत्री निरंतर समीक्षा कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि प्रतिमाह तीन लाख लोगों को रोजगार अवसरों से जोडऩे के प्रयासों में सफलता मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिमाह रोजगार दिवस का आयोजन हो रहा है। साथ ही नवीन निवेश के आने की रफ्तार भी बढ़ी है। यह पहली बार हुआ है कि मप्र में शासकीय और निजी क्षेत्र में इतने अधिक पद भरे जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में कई बड़े उद्योग आ रहे हैं। उद्योगों की स्थापना के लिए निवेशक भी निरंतर आ रहे हैं। पिछले महीनों में चयनित छह हजार पुलिस आरक्षकों को समारोहपूर्वक ज्वाइन कराया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग पांच साल के अंतराल के बाद वर्ष 2023 में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। इसमें पात्र पाए गए अभ्यर्थियों से शिक्षकों के 29 हजार से अधिक पद भरे जाएंगे। वर्ष 2020 के रोस्टर के आधार पर होने वाली इस भर्ती से स्कूल शिक्षा विभाग में 15 हजार और जनजातीय कार्य विभाग में 14 हजार पद भरे जाएंगे। इससे पहले वर्ष 2018 में शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसमें पात्र पाए गए अभ्यर्थियों के लिए भर्ती अवधि बढ़ाकर वर्तमान में शिक्षकों के 17 हजार से अधिक पद भरे जा रहे हैं। कर्मचारियों की संख्या की दृष्टि से बड़े स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 70 हजार से अधिक पद खाली हैं। वहीं हर साल डेढ़ से दो हजार पद रिक्त भी होते हैं। इस अनुपात में भर्ती नहीं होती। जिससे शिक्षकों की कमी बनी रहती है। इस स्थिति को देखते हुए विभाग ने हर साल नियुक्ति करना तय किया है। सामान्य प्रशासन विभाग के नियम कहते हैं कि विभाग कर्मचारियों की संख्या के पांच प्रतिशत रिक्त पदों पर अपने स्तर पर भर्ती कर सकते हैं। इससे अधिक पदों पर भर्ती के लिए वित्त विभाग से अनुमति लेनी होती है। इसी नियम को आधार बनाकर विभाग ने हर साल भर्ती करने की रणनीति बनाई है। इस लिहाज से करीब 29 हजार पदों पर हर साल नियुक्ति की जा सकेगी। वर्ष 2023 में पात्रता परीक्षा भी इसी उद्देश्य के लिए आयोजित की जा रही है।

डिफाल्टर किसानों का ब्याज सरकार भरेगी
कांग्रेस की कमल नाथ सरकार के कार्यकाल में कर्ज माफी योजना के कारण जो किसान डिफाल्टर हो गए थे, उनके ऋण का ब्याज शिवराज सरकार भरेगी। इसके संकेत खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय किसान संघ द्वारा आयोजित प्रदर्शन स्थल पर जाकर किसानों के बीच यह घोषणा की। मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय प्रांगण में किसानों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान की सहमति से ही उसकी जमीन का अधिग्रहण किया जा सकेगा। किसानों की मांगों का निपटारा करते हुए चौहान ने कहा कि किसान पम्प योजना का अनुदान अगले बजट में आ जाएगा। गन्ना किसानों का बकाया मिल मालिकों से बात कर वापस कराएंगे। जले हुए ट्रांसफार्मर को जल्द से जल्द बदलवाएंगे। नहरों की मरम्मत कर टेल एंड तक व्यवस्थित पानी पहुंचाएंगे। ओवरलोड ट्रांसफार्मर के साथ अतिरिक्त ट्रांसफार्मर रखने की व्यवस्था करेंगे। पीएम किसान सम्मान निधि, और मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि योजना में बचे हुए किसानों के नाम जोड़ेंगे। राजस्व के और बिजली बिल निराकरण के शिविर लगाए जायेंगे। जमीन क्रय करने के बाद शीघ्र नामांतरण की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे । रेवेन्यू की जमीन पर पुराने कब्जे है, वर्षो से खेती कर रहे है उन्हे पट्टे देने का काम करेंगे। आज आपके बीच आया हूं क्योंकि किसान आए हैं और मामा उनके बीच ना आए, ये हो ही नही सकता। किसान भाइयों और बहनों की समस्याओं को समझना हमारा कर्तव्य है। ऐसा थोड़ी है कि किसान यहां नारे लगाते रहे, मैं और कहीं निकल जाऊं इसलिए मैंने तय किया कि पहले मैं किसान भाइयों और बहनों के बीच जाऊंगा। आपके बीच में आया हूं तो आप के प्रति प्रेम और श्रद्धा मन में रख कर आया हूं और इस भाव के साथ आया हूं कि जो भी जायज समस्या किसान भाइयों की होगी। मुख्यमंत्री के पहुंचने से पूर्व भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहनी मोहन मिश्र ने कहा कि सरकारें किसान को लाचार और कमजोर समझने की भूल न करें। कोरोना जैसी महामारी में अपने जीवन को दांव पर लगाकर पूरे देश का पेट भरने वाले किसान यदि नाराज हो जाएंगे तो अच्छा नहीं रहेगा। प्रदेश आज विकसित राज्यों की दौड़ में शामिल है। गेहूं उत्पादन के साथ ही उपार्जन में भी हम अव्वल हैं। हमने पंजाब जैसे राज्यों को पीछे कर बता भी दिया है और जता भी दिया है कि प्रदेश के किसान मुख्यमंत्री के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा करने को दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। गुणवत्ता में भी हम सबसे मुकाबला करने को तत्पर हैं। राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाएं, कुशल और सक्षम नेतृत्व, वैज्ञानिकों के साथ ही किसानों की मेहनत का सुफल है कि प्रदेश की रायसेन मण्डी में धान समर्थन मूल्य से 1200 रूपये अधिक तक बिक रहा है। सरकार सतत प्रयास कर रही है कि किसानों को उनकी उपज का दोगुना से ज्यादा लाभ मिले। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से जनता को लाभान्वित करने में मध्यप्रदेश प्रथम पयदान पर है। उक्त योजना का लाभ देश में सबसे पहले हरदा जिले के किसान रामभरोस विश्वकर्मा को मिला। प्रदेश कृषि अधो-संरचना निधि के उपयोग में भी देश में अव्वल है। प्रदेश में इस निधि से 1508 प्रकरण में 852 करोड़ रूपये की राशि वितरित की गई है, जो देश में अब तक किये गये व्यय की कुल 45 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के साथ ही मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में किसानों को प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 2-2 हजार रूपये की दो किश्तें प्रदान की जा रही हैं। अब तक प्रदेश के 80 लाख किसानों को 4751 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है। प्रदेश प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सबसे अधिक किसानों को लाभान्वित करने वाला राज्य है। योजना में रबी 2020-21 में ही 49 लाख किसानों को 7618 करोड़ रूपये की दावा राशि का भुगतान किया गया। सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभान्वित करने के लिये वन ग्रामों को भी योजना में शामिल करना, फसल अधिसूचित करने के लिये न्यूनतम सीमा 100 के स्थान पर 50 हेक्टेयर करना, क्षति आकलन के लिये बीमा पोर्टल को लेण्ड रिकॉर्ड के एनआईसी पोर्टल से लिंक करना, अवकाश के दिनों में भी बैंक खुलवा कर किसानों का बीमा कराना और बीमा कव्हरेज के स्केल ऑफ फायनेंस को 100 प्रतिशत तक करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। सिंचाई सुविधाओं में अकल्पनीय विस्तार हुआ है। आज प्रदेश में सिंचित क्षेत्र का रकबा लगभग 45 लाख हेक्टेयर तक पहुँच चुका है। वर्ष 2025 तक इसे बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। प्रदेश जैविक खेती में पहले स्थान पर है। गुड गवर्नेंस इण्डेक्स 2021 में कृषि संबद्ध क्षेत्र में मध्यप्रदेश नम्बर वन है। कृषि विकास के लिये प्रदेश में ड्रोन, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक पर काम हो रहा है। इसके लिये कृषि क्षेत्र में आधुनिक एवं उन्नत तकनीकों के प्रयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान, इंटरनेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च इन ड्राई एरिया (एकार्डा) की मदद ली जा रही है। एम-पोर्टल से एसएमएस द्वारा कृषि संबंधी सलाह किसानों को दी जा रही है। प्रदेश में बीज, उर्वरक, कीटनाशक लायसेंस प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन की गई है। प्रदेश में किसानों के हित में निर्णय लिया जाकर अब गेहूँ के साथ ही मूंग, चना, उड़द और मसूर जैसी दलहन और सोया, सरसों जैसी तिलहन का भी उपार्जन किया जा रहा है। सरकार किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग का उपार्जन भी कर रही है। इन सबसे किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग खुला है। सरकार ने फसलों के आने के साथ ही उपार्जन से किसानों को उपज का वाजि़ब दाम मिलना सुनिश्चित किया है। किसान आधुनिक तकनीक से लैस हो रहे हैं।

समय सीमा में पूरा होगा टारगेट
आत्मनिर्भर मप्र के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों, अधिकारियों को एक ही मंत्र दिया है कि टारगेट को समयसीमा में पूरा करना है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि आत्म निर्भर भारत का अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चला रहे हैं और इसमें मप्र की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रखना है। आत्म निर्भर मप्र देश की आत्मनिर्भरता में बड़ा सहयोग देगा। उन्होंने मंत्री, अधिकारियों से कहा कि हमारी योजनाओं का खाका ऐसा हो जो जनोपयोगी और आसानी से सुलभ होने वाला रहे। जहां जरूरत हो, वहां नियमों में बदलाव भी जनहित के हिसाब से किया जासकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आय के स्त्रोत बढ़ाने के लिए वसूली पर फोकस कराएं। अधिकारी इस बात का ध्यान भी रखें कि किस योजना में केंद्र से कितना पैसा आया है, उसका कितना उपयोग हुआ है। इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र समय से भेजकर केंद्र से योजनाओं पर अमल के लिए आगे भी राशि लेने की तैयारी रखनी है। जहां जरूरत है वहां विभाग के मंत्री या फिर उनके जानकारी में बात सामने लाकर इस काम को पूरा करना है। केंद्र की योजनाओं को पूरा करने के मामले में भी अधिकारियों से लगातार मानीटरिंग करने के लिए कहा गया।
मुख्यमंत्री ने विभागों के अधिकारियों से साफ-साफ शब्दों में कहा है कि जनता की संतुष्टि ही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसलिए जनता के हितों में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में कानून-व्यवस्था सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। पुलिस के कार्यों के प्रति जनता की संतुष्टि ही राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रदेश में बच्चों और महिलाओं के प्रति अपराध, सायबर अपराध, ड्रग्स के प्रकरण और नक्सल समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कार्य-योजना बनाना आवश्यक है। कानून-व्यवस्था की स्थिति के आधार पर जिलों की रैंकिंग सुनिश्चित की जाए। इससे जिलों में प्रतिस्पर्धी भाव विकसित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएसपी, एसडीओपी तथा पुलिस अधीक्षक और इससे उच्च स्तर के अधिकारियों को क्षेत्र में दौरे बढ़ाने की आवश्यकता है। अधिकारियों के दौरों से कानून-व्यवस्था की स्थिति में सकारात्मक सुधार आने के साथ जनता में पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास भी बढ़ता है। पुलिस मुख्यालय में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के अनुभव का उपयोग भी क्षेत्र की समस्याओं के समाधान में किया जाना चाहिए। अधिकारियों के दौरों का व्यवस्थित रिकार्ड राज्य स्तर पर संधारित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आदर्श थाने विकसित किए जाये, जिनमें जनता से व्यवहार, अपराधों पर नियंत्रण जैसे बिन्दुओं के आधार पर निश्चित समयावधि में रैंकिंग की जाए। थानों को जनता से बेहतर संवाद और जनता का विश्वास अर्जित करने की दिशा में कार्य करना होगा। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि थाने कबाड़ का अड्डा नहीं बने। जप्त वाहनों का समय-सीमा में निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए निश्चित नीति निर्धारित की जाए।

योजनाओं की जानकारियां जुटाना किया शुरू
शिवराज सिंह चौहान से जुड़े लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अपने स्तर पर जमीनी स्तर पर योजनाओं की जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया है, इतना ही नहीं मुख्यमंत्री आवास से हर जिले में योजनाओं के लाभार्थियों से सीधे संवाद किया जा रहा है और इस दौरान कई ऐसी जानकारियां उनके पास आ रही हैं जो आसानी से सुलभ नहीं होती, क्योंकि अधिकारी गड़बडिय़ों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री ने अपना एक अलग से खुफिया तंत्र विकसित कर लिया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि एक जिले के कलेक्टर से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने उस इलाके के भ्रष्ट अफसरों की सूची तक उन तक पहुंचा दी और कार्रवाई के निर्देश भी दिए। ज्यादातर शिकायतें आवास निर्माण से लेकर राशन वितरण और पानी व बिजली से जुड़ी आ रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को भी निर्देश दिए हैं कि वे अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क विकसित करें और भ्रष्ट अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई भी करें। मुख्यमंत्री हर बैठक में साफ कह रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने एक कलेक्टर को भ्रष्ट अधिकारियों की सूची सौंपे जाने के मामले पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने तंज कसा है और सवाल किया है। सीएम बड़े या डीएम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खंडवा के भ्रष्ट अधिकारी की सूची कार्रवाई के लिए कलेक्टर को सौंपी, क्या सीएम उन पर कार्रवाई के लिए अक्षम है, जिस कलेक्टर के मातहत इतन भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उन्हें पद पर रहने का क्या अधिकार है, क्या वह डीएम इन की निष्पक्ष जांच कर पाएंगे और जब सीएम को इनके भ्रष्टाचार की जानकारी है तो यह अधिकारी अभी तक बचे कैसे हैं। यह कैसी जीरो टॉलरेंस नीति है।

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