नरवाई जलाने में मप्र अव्वल तो प्रदेश में पहले स्थान पर विदिशा

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  • रिपोर्ट जारी होने के बाद अब जागा प्रशासन

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। नरवाई जलाने के मामले में मध्य प्रदेश नंबर एक पर है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआई) के कन्सोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रो-ईकोसिस्टम मानीटरिंग एंड माडलिंग फ्रॉम स्पेस (सीआरईएएमएस) के बुलेटिन से यह खुलासा हुआ है। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सीआरईएएमएस बुलेटिन के अनुसार मध्य प्रदेश में अभी तक गेहूं की पराली यानि नरवाई जलाने की 20422 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। अहम बात यह है कि इस मामले में विदिशा पहले नंबर पर है। उज्जैन तीसरे और सफाई में नंबर-1 इंदौर नरवई जलाने के मामले में 5वें नंबर पर है। नरवई जलाने को लेकर यह चौंकाने वाली रिपोर्ट 21 अप्रैल को सामने आई है। बता दें कि सीआरईएएमएस गेहूं के अवशेष जलाने के कारण होने वाली सक्रिय आग की घटनाओं की सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग से निगरानी करता है। इन घटनाओं का आकलन मानक प्रोटोकाल का पालन करते हुए किया जाता है। सीआरईएएमएस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में नरवाई जलाने में सबसे आगे विदिशा में 1 से 21 अप्रैल तक 3181 घटनाएं हो चुकी हैं। इंदौर में 1 से 21 अप्रैल तक 1281 घटनाएं हो चुकी हैं। यह पिछले साल के मुकाबले लगभग 4 गुना ज्यादा हैं। 2024 में इंदौर में नरवई जलाने की मात्र 387 घटनाएं दर्ज की गई थी।
कृषि मंत्री शिवराज के क्षेत्र में सर्वाधिक मामले
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का संसदीय क्षेत्र विदिशा इस साल नरवई जलाने में पहले स्थन पर है। इसके पहले 2022 में विदिशा दूसरे नंबर पर था। तब विदिशा में नरवई जलाने की 2481 घटनाएं दर्ज हुई थी। वहीं 2023 में 941 और 2024 में 601 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। 2025 में 1 से 21 अप्रैल तक नरवई जलाने की 3181 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। असी तरह से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृह जिला उज्जैन इस साल नरवई जलाने के मामले में तीसरे नंबर पर है। उज्जैन में नरवई जलाने के मामले रोजाना बढ़ रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 19 अप्रैल के बुलेटिन के अनुसार उज्जैन नरवई जलाने में चौथे नंबर पर था। वहीं 21 अप्रैल के बुलेटिन में उज्जैन तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। 2023 में नरवई जलाने के मामले में उज्जैन दूसरे नंबर पर था। 2023 में उज्जैन में नरवई जलाने की 1349 घटनाएं दर्ज की गई थी। वहीं इस साल 1 से 21 अप्रैल तक 1606 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। उज्जैन में 2024 में नरवई जलाने की 432 घटनाएं दर्ज की गई थी।
क्यों जलाई जाती है नरवई
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डीके वाघेला ने बताया कि किसान गेहूं की फसल के बाद ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई करते हैं। इसलिए खेतों को जल्द खाली करने के चक्कर में नरवाई में आग लगा देते हैं। नरवई जलाने के कारण वातावरण प्रदूषित होता है।
कलेक्टर की सख्ती भी बेकाम
इंदौर में कलेक्टर आशीष सिंह ने नरवई जलाने वाले किसानों पर सख्ती बरतने के लिए कहा है। लगातार जिला प्रशासन की टीम नरवई जलाने वाले किसानों को चिह्नित कर जुर्माना लगा रही है। लेकिन इसके बाद भी कलेक्टर की सख्ती का असर इंदौर के आसपास के क्षेत्रों के किसान पर नजर नहीं आ रहा है। सीआरईएएमएस की रिपोर्ट के अनुसार इंदौर में सबसे ज्यादा नरवई जलाने के मामले देपालपुर और महू क्षेत्र में सामने आए हैं। देपालपुर में रात और महू में दिन में नरवई जलाने की घटनाएं सामने आई हैं। इंदौर में नरवई जलाने की घटनाएं ज्यादा होने के कारण पॉल्यूशन का स्तर भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इस पूरे महीने एक भी दिन एआईक्यू लेवल 100 के नीचे नहीं आया है। इंदौर में इस मामले में जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए 13 किसानों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराई। कनाडिया क्षेत्र में एक, मल्हारगंज में एक, खुड़ैल में एक, राऊ में 3, डॉ, अम्बेडकर नगर महू में एक, सांवेर में दो, देपालपुर में एक और अन्य जगह पर 3 इस तरह किसानों पर कुल 13 एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है।
2022 से अब तक नरवाई जलाने वाले टॉप जिले
जिला 2022 2023 2024 2025
विदिशा 2481 941 601 3181
होशंगाबाद 4051 2748 1584 1574
रायसेन 1913 981 834 1829
उज्जैन 665 1349 432 1606
इंदौर 811 951 387 1281

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