मध्यप्रदेश को जल्द मिल सकता है सौर ऊर्जा स्टेट का तमगा

सौर ऊर्जा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र जल्द ही देश का ऐसा राज्य बनने की राह पर है, जिसमें अपनी जरूरत के अलावा देश के कई अन्य महत्वपूर्ण संस्थान मप्र की सौर ऊर्जा से ही रोशन होंगे। इसकी वजह है प्रदेश में इस क्षेत्र में तेजी से काम किया जाना। फिलहाल प्रदेश के आगर-शाजापुर-नीमच के 1500 मेगावाट के नए सोलर पार्क को लेकर तेजी से काम किया जा रहा है। यही नहीं प्रदेश में करीब चार मेगावाट की सौर ऊर्जा की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इन सभी के पूरा होने पर मप्र में अगले साल तक करीब छह हजार मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही मप्र देश में सर्वाधिक सौर ऊर्जा उत्पादन करने वाला प्रदेश बन जाएगा। अभी मप्र से आगे तीन राज्य हैं।
खास बात यह है कि आगर-शाजापुर-नीमच में लगने वाले प्लांट में तैयार होने वाली बिजली की दरें प्रति यूनिट दो रुपए 14 पैसे तय कर दी गई है। इस प्लांट के लिए अब जल्द ही राज्य सरकार सोलर पार्क लगाने वाली छह कंपनियों के साथ एग्रीमेंट करेगी। सरकार हर हाल में इस प्लांट से मार्च 2023 तक उत्पादन शुरू करना चाहती है। इसके अलावा सरकार द्वारा ओंकारेश्वर बांध के जलग्रहण क्षेत्र के 12 वर्ग किमी में 600 मेगावाट के विश्व के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर पार्क के निर्माण की भी तैयारी पूरी कर ली गई है। इसके लिए सर्वे होने के बाद अब टेंडर का प्रारूप तैयार करने का काम किया जा रहा है। ओंकारेश्वर के साथ ही मुरैना में 1400 मेगावाट और छतरपुर में 950 मेगावाट के सोलर पार्क के निर्माण की भी तैयारी है। जमीन मिलते ही इन पर भी काम शुरू होगा। मुरैना में तीन हजार हेक्टेयर जमीन चाहिए, इसमें से 1800 हेक्टेयर चिन्हित कर ली गई है। छतरपुर में 1900 हेक्टेयर में से 1500 हेक्टेयर जमीन आवंटित हो गई है, शेष 400 हेक्टेयर जमीन पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में आ रही है। यदि यह जमीन नहीं मिलती है तो छतरपुर में 950 मेगावाट प्रोजेक्ट को 750 मेगावाट कर दिया जाएगा।
होगी 7600 करोड़ की बचत
आगर-शाजापुर और नीमच सोलर प्रोजेक्ट को लेकर विभाग का अनुमान है कि इस नए सोलर पार्क से 25 साल में सरकार के 7600 करोड़ रुपए बचेंगे। साथ ही 5250 करोड़ रुपए का निजी निवेश होगा। इस पार्क के लिए छह कंपनियों के नाम तय किए गए हैं इनमें आगर के 550 मेगावाट सोलर पार्क के लिए बीम पाव एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और अवाडा एनर्जी लिमिटेड, शाजापुर के 450 मेगावाट के लिए एनटीपीसी रिन्यूएबल तथा तले टटूताई सोलर प्रोजेक्ट और नीमच के 500 मेगावाट सोलर पार्क के लिए टीपी सौर्या लिमिटेड, मुम्बई तथा अल जोमेह एनर्जी एंड वॉटर कंपनी, दुबई शामिल हैं।
अभी इन परियोजनाओं पर जारी है काम
मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा की 5 हजार मेगावाट की परियोजनाएं निर्माणाधीन है। प्रदेश की पहली रीवा सौर परियोजना के लिए गठित कम्पनी रम्स द्वारा आगर, शाजापुर, नीमच, छतरपुर, ओंकारेश्वर तथा मुरैना में स्थापित होने वाली इन परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ किया है। आगरा में 550 मेगावाट, शाजापुर में 450 मेगावाट, नीमच में 500 मेगावाट, छतरपुर में 1500 मेगावाट, ओंकारेश्वर फ्लोटिंग ओंकारेश्वर बांध स्थल पर 600 मेगावाट और मुरैना में 1400 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सौर पार्कों की स्थापना की कार्यवाही चल रही है।
रूफ टॉप पर सौर ऊर्जा
प्रदेश में अब तक 30 मेगावाट क्षमता के सोलर रूफ टॉप संयंत्र स्थापित किये जा चुके है। इस वर्ष प्रदेश के 700 शासकीय भवनों पर 50 मेगावाट क्षमता के सोलर रूफ टॉप लगाना प्रस्तावित है। सोलर रूफ टॉप संयंत्रों से उत्पादित बिजली की दरें एक रुपए 38 पैसे प्राप्त हुई। सरकार का प्रयास है कि रूफटॉप संयंत्र घर-घर लगाए जाएं ताकि उपयोग के लिये बिजली सस्ती दरों पर मिलें। शासकीय भवनों पर सौर संयंत्र ऐसे मॉडल पर लगाये जा रहे हैं, जिसमें हितग्राही को विभाग अथवा संस्था को कोई पैसा नहीं देना है। संयंत्र विकसित करने वाला सस्ती बिजली उपलब्ध करायेगा।
एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट भी मध्यप्रदेश में
मप्र को एशिया का सबसे बड़ा सौलर प्लांट लगाने का तमगा पहले ही मिल चुका है। यह है रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट। यह रीवा जिले की गुढ़ तहसील में 1,590 एकड़ (6.4 वर्ग किलोमीटर) के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे जुलाई 2018 में 750 मेगावाट क्षमता के साथ चालू किया गया था। परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसी रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड, मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड और सौर ऊर्जा निगम का एक संयुक्त उद्यम है।

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