भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र को आत्मनिर्भर बनाने का जब से संकल्प लिया है, प्रदेश कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन रहा है। इसी में से एक है सौर ऊर्जा। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गया है। कोयले से बिजली बनाने में अग्रणी रहा मप्र अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी देश में अपनी नई पहचान बना रहा है और पर्यावरण के संरक्षण में अपनी बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। साल 2012 में प्रदेश की नवीकरणीय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता 500 मेगावॉट से भी कम थी, लेकिन आज प्रदेश में हुए सौर ऊर्जा के नवाचारों के माध्यम से यह क्षमता 5500 मेगावॉट से अधिक हो गई है। मप्र में प्रधानमंत्री मोदी के साल 2030 तक देश की ऊर्जा आवश्यकता की 50 प्रतिशत आपूर्ति सौर ऊर्जा से करने के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। मप्र में तय सीमा में इस लक्ष्य को हासिल करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
अन्नदाता किसानों को सरकार ऊर्जादाता किसानों में परिवर्तित कर रही है। कुसुम- योजना के तहत लगभग 500 मेगावॉट क्षमता के विकास के लिए काम किया जा रहा है। कुसुम-योजना के अंतर्गत 25 हजार से अधिक सौर पम्प स्थापित किए जा चुके हैं। कुसुम योजना के अंतर्गत 1000 कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। वहीं सांची शहर को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की कार्यवाही की जा रही है। गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इनका उपयोग आमतौर पर परिवहन और बिजली बनाने के लिए किया जाता है। पेट्रोलियम डेरिवेटिव के सेवन से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो ओजोन परत को प्रभावित करता है। पर्यावरणीय संतुलन के लिए ऊर्जा के नवीन और नवीकरणीय स्त्रोत को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से भी सौर ऊर्जा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। मप्र सरकार इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है। प्रदेश में पिछले 10 साल में नवकरणीय क्षमता में 11 गुना वृद्धि हुई है। औसतन हर साल सौर परियोजनाओं में 54 प्रतिशत और पवन परियोजनाओं में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सूर्य शक्ति अभियान
प्रदेश में गांवों को सौर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति के लिए आत्म-निर्भर बनाने के लिए सूर्य शक्ति अभियान की शुरूआत की गई है। देश में इस तरह का अनूठा अभियान शुरू करने वाला मप्र पहला राज्य है। ग्राम पंचायतों में सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देते हुए गांव की स्ट्री लाइटें, नल-जल प्रदाय, कार्यालयों में और अन्य कामों में सोलर बिजली को प्राथमिकता दी जा रही है। सौर ऊर्जा से प्रदेश की ग्राम पंचायतों में भविष्य में बिजली बिल पर होने वाले लगभग दो हजार करोड़ रुपये के व्यय को कम किया जा सकेगा। यह राशि गांव के अन्य विकास कामों में उपयोग की जा सकेगी। साथ ही कार्बन क्रेडिट का भी लाभ पंचायतों को मिल सकेगा। यह अभियान पंचायतों की आय में वृद्धि के लिए सहायक होगा।
सौर परियोजनाओं पर तेजी से हुआ कार्य
मप्र में सौर ऊर्जा की पांच हजार मेगावाट की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। प्रदेश की पहली रीवा सौर परियोजना के लिये गठित कम्पनी रम्स द्वारा आगर, शाजापुर, नीमच, छतरपुर, ओंकारेश्वर तथा मुरैना में स्थापित होने वाली इन परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ किया है। 1500 मेगावॉट की आगर-शाजापुर-नीमच सौर पार्क का विकास भी प्रदेश में किया जा रहा है। ओम्कारेश्वर जलाशय पर 600 मेगावॉट क्षमता की सोलर फ्लोटिंग परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। प्रथम चरण का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। गौरतलब कि प्रदेश में प्रथम बार 750 मेगावॉट की पवन सौर हाइब्रिड परियोजनाओं के विकास हेतु भी कार्यवाही प्रारंभ हो गई है।
05/06/2023
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