
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर ही मध्यप्रदेश को भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। खासतौर पर प्रदेश के किसानों में खुशहाली लाने के लिए उनकी आय को दोगुना करने पर जोर दिया गया है। यही नहीं इस सेक्टर में व्यक्तिगत निवेश के लिए बड़े बैंकों ने एक साल में साढ़े छह हजार करोड़ से अधिक का ऋण मंजूर करके प्रदेश को नंबर वन बना दिया है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीते साल ही कृषि अधोसंरचना फंड योजना की शुरूआत की थी। इसके तहत एक लाख करोड़ का बड़ा फंड इस क्षेत्र के विकास के लिए रखा गया था। इसमें मध्यप्रदेश को सात हजार चार सौ चालीस करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया। दरअसल इस योजना का बड़ा उद्देश्य किसानों की आय दोगुना करना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों से जुड़ी इस योजना के क्रियान्वयन की खुद समीक्षा की गई। बैंकों से ऋण के मामलों में समन्वय किया गया। बहरहाल कोरोना महामारी से जहां सभी व्यावसायिक गतिविधियां ठप पड़ीं है। वहीं निवेशक भी पीछे हट रहे है लेकिन खास बात यह है कि कृषि अधोसंरचना विकास में प्रदेश के लिए निवेश की संभावनाएं बनी है। यहां चालीस से अधिक वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज तैयार किए गए हैं। इनमें किसानों की उपज सुरक्षित रखी जा सकेगी। योजना के तहत दालमिल, चावल, फल एवं सब्जी प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।
दीर्घकालिक ऋण पर फोकस
अधोसंरचना के माध्यम से दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध कराए जाने पर जोर दिया गया है। दरअसल इस पर सरकार की मंशा है कि इस योजना के माध्यम से किसान फसल की कटाई के बाद उसकी सही कीमत मिलने तक उसे सुरक्षित रख सकें। यही नहीं सहकारिता के माध्यम से किसानों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सहकारिता के क्षेत्र में 85 से ज्यादा प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं। इस क्षेत्र में बैतूल, अगर मालवा अलीराजपुर अनूपपुर और बड़वानी सहित बीस जिलों में करीब सवा दो करोड़ का ऋण मंजूर हुआ है।
ब्याज में तीन प्रतिशत की छूट
ऋण योजना के तहत किसानों को ब्याज में तीन की छूट मिलेगी। इसमें खास बात है कि ऋण देने वाली संस्था को दो करोड़ रुपए तक के ऋण पर बैंक गारंटी सरकार पर देगी। इस योजना के तहत अगले चार साल में एक लाख करोड़ रुपए तक का लोन दिया जाएगा। पहले साल दस हजार करोड रुपए तक और अगले तीन सालों में तीस हजार करोड़ रुपए प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।