मध्यप्रदेश सरकार माइनिंग से शाइन करेगी अपना खजाना

माइनिंग
  • बक्सवाहा की हीरा खदान को लीज पर देने के बाद सरकार अब बालाघाट और छिंदवाड़ा में मैगनीज की खोज के लिए सर्वे कराने जा रही है

    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
    मध्यप्रदेश की शिव सरकार अब अपना खजाना भरने के लिए पूरी तरह से माइनिंग पर फोकस करने जा रही है। दरअसल पहले से ही रिक्त चल रहे खजाने की हालत कोरोना महामारी ने और अधिक खराब कर दी है। इसकी वजह से अब प्रदेश सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।  इन्हीं प्रयासों के तहत अब सरकार ने खाली खजाने को भरने के लिए माइनिंग से खजाने को शाइन करने का तय कर लिया है।
    बक्सवाहा की हीरा खदान को लीज पर देने के बाद सरकार अब बालाघाट और छिंदवाड़ा में जहां मैगनीज की खोज के लिए सर्वे कराने जा रही है तो वहीं रेत का अवैध खनन और उसके परिवहन पर रोक के लिए भी नए उपायों की खोज पर काम कर रही है। इन उपायों की तलाश के लिए हाल ही में सरकार ने अपने छह मत्रियों की एक समिति भी बनाई है। यह समिति एक माह के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी, जिसमें उन उपायों को भी बताया जाएगा जिनके लागू करने से अवैध रेत के कारोबार पर रोक लग सके और सरकार को अधिक राजस्व भी मिल सके। इस समिति में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा,लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव, खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के अलावा नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग को शामिल किया गया है।
    इस समिति द्वारा प्रदेश में लागू रेत नीति का विश्लेषण कर उसमें किस तरह के बदलावों की जरुरत है इस पर भी विचार किया जाकर सुझाव दिए जाएंगे। इसके साथ ही वर्तमान में इसी समिति द्वारा यह सुझाव दिए जाएंगे कि किस तरह से अधिकतम राजस्व की प्राप्तियां की जा सकती हैं। जिन खास बिंदुओं पर यह समिति विचार कर सुझाव देगी उसमें अवैध रेत उत्खनन के अलावा रेत के  डंपरों से जांच के नाम पर होने वाली वसूली रोकने और आम आदमी को सस्ती रेत कैसे मिल सके इस पर भी पूरी रूपरेखा बनाकर सरकार को देगी। इसके बाद सरकार उस पर विचार कर उसके लागू करने का काम करेगी।
    उधर प्रदेश में मौजूद खनिजों से आय बढ़ाने के प्रयासों के तहत ही अब प्रदेश सरकार दो नए जिलों में मैगनीज खनिज की खोज कराने जा रही है। इसका काम एक निजी कंपनी को दिया गया है। यह कंपनी दो सालों में आदिवासी बाहुल्य जिले बालाघाट और छिंदवाड़ा जिले में मैगनीज के भंडार का पता लगाएगी। इसमें छिंदवाड़ा जिले का 487 और बालाघाट जिले का 850 वर्ग किलोमीटर का एरिया शामिल है।
    दोनों जिलों में सर्वे करने का काम पूरा होने पर उसकी रिपोर्ट कंपनी द्वारा भौमिक और खनिकर्म विभाग को देनी होगी। कंपनी को दिए गए सर्वे के काम में प्रावधान किया गया है कि अगर जरुरत पड़ी तो अवधि में तीन सालों तक की वृद्धिकी जा सकती है। सर्वे के ठेके के काम की खासियत यह है कि कंपनी को ही सर्वे के लिए तमाम तरह की अनुमतियां लेनी होंगी, जिसमें वन विभाग की अनुमति भी शामिल है। इसके अलावा प्रतिबंधित इलाके में सर्वे करने की छूट नहीं होगी। इसके अलावा यह भी शर्त रखी गई है कि कंपनी को काम शुरू करने की जानकारी जिला प्रशासन को देनी होगी।  
    अन्य खनिज की भी देनी होगी जानकारी
    मॉयल लिमिटेड कंपनी को दिए गए सर्वे के ठेके में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस दौरान अगर कोई अन्य खनिज के भंडार की भी जानकारी आती है तो उसकी जानकारी भी उसे सरकार को देनी होगी। इसमें नवीन खनिज भी शामिल है। इसके अलावा कंपनी जीएसआई और एटामिक मिनरल के सर्वे इलाके में जरुरत पड़ने पर उसके क्षेत्रों को भी प्रभावित नहीं कर सकेगी।

Related Articles