मप्र के नौकरशाहों का सरकारी नौकरी से मोहभंग

कई अफसरों ने छोड़ी नौकरी तो कई तैयारी में

सरकारी नौकरी

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की नौकरशाही के नजरिए से पिछले कुछ साल कई मायनों में सुर्खियों में रहे। इसकी वजह है एक के बाद एक कई आईएएस अफसरों ने नौकरी छोड़ सनसनी मचा दी। मप्र कैडर के इन आईएएस अफसरों में से किसी ने नौकरी को बाय-बाय कहा, तो किसी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस ले लिया। पिछले 4 साल में मप्र के 6 नौकरशाहों के इस्तीफे ने ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि, क्या सरकारी अधिकारियों का नौकरी से मोहभंग हो रहा है? या इनके ऊपर जरूरत से ज्यादा राजनीतिक दबाव है।
 यूं तो आईएएस कैडर ब्यूरोक्रेसी में सबसे पावरफुल नौकरी है, लेकिन ऐसे भी अफसर हैं, जो इस नौकरी को छोड़ देते हैं। मप्र में वर्ष 2019 से 2023 तक चार वर्षों में छह आईएएस अफसरों ने नौकरी छोड़ी है, जबकि इससे पहले वर्ष 2016 में वीआरएस ले चुके प्रवेश शर्मा अब स्टार्टअप-चला रहे हैं। वर्ष 2022 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले वरदमूर्ति मिश्रा राजनीति के अखाड़े में उतर चुके हैं। इन अफसरों में से किसी की सरकार से पटरी नहीं बैठी तो किसी ने कारणों का खुलासा नहीं किया। अब ताजा मामला आईएएस अफसर बी. चंद्रशेखर से जुड़ा है। जबलपुर कमिश्नर रहते हुए इन्होंने नौकरी से वीआरएस लेने के लिए आवेदन दिया है। इसलिए राज्य सरकार ने उन्हें बिना विभाग मंत्रालय में पदस्थ कर दिया है। चंद्रशेखर के आवेदन को दिल्ली मंजूरी के लिए भेज दिया गया। वे लेखन के लिए नौकरी छोड़ना बताते हैं।
ये भी छोड़ चुके हैं नौकरी
इसके पहले भी कई सीनियर अधिकारी आईएएस की नौकरी छोड़ चुके हैं। कमलनाथ सरकार के समय पोषण आहार के मुद्दे को लेकर विवाद होने के बाद सीनियर आईएएस अधिकारी गौरी सिंह ने नौकरी छोड़ दी थी। बताया जा रहा है कि फिलहाल वे एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी से जुड़ी हुई हैं। कुछ समय पहले 1996 बैच के आईएएस अधिकारी वरद मूर्ति मिश्रा भी नौकरी छोड़ चुके हैं। वरद मूर्ति मिश्रा एक स्वतंत्र राजनीतिक पार्टी वास्तविक भारत पार्टी का गठन कर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं। जबकि 1993 बैच के आईएएस अधिकारी मनोहर अगनानी ने भी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। मनोहर अगनानी ने दिसंबर 2022 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। फिलहाल वे एक एनजीओ संभाल रहे हैं।
मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अफसर प्रवेश शर्मा ने 2016 में नौकरी छोड़ी थी। वे अब दिल्ली में सब्जीवाला डॉट कॉम स्टार्टअप चला रहे हैं। वे लंबे समय से दिल्ली में ही हैं। सब्जीवाला ऐसा प्लेटफार्म है, जहां किसान से सीधे फल-सब्जी लेकर ग्राहकों के पास पहुंचाई जाती है। आलोक श्रीवास्तव ने जनवरी 2020 में वीआरएस लिया था, वे अब कोल कंपनी में कार्यरत हैं। इसी तरह से जगदीशचंद्र जटिया ने जुलाई 2022 में वीआरएस लिया था। तब से, वे ज्यादा चर्चा में नहीं आए हैं।
चंद्रशेखर को लेकर तरह-तरह के कयास
2002 बैच के आईएएस अधिकारी बी. चंद्रशेखर 2020 में कोविड के दौरान जबलपुर कमिश्नर बने थे। वे 2021 में नाम बदलने को लेकर चर्चा में आए थे। उन्होंने तब नाम बी. चंद्रशेखर की जगह समान शेखर नामकरण किए जाने की जानकारी दी थी। इन्होंने सरकारी नौकरी छोडऩे के लिए सरकार को आवेदन दिया है। आवेदन के साथ ही आईएएस अधिकारी ने 3 माह की सैलरी भी एडवांस में जमा कर दी है। बताया जा रहा है कि बी चंद्रशेखर लंबे समय से नौकरी छोडऩे की इच्छा जता रहे थे।  बी चंद्रशेखर के नौकरी छोड़ने की एक वजह एक बड़ा दलित मूवमेंट खड़ा करने की तैयारी बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि वे जल्द ही एक आदिवासी संगठन से जुड़ कर बड़ा आंदोलन खड़ा करने की तैयारी में है। आईएएस के कुछ करीबियों का कहना है कि वह भाजपा की तरफ से बैतूल जिले की किसी विधानसभा सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं।

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