- सीधी भर्ती के 16 आईएएस बनाए जाएंगे कलेक्टर
भोपाल/गौरव चौहान/ बिच्छू डॉट कॉम । 2013 बैच की आईएएस अधिकारी रजनी सिंह को झाबुआ कलेक्टर बनाए जाने के साथ ही 2014 बैच के आईएएस अधिकारियों के कलेक्टर बनने का रास्ता खुल गया है। रजनी सिंह 2013 बैच की सीधी भर्ती की आखिरी आईएएस अधिकारी हैं। अब सरकार 2014 बैच के सीधी भर्ती वाले 16 आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनाएगी। गौरतलब है कि राज्य शासन ने मंगलवार को कलेक्टर झाबुआ सोमेश मिश्रा को हटा दिया है। उनके स्थान पर वर्ष 2013 बैच की आईएएस अधिकारी रजनी सिंह को कलेक्टर झाबुआ पदस्थ किया गया है। कलेक्टर के रूप में रजनी सिंह की यह पहली पोस्टिंग है। वे 2013 बैच की सीधी भर्ती की आखिरी आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें अब तक जिले की कमान नहीं मिल पाई थी। अब वे भी कलेक्टर बन गई हैं। रजनी के पति राघवेन्द्र कुमार सिंह अलीराजपुर कलेक्टर हैं। इसके साथ ही प्रदेश में वर्ष 2013 बैच के सीधी भर्ती के सभी आईएएस अधिकारियों की कलेक्टर के रूप में पदस्थापना की जा चुकी है।
2013 का एक भी प्रमोटी कलेक्टर नहीं
प्रदेश में जहां 2013 बैच के सीधी भर्ती वाले सभी 17 आईएएस अधिकारियों को कलेक्टर बना दिया गया है, वहीं इस बैच के एक भी प्रमोटी को अभी तक कलेक्टर नहीं बनाया गया है। प्रदेश में वर्ष 2013 बैच के 10 प्रमोटी अधिकारी हैं। इन अफसरों में विकास मिश्रा, अजय श्रीवास्तव, मीनाक्षी सिंह, कैलाश वानखेड़े, अमर बहादुर सिंह, मनीषा सेंतिया, नीरज कुमार वशिष्ठ, किशोर कान्याल, रूही खान और पवन कुमार जैन शामिल हैं। वहीं वर्ष 2013 बैच के सीधी भर्ती के आईएएस प्रियंक मिश्रा कटनी, अमनबीर सिंह बैंस बैतूल, ऋषि गर्ग हरदा, मयंक अग्रवाल नीमच, सोनिया मीना अनूपपुर, सतीश कुमार एस. भिंड, फ्रेंक नोबल ए, गुना, एस. कृष्ण चैतन्य दमोह, अनूप कुमार सिंह खंडवा, हर्ष दीक्षित राजगढ़, संदीप जीआर छतरपुर, गिरीश कुमार मिश्रा बालाघाट, उमा माहेश्वरी और अशोकनगर, शिवम वर्मा श्योपुर, राघवेंद्र सिंह अलीराजपुर और रजनी सिंह झाबुआ की कलेक्टर हैं।
अब 2014 वालों की बारी
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अब वर्ष 2014 बैच के सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों को जिलों की कमान देने की शुरूआत की जाएगी। प्रदेश में वर्ष 2014 बैच के सीधी भर्ती के 16 आईएएस अधिकारी हैं। ये अधिकारी वर्तमान में जिला पंचायत सीईओ, एडीशनल कलेक्टर, सीईओ स्मार्ट सिटी, नगर निगम आयुक्त, नगर निगम उपायुक्त आदि के पदों पर पदस्थ हैं।
कलेक्टर बनना हर आईएएस का सपना
एक आईएएस अगर जीवन में कलेक्टर न बन पाए और आईपीएस एसपी न बन पाए तो मानना चाहिए कि जीवन व्यर्थ गया। यही दोनों पद ऐसे हैं , जो एक रिक्रूटी बाबू को भले पूरी नौकरी में मात्र कुछ साल के लिए ही मिलें ,वह अपने पूरे जीवन की साध पूरी कर लेता है। कलेक्टर या एसपी न बने फिर चाहे चीफ सेक्रेट्री या कैबिनेट सेक्रेट्री अथवा डीजीपी भले बन जाए मगर न तो वह रुतबा प्राप्त हो पाता है न पैसा। आईएएस बनने के बाद जिले की चाह न हो, ऐसा मुमकिन नहीं। पिछली डीपीसी में आईएएस बने कई अफसरों का कमिश्नर और कलेक्टर बनने का सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। आईएएस बनने के बाद ज्यादातर अफसरों की कलेक्टर बनने की चाह होती है, लेकिन सभी अफसरों का यह सपना पूरा नहीं हुआ है।
दो माह से अटका डीजी के दो नए पदों का प्रस्ताव
प्रदेश पुलिस को डीजी रैंक के लिए दो पद नहीं मिल पा रहे हैं। पुलिस मुख्यालय का इसको लेकर भेजा गया प्रस्ताव बीते एक माह से गृह विभाग के पास अटका हुआ है। इसके चलते डीजी कॉडर के स्वीकृत दो रिक्त पद नहीं भर पा रहे हैं। वहीं करीब सवा चार बाद प्रदेश में डीजी रेंक के अफसरों की संख्या कम हो गई है। ऋषि कुमार शुक्ला के डीजीपी बनते ही प्रदेश सरकार से पुलिस मुख्यालय ने डीजी के दो अस्थाई पद स्वीकृत करवा लिए थे। सरकार ने दो साल के लिए डीजी के दो पदों की स्वीकृति दे दी थी। इसके चलते प्रदेश में दस की जगह पर 12 अफसर डीजी के पद पर पदस्थ होने लगे थे । इसके बाद करीब सवा दो साल पहले फिर से दो पदों की स्वीकृति पुलिस मुख्यालय को डीजी के पद के लिए मिल गई थी। इस स्वीकृति को दो साल पूरे हो चुके हैं। दो साल होने से पहले ही पुलिस मुख्यालय ने फिर से डीजी के दो अस्थाई पदों की स्वीकृति के लिए राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा, लेकिन यह प्रस्ताव अब तक कैबिनेट में ही नहीं आया। जिसके कारण अब तक प्रस्ताव अटका हुआ है। गौरतलब है कि केंद्र ने डीजी रैंक के लिए मध्य प्रदेश को कॉडर के पांच पद दिए हैं। डीजी के इतने ही पदों पर राज्य शासन भी डीजी रैंक देकर अफसर को पदस्थ कर सकती है। इसके अलावा राज्य शासन को यह अधिकार होता है कि वह कुछ पद दो साल के लिए अस्थाई तौर पर स्वीकृत कर दे, इसके लिए केबिनेट की मंजूरी जरूरी होती है।
21/09/2022
0
166
Less than a minute
You can share this post!