- 22 तरह की शिकायतें सुनेगा लोकपाल, काम में आएगी तेजी, रुकेगा भ्रष्टाचार
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मनरेगा को पारदर्शी और गतिशील बनाने के लिए जल्द ही लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी। वहीं लोकपाल की नियुक्तियां न होने से प्रदेश के मनरेगा मजदूरों पर बड़ा संकट आ सकता है। मनरेगा का बजट घटाने के बाद अब केंद्र सरकार ने कहा है कि जिन राज्यों में 80 प्रतिशत या इससे कम मनरेगा लोकपाल नियुक्त हैं, उन्हें मनरेगा के तहत आवंटित राशि जारी नहीं की जाएगी। ये फैसला अगले वित्तीय वर्ष से लागू होगा। इसलिए अब प्रदेश के हर जिले में अब मनरेगा के कामों और उससे जुड़ी 22 तरह की शिकायतों को सुनने और उनके निराकरण के लिए लोकपाल नियुक्त होंगे।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार आदर्श रूप में राज्यों को मनरेगा के तहत सभी जिलों में लोकपाल नियुक्त करना चाहिए। जो राज्य मनरेगा के तहत कुल जिलों के कम से कम 80 प्रतिशत में लोकपाल नियुक्त नहीं करते हैं, जो न्यूनतम सीमा है, उन्हें इस रोजगार गारंटी योजना के कार्यान्वयन के लिए अगले वित्तीय वर्ष से धन नहीं मिलेगा। वहीं ग्रामीण अंचलों में होंने वाले काम की गुणवत्ता, ठेकेदारों से काम लेने, मस्टर रोल के सत्यापन और निधियों के उपयोग पर इन लोकपालों की पैनी नजर रहेगी। उधर राज्य सरकार लोकपाल के निर्णयों पर की गई कार्यवाही की निगरानी के लिए नोडल विभाग में एक प्रणाली स्थापित करेगा। जहां कहीं ऐसे निर्णयों पर कार्रवाई नहीं की जाती है जो अंतिम हो तो वहां अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
आमजन की शिकायतों का करेगा निराकरण
जानकारी के अनुसार लोकपाल के पास आमजन 22 तरह की शिकायतें कर सकेंगे। इनमें ग्राम सभा, परिवारों के पंजीकरण और जॉबकार्ड जारी करने, जाब कार्डों की अभिरक्षा, काम की मांग, कार्य के लिए प्रस्तुत आवेदन के विरुद्ध स्वीकृति जारी किए जाने, मजदूरी के भुगतान, बेरोजगारी भत्ते के भुगतान, लिंग के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव, कार्यस्थल पर सुविधाएं, काम की माप, कार्य की गुणवत्ता, मशीनों के उपयोग, ठेकेदारों से काम लेने, बैंक या डाकघरों में खातों का संचालन, शिकायतों का पंजीयन और निपटारा, मस्टर रोल का सत्यापन, दस्तावेजों का निरीक्षण, निधियों का उपयोग, निधियों को जारी किए जाने, सोशल आॅडिट, अभिलेखों के संधारण और अधिनियम, अनुसूचियों में दिए गए आश्वासन में किसी पात्रता से वंचित रखे जाने से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई भी करेंगे और इनका निपटारा करने के लिए सरकार को परामर्श भी देंगे।
जनसुनवाई में भी भाग ले सकेंगे लोकपाल
शिकायत मिलने के सात दिन के भीतर लोकपाल शिकायत को समुचित मनरेगा प्राधिकरण को निपटारा करने के लिए भेज सकेगा। शिकायत का निपटारा करने में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी प्राधिकरण के असफल रहने पर मामला लोकपाल के पास आएगा। लोकपाल शिकायत की प्राप्ति की एक सूचना मनरेगा प्राधिकरण को भेजेगा । लोकपाल पक्षकारों को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद अवार्ड पारित कर सकेगा। लोकपाल इन शिकायतों की जांच करने के लिए मौके पर जा सकेगा। वहां अधिकारी से रिपोर्ट मांग सकेगा। किसी विशेषज्ञ से भी इस मामले में रिपोर्ट ले सकेगा। आकस्मिक निरीक्षण कर सकेगा। सामाजिक अंकेक्षण की जनसुनवाई में भी लोकपाल भाग ले सकेंगे और उन सभी मामलों पर स्वत: संज्ञान ले सकेंगे जहां, इन दिशा निर्देशों के अनुसार निपटारे के लिए समुचित पात्रता प्रदान नहीं की गई हो। पक्षकारों द्वारा तथ्यों का स्वीकार नहीं करने पर लोकपाल पक्षकारों को सुनवाई का मौका देकर अपना निर्णय पारित कर सकेगा।
लिखित या मौखिक की जा सकती है शिकायत
यदि कोई व्यक्ति जिसे स्कीम प्राधिकारी या कामगार के विरुद्ध कोई शिकायत हो तो वह स्वयं या अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से स्कीम प्राधिकारी या कामगार के विरुद्ध लोकपाल को लिखित या मौखिक शिकायत कर सकेगा। शिकायत, शिकायतकर्ता या उसके प्रतिनिधि के नाम से की गई शिकायत में जिसके विरुद्ध शिकायत की गई हो और उससे जुड़े दस्तावेज भी देने होंगे। शिकायत मुद्रित या इलेक्ट्रानिक माध्यम से की जा सकेगी। लोकपाल को ऐसे मुद्दे पर शिकायत नहीं की जाएगी जो किसी अधिकरण, न्यायालय के समक्ष किसी अपील, पुनरीक्षण, निर्देश या रिट की कार्यवाही की विषय वस्तु रहा हो।