कांग्रेस विधायकों के जिम्मे होगा लोकसभा का चुनाव

कांग्रेस विधायकों
  • विधानसभा हार को पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस ने लोकसभा की तैयारियां शुरु कर दी हैं…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन अब उसने इस हार को पीछे छोड़ते हुए लोकसभा चुनाव की तैयारियों शुरु कर दी हैं। करीब छह माह बाद होने वाले इन चुनावों के लिए अब कांग्रेस अभी से अपने विधायकों को जिम्मा देने जा रही है। यह विधायक अपने गृह लोकसभा क्षेत्र को देखेंगे और आस पास की सीटों पर भी पार्टी की जीत के लिए जमीन तैयार करने का काम करेंगे। प्रदेश कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलने के साथ ही पार्टी नए साल की शुरुआत से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए रणनीति बना रही है। दरअसल कांग्रेस को पता है कि लोकसभा चुनाव में भी उसको भाजपा से बेहद कड़ी चुनौति मिलने वाली है। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सडक़ों पर जनता के मुद्दों को लेकर उतरने की तैयारी कर रही है। इसके तहत क्षेत्रवार मुद्दों को उठाने के लिए आंदोलन करेगी। फिलहाल कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई, महिला एवं आदिवासियों पर अत्याचार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को जोर शोर से उठाने की तैयारी कर रही है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में लोकसभा की दस ऐसी सीटें हैं जिन पर कांग्रेस को भाजपा से अधिक वोट मिले हैं। ऐसी सीटों पर कांग्रेस का अधिक फोकस रहने वाला है। अहम बात यह है कि ऐसी लोकसभा सीटों के मातहत आने वाली विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक भाजपा की तुलना में अधिक जीते हैं। इसकी वजह से ही कांग्रेस को ऐसी सीटों पर अधिक संभावनाए नजर आ रही हैं।  इन सीटों में मुरैना, भिंड, ग्वालियर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा की सीटें शामिल हैं। इनके अलावा चार लोकसभा की सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस व भाजपा के बीच मतों का अंतर काफी कम रहा है।  
बीजेपी पर बनाएगी वादों को पूरा करने दबाव
इस दौरान कांग्रेस द्वारा भाजपा द्वारा चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने के लिए दबाव बनाया जाएगा। इसकी वजह है प्रदेश सरकार का खजाना खाली होना। जिसकी वजह से सरकार के सामने वादों को पूरा करने के लिए आर्थिक संकट रहने वाला है। बिजली, लाड़ली बहना और फसल खरीदी जैसे वादों पर कांग्रेस का प्रमुखता से फोकस रहने वाला है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार ने वादों के दम पर लोगों से वोट लिए हैं, लेकिन इन्हें जमीन पर उतारना सरकार के बस में नहीं है। ऐसे में विपक्ष की भूमिका में बैठी कांग्रेस जनता से किए बीजेपी के वादों को पूरा करने के लिए हर स्तर पर प्रहार करेगी।
आक्रामक रूप से हमला करेगी कांग्रेस
नए प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी को आक्रामक नेता के रूप में जाना जाता है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि अब प्रदेश में कांग्रेस जनहित के मामलों में बेहद आक्रामक रुख अपना सकती है। इसके लिए प्रदेश से लेकर केन्द्र के नेताओं के मैदानी स्तर पर लगातार दौरे कर भाजपा को घेरने की रणनीति पर काम किया जाएगा। भ्रष्टाचार से लेकर बेरोजगारी का मुद्दा लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए प्रमुख मुद्दे रहने वाले हैं। यह बात अलग है कि अभी जीतू पटवारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की रहने वाली है। इसकी वजह है प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं में कांग्रेस को मिली करारी हार से निराशा का भाव पैदा होना है।
इन सीटों पर रहेगा फोकस
कांग्रेस के लिए छिंदवाड़ा सीट तो पहले से ही बेहद आसान मानी जाती है। इस सीट पर कमलनाथ का व्यक्तिगत प्रभाव है। पटवारी भी इस सीट को छोडक़र जिन सीटों पर फोकस करने की तैयारी में है, उनमें नौ सीटें शामिल हैं। इनमें मुरैना की पांच, भिंड की चार, ग्वालियर की चार, टीकमगढ़ की तीन, मंडला की पांच, बालाघाट की चार, रतलाम की चार, धार की पांच और खरगोन लोकसभा क्षेत्र की पांच सीटों पर भी कांग्रेस को जीत मिली है। अगर लोकसभा सीट के हिसा बसे मतों को देखें तो मुरैना लोकसभा की विस सीटों पर कांग्रेस को कुल 5,00666 और भाजपा को 4,11601 मत मिले। भिंड लोकसभा सीट की विधानसभा सीटों पर भी मतों के मामले में कांग्रेस आगे रही है। कांग्रेस को 532146 और भाजपा को 525252 वोट मिले हैं। इसी तरह से ग्वालियर सीट पर कांग्रेस को 700861 और भाजपा को 677611 वोट मिले हैं। मंडला लोक सभा सीट पर कांग्रेस को 740509 और भाजपा को 628529 मत मिले हैं, जबकि बालाघाट लोकसभा सीट पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 735122 और भाजपा को 649037 मत मिले हैं।

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