गौपालन के लिए मिलेगा 25 फीसदी अनुदान पर 10 लाख का कर्ज

गौपालन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के शहरों में सडक़ों पर आवारा घूमने वाले साढ़े तीन लाख से ज्यादा  पशुओं को गौशाला में लाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार पूरी ताकत से जुट गई। इसके लिए तरह-तरह की योजनाएं लाई जा रहे हैं ताकि किसानों की गौपालन में तेजी से  रुचि बढ सके। इस मामले में विभागीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पशुपालन एवं डेयरी विभाग मंत्री लखन पटेल का कहना है कि प्रदेश के बड़े शहरों की सडक़ों पर करीब साढ़े तीन लाख आवारा पशु सडक़ों पर हैं, जिन्हें गौशालाओं में लाने के लिए सरकार वन्य विहार खोल रही है। इसके अलावा किसानों को गौपालन के लिए सरकार 25 फीसदी अनुदान पर दस लाख का कर्ज देकर डेयरी खोलने के लिए प्रेरित कर रही है।
उनका कहना है कि शहरों में आवारा पशुओं को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विशेष फोकस है और इसके लिए वह लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस समस्या का निदान  दो-चार दिन में नहीं हो सकता है।
हमारा जो अभी प्लान है, उसमें करीब 50 प्रतिशत आवारा पशुओं को हम रोड से बाहर ले आएंगे। इसके लिए प्रदेश के करीब 12 जगह वन्य विहार बनाए जा रहे हैं और इसके लिए जगह भी तय कर ली गई हैं। उसके प्रस्ताव भी हमारे पास आ गए हैं। एक वन विहार में करीब 10 हजार गायों को रखा जाएगा।  उनका कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के विकास पर लगातार काम कर रहे हैं और मध्य प्रदेश में किसान गरीब को खुशहाल बनाने के लिए हर तरह के प्रयास कर रहे हैं।
पशुओं को छोड़ने वाले के लिए बनेगा कठोर कानून
मंत्री पटेल ने कहा कि सडक़ों पर घूमने वाले आधे पशु तो पशुपालकों के ही है। लोग गायों का दूध निकाल कर को छोड़ देते हैं। पशुओं को आवारा छोडऩे वालों के लिए हम कठोर कानून बनाने जा रहे हैं। और इन गायों को वन्य विहार में लेंगे तो जिनकी गए होगी वह खुद ही आकर अपनी गया वहां से ले जाएंगे। उन्होंने बताया कि इसका प्रयोग हम कर चुके हैं। हाल ही में जब प्रशासन ने पशुओं को अपने कब्जे में लिया तो कई लोग आकर बोले हैं कि मेरी गाय है और दोबारा नहीं छोडऩे के शर्त पर अपने घर ले गए।
गोचर भूमि से कब्जा छुड़ाएंगे
उन्होंने बताया कि किसानों का कहना है कि जो गोचर की भूमि है उन्हें कुछ लोगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। गोचर भूमि को खाली करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। सरकार इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध। गोचर की भूमि खाली कराई जाएगी। खाली कराकर कर उसके फेंसिंग कराया जाएगा। आदिवासी अंचल में अभी भी ट्रैक्टर नहीं बैलों से खेती की जा रही है। बड़े जगह में जरूर बैलों का उपयोग बंद हो गया है और उनकी जगह लोग ट्रैक्टरों का उपयोग पूरी तरह से कर रहे हैं। लोग तकनीकी की ओर चले गए परंपरागत खेती बंद हो रही। पशुपालन का उत्पादन को हम व्यावसायिक बनाने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री का लक्ष्य है किसानों और पशुपालकों के हित में काम करना। यही वजह है कि सरकार उनकी मदद करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

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