- प्रदेश के कई जिलों में खुलेंगे ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अब ड्राइविंग लाइसेंस बनना आसान नहीं होगा। इसे लेने के पहले ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनिंग लेनी होगी। इसके लिए प्रदेश के कई जिलों में ड्राइविंग स्कूल का निर्माण किया जा रहा है। जहां वाहन चालकों को ट्रेनिंग दी जाएगी फिर वाहन चलाने का लाइसेंस बनेगा। ड्राइविंग स्कूल बनने के बाद यहां पर विशेषज्ञों द्वारा वाहन चालकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग के बाद एक सर्टिफिकेट मिलेगा। इसके बाद ही परिवहन विभाग द्वारा सर्टिफिकेट के आधार पर भारी, मध्यम व छोटे वाहनों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे। इससे परिवहन विभाग का काम भी आसान हो जाएगा। अधिकारियों के अनुसार ड्राइविंग स्कूल में ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक होगा। इसमें सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। एक यार्ड भवन में आधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी। साथ ही वाहनों की पार्किंग सहित बैठने व पीने के पानी की व्यवस्था होगी। ड्राइविंग स्कूल में भारी वाहनों के अलावा मध्यम एवं अन्य छोटे वाहनों के लिए स्कूल की तरह पढ़ाई कराई जाएगी। साथ ही टेस्ट ट्रैक पर बस, ट्रक, कार, लोडिंग अन्य वाहनों की फिजिकल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए एजेंसी को स्वयं ही एक भारी वाहन, एक कार रखनी होगी। ट्रेनिंग के लिए एजेंसी संबंधित वाहन चालकों से फीस लेगी। परिवहन विभाग की देखरेख में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ड्राइविंग स्कूल खोले जा रहे हैं। केंद्र सरकार के सडक़ परिवहन और राज्यमार्ग मंत्रालय की कार्ययोजना के अनुसार प्रदेश के पांच राज्यों में छतरपुर, भोपाल, इंदौर, बैतूल, सिंगरौली में ड्राइविंग स्कूल खुलेंगे। इनमें सार्वजनिक निजी-भागीदारी(पीपीपी)मोड पर छतरपुर में प्रदेश का सबसे पहला ड्राइविंग स्कूल शुरू होगा। एक ड्राइविंग स्कूल को विकसित करने में पांच करोड़ रुपये का खर्च है। ड्राइविंग स्कूल खुलने के बाद यहां पर तैनात विशेषज्ञ आवेदकों का ड्राइविंग का टेस्ट लिया करेंगे। इस दौरान ट्रैफिक नियमों को भी बताएंगे।
छतरपुर से हो हरी है इसकी शुरुआत
प्रदेश में सबसे पहला ड्राइविंग सेंटर छतरपुर जिले में शुरू होगा। इस माह सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ रोड ट्रासपोर्ट पुणे से तकनीकी, फाइनेंस, सुपरविजन की तीन अलग-अलग टीम सेंटर की जांच करने आएंगी। सीआईआरटी से हरी झंडी मिलने के बाद परिवहन विभाग की देखरेख में तपस्या साई बाबा जन कल्याण शिक्षा प्रसाद समिति ट्रेनिंग सेंटर का संचालन शुरू करेगी। इसके बाद से सेंटर से प्रमाण पत्र के अधार पर आरटीओ की ओर से परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे। इस नई व्यवस्था से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया और बेहतर व पारदर्शी होगी। समिति के संचालक डॉ. आरके चतुर्वेदी ने बताया कि छतरपुर में सेंटर का काम पूरा हो चुका है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप मोड पर छतरपुर में रीजनल ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर बनकर तैयार है। इसमें साढ़े पांच एकड़ जमीन व छह करोड़ रुपये से अधिक खर्चा आया है। केंद्र सरकार के सहयोग से सडक़ हादसों को कम करने के उद्देश्य से सेंटर शुरू किए जा रहे हैं। जिससे कुशल ट्रेनिंग लेने वालों के ही ड्राइविंग लाइसेंस बन सकें। संचालन शुरू करने के लिए पुणे से सीआईआरटी की अनुमति मिलनी है।
तीन जिलों में बनेंगे डीटीसी
मध्य प्रदेश के तीन जिलों में डिस्ट्रिक्ट ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर बनेंगे। इनमें सतना, दमोह, सिंगरौली को शामिल किया गया। पन्ना में भी डीटीसी बनना है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह व्यवस्था सफल होने पर प्रदेश के सभी जिलों में भविष्य में आरडीटीसी व डीडीटीसी शुरू होंगे। फिर क्षेत्रीय व जिला परिवहन अधिकारी सेंटरों से मिलने वाले ट्रेनिंग प्रमाण पत्रों के आधार पर परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया करेंगे। भोपाल में भी रीजनल ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण हो रहा है। बंगरसिया में साढ़े पांच एकड़ जमीन में सेंटर बन रहा है। इसके लिए शासन से 5.5 करोड़ और 92 लाख संबंधित एजेंसी पैसा लगा रही है। इस वर्ष में भोपाल का सेंटर भी शुरू हो सकता है।