शिकारियों को सजा दिलाने कानूनी पक्ष होगा मजबूत

 प्राणी अभिरक्षक

मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक ने जारी की एडवाइजरी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकार की सख्ती के बावजूद वन्य जीवों के शिकार का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं आलम यह है कि किसी मामले में जब भी शिकारी पकड़े जाते हैं, वे कमजोर कानूनों का फायदा उठाकर बच निकलते हैं। इसे लेकर मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक वीएन अंबाडे ने मैदानी अधिकारियों के लिए सभी वन इकाइयों को एडवाइजरी जारी की है। जिसके अनुसार वन्यजीवों के शिकार में अब आरोपित को जमानत न मिल पाए इसके लिए वन विभाग आरोपित का प्रकरण मजबूती के साथ न्यायालय में रखेगा। गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत के वन विभाग ने ऑपरेशन वाइल्ड ट्रेप अभियान शुरू किया है। इस अभियान के जरिए जंगली जानवरों को फंदा, लेग होल्ड ट्रेप और करंट लगाकर शिकार करने वाले शिकारियों की धरपकड़ की जाएगी। यह अभियान 1 दिसंबर से शुरू होगा और 31 जनवरी तक चलेगा। इस अभियान में वन विभाग अमले के साथ स्थानीय पुलिस के अलावा बिजली विभाग की मदद भी ली जाएगी। अभियान की मॉनिटरिंग वन मुख्यालय स्तर पर होगी। वहीं वन्यजीवों के शिकार में अब आरोपित को जमानत न मिल पाए इसके लिए वन विभाग आरोपित का प्रकरण मजबूती के साथ न्यायालय में रखेगा।
जमानत याचिकाओं को लेकर गंभीरतापूर्वक
दरअसल, हाई कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत जमानत देने के मापदंड, भारतीय दंड संहिता (भारतीय न्याय संहिता) के तहत अन्य अपराधों की तुलना में अधिक कठोर हैं। यह नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के प्रविधानों के समानांतर है, जो, जमानत के लिए सख्त शर्तें भी लगाता है। एडवाइजरी में हाई कोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि वन्यजीव अपराधों में जमानत याचिकाओं को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए और न्यायालय के समक्ष एकत्रित साक्ष्य को सारगर्भित तरीके से प्रस्तुत कर जमानत का विरोध अनिवार्य रूप से करना चाहिए। अंबाडे ने एडवाइजरी में यह भी कहा है कि हाल ही में प्रदेश में दर्ज कुछ वन्यजीव अपराध प्रकरण की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय को, भविष्य में समान प्रकृति के वन अपराधों में शासन हित में जमानत याचिकाओं के निरस्तीकरण के लिए उपयोग किया जा सकता है।
आरोपित की जमानत निरस्त
सिवनी कटंगी रोड पर संदिग्ध व्यक्ति सुनील खंडाते को पकड़ा गया था और उसकी तलाशी लेने पर उसके पास से बाघ की 49 हड्डियां, 14 नाखून और 31 मूंछ के बाल थे, जिन्हें साक्ष्य के तौर पर विधिवत जब्त किया गया। आरोपी सुनील खंडाते द्वारा चौथी बार हाई कोर्ट में यह जमानत याचिका दायर की गई थी जिस पर आदेश पारित करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि जिस वन्य प्राणी का शिकार किया गया है, वह वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 यथा संशोधित 2022 के अनुसूची एक का वन्य प्राणी है। न्यायालय ने कहा कि बाघ जैसे वन्य प्राणी के शिकार की घटना को सामान्य अपराधों के समान नहीं माना जा सकता क्योंकि ऐसा अपराध प्रकृति और वन के लिए खतरा है। सुनील खंडाते एवं अन्य के विरुद्ध इस प्रकरण में हाई कोर्ट द्वारा दिनांक 29 जुलाई 2024 को आरोपित की जमानत याचिका निरस्त कर दी थी।
हाथी प्रबंधन का लेंगे प्रशिक्षण
मप्र के वन अधिकारी अब दक्षिण भारत के राज्यों में जाकर हाथी प्रबंधन का प्रशिक्षण लेंगे। पहले चरण में संजय टाइगर रिजर्व के 18 वन अधिकारी-कर्मचारी पांच दिन के प्रशिक्षण पर भेजे जाएंगे। यह दल आज रवाना हो जाएगा। वन अधिकारी व कर्मचारियों का दल मैसूर, मदुमलई, कोयम्बटूर, अनामलाई जैसे टाइगर रिजर्व में जाकर हाथियों के प्रबंधन का अध्ययन करेगा।

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