कस्बों में भी चमकेगी एलईडी लाइट

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अब तक प्रदेश में सरकारी दफ्तरों से लेकर सार्वजनिक जगहों पर परंपरागत लाइटों का ही उपयोग होता आया है, लेकिन अब बिजली की खपत कम करने और अच्छे प्रकाश की व्यवस्था के लिए सरकार ने कस्बों या कहें छोटे शहरों में भी प्रकाश के लिए एलईडी लाइट्स का उपयोग करना तय किया है। इस पर तेजी से काम भी शुरु कर दिया गया है। यह काम पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से किया जाना है। यही वजह है कि में इसके लिए 20  क्लस्टर बनाए गए हैं। इनमें से तीन क्लस्टर में तो यह काम पूरा भी कर लिया गया है। इनमें  छिंदवाड़ा, पीथमपुर और विदिशा क्लस्टर शामिल हैं।
इन तीनों क्लस्टरों के तहत पांच दर्जन नगरीय निकाय आते हैं। इनमें एलईडी लाइटों को लगाने का काम पूरा होने के बाद अब अन्य जगहों पर भी इस काम को शुरू कर दिया गया है। माना जा रहा है कि एलईडी लाइटें लगने से बिजली की खपत में पचास फीसदी तक की कमी आ जाएगी। अहम बात यह है कि एलईडी लगाने और उसके रखरखाव तक के काम का निगरानी का जिम्मा थर्ड पार्टी के पास रहेगा , जिससे की इस काम में मेंटेनेंस आदि के काम की थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है।
विभाग के अनुसार इस कार्य के तहत नगरीय विकास विभाग के अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग नहीं करेंगे। एजेंसी इसके काम की मॉनिटरिंग कर रिपोर्ट देगी। इसके बाद अधिकारी उचित कार्रवाई करेंगे।
कंपनी करेगी ऑपरेशन और मेंटेनेंस
इसमें अहम बात यह है कि जिस भी कंपनी को एलईडी लाइट लगाने का जिम्मा दिया जा रहा है , उसे ही सात सालों तक इन्हें सुधारने से लेकर इसके रखरखाव तक का काम करना होगा। इसमें एक शर्त यह भी है कि खराब होने पर एलईडी लाइट को 48 घंटे के अंदर बदलना होगा। ऐसा नहीं करने पर कंपनी पर जुर्माना लगेगा। इससे  निकायों पर ऑपरेशन और मेंटेनेंस का कोई खर्च का बोझा नही आएगा। निजी कंपनी को यह काम टेंडर के माध्यम से मिलेगा। फिलहाल तीन शहरों में इसकी व्यवस्था बन चुकी है।
बिजली पर आता है पौने आठ अरब का खर्च
छोटे निकायों को छोड़ दें तो प्रदेश में अकेले नगर निगमों को ही हर साल बिजली पर करीब पौने आठ अरब यानि की करीब 777 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। अगर इसमें भी निकायों के खर्च को जोड़ दिया जाए तो खर्च की राशि बढक़र दोगुनी हो जाती है। अहम बात यह है कि इतनी बड़ी रकम सिर्फ बिजली के बिल पर ही खर्च होती है। अगर सभी निकायों में एलइडी लग जाती हैं तो उसके बिजली का बिल पचास फीसदी तक कम हो जाएगा। इसके अलावा स्ट्रीट लाइट और सार्वजनिक जगहों पर प्रकाश भी अच्छा मिलेगा। फिलहाल एलईडी लाइट लगाने का काम केवल नगर पालिका और नगर परिषद के लिए बनाया गया है। क्योंकि नगर निगमों में पहले से ही स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन के माध्यम से एलईडी लाइटों का काम जारी है। इस दौरान कंपनी को  सभी स्ट्रीट लाइट, फ्लड लाइट और हाईमास्ट की जगह एलईडी लाइट लगानी होगी।
मेंटेनेंस खर्च भी कम
अभी छोटे नगरीय निकायों में सार्वजनिक स्थलों पर परंपरागत हाईमास्ट, वेपर लैंप, फ्लड लाइट आदि लगी हुई हैं। ये लाइट जल्दी खराब हो जाती हैं। इन्हें बदलना भी काफी महंगा पड़ता है। जबकि एलईडी लाइट्स में कोई फिलामेंट नहीं होता है, छोटी-छोटी एलईडी होती हैं। खराब होने पर मरम्मत भी आसानी से की जा सकती है।

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