चुनाव: कार्यकर्ताओं की सलाह को नहीं दे रहे नेता तवज्जो

विधानसभा चुनाव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने प्लान बनाया था कि, कार्यकर्ताओं की सलाह पर रणनीति बनाकर चुनावी मैदान में उतरा जाएगा। लेकिन हैरानी की बात यह है की पार्टी का यह प्लान केवल बैठकों और निर्देशों तक ही सीमित होकर रह गया। अब चुनावी बिगुल बजने के बाद जब नेता मैदान में उतर रहे हैं, तो कार्यकर्ताओं की सलाह पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसका असर यह देखने को मिल रहा है कि मतदाता चुनाव प्रचार करने वाले नेताओं के साथ ही प्रत्याशियों को कोई महत्व नहीं दे रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है की पार्टी चुुनाव कैसे जीत पाएगी?
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे चरम पर पहुंचता जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों बड़े दलों का प्रयास है कि बल्क वोटर को किसी भी तरह से अपने समर्थन में लाया जाए। इसके लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल की 34 सीटों पर भाजपा ने अपनी लड़ाई मैदान, मोबाइल और दरवाजे तक लड़ने के लिए कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी की है, जबकि कांग्रेस अपने चुनिंदा नेताओं की अगुवाई में मतदाता तक पहुंच बनाने के लिए कशमकश में उलझी है। इतना सबकुछ होने के बावजूद सबसे बड़ी पार्टी यानी भाजपा ने चुनाव के लिए जो सेनापति और सिपहसालार बनाए हैं, वे स्थानीय स्तर पर रणनीति तैयार कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि ग्वालियर दक्षिण, ग्वालियर ग्रामीण, डबरा, सबलगढ़, शिवपुरी, दिमनी, अटेर, मेहगांव, दतिया और भितरवार जैसी विधानसभा सीटों पर भाजपा की कोर टीम गांव और मोहल्लों में काम कर रहे अपने मैदानी कार्यकर्ताओं की सलाह को ही दरकिनार कर रही है।
आंतरिक असंतोष और संवादहीनता दूर करने का प्रयास
मोहल्ले और बस्तियां वर्तमान प्रचार में कमजोर कड़ी साबित हो रही हैं। बताया जा रहा है कि कुछ छूटभैए भूखंड और पेंशन देने के दावे कर लोगों को भरमा रहे हैं। दो दिन पहले इसको लेकर कुछ कार्यकर्ताओं ने जिला स्तर के कुछ नेताओं की शिकायत भी की है। संगठन अब इस तरह के आंतरिक असंतोष और संवादहीनता में आ रहे गैप को भरने के लिए अलग-अलग तरीके से बड़ों को समझाइश दे रहा है। संभ्रांत मतदाताओं की शिकायत और आपत्तियों को दूर करने के लिए भी पार्टी ने प्रचार की रणनीति में कुछ बदलाव किए हैं। दूसरी ओर कांग्रेसी कार्यकर्ता सबसे ज्यादा ध्यान अल्पसंख्यक, मलिन अस्तियां और मोहल्लों पर केंद्रित कर रहे हैं। भाजपा ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव गुजरात मॉडल पर लड़ने की तैयारी की है। इसी रणनीति को लेकर पार्टी ने पन्ना, बुध, शक्ति केंद्र, मंडल, नगर, विधानसभा, जिला, लोकसभा स्तर पर टीम खड़ी की हैं।
इन दलों में आईटी और मीडिया सेल को सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। दोनों सेल हर क्षेत्र को डाटा उपलब्ध करा रही हैं। इसी के आधार पर भाषण तैयार हो रहे हैं। दूसरी महत्वपूर्ण टीम विधानसभा स्तर पर मतदाताओं की लिस्ट के साथ काम कर रही है। प्रत्येक मंडल को उनके क्षेत्र के नाम निकालकर दिए जा रहे हैं और संपर्क टीम मतदाता के घर तक पहुंच रही है। इस ढांचे की तैयारी को बेहतर माना जा रहा है, लेकिन छुटभैया  नेताओं के मतदाताओं के बीच पहुंचकर पार्टी लाइन से अलग जाकर वादे और दावे करने से गड़बड़ भी हो रही है। इसकी जानकारी मैदानी कार्यकर्ताओं ने विधानसभा और जिला स्तर पर काम कर रहे संगठन के नेताओं को भी दी है। उसके बाद से उदासीन नेताओं और कार्यकर्ताओं को कसा जा रहा है। सभी विधानसभाओं में मतदाता सूचियां उपलब्ध कराई गई है।
वोटों का बंटवारा कर बनाई रणनीति
विधानसभा-2018, उप चुनाव-2021, नगर निगम और त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के रुझान के आधार पर इन सूचियों से मतदाताओं की पहचान की जा रही है। पार्टी के कैडर वोट को अलग निकालकर रखा जा रहा है। बल्कि वोट की पहचान करके अलग से टिक करके लिस्ट तैयार की जा रही है। कोर टीम द्वारा मतदाता सूचियों का चिहाकन करने के बाद विधानसभा में अने वाले भजन और भाजयुमो सहित अन्य मोर्चा और प्रकोष्ठ के मंडल अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष की टीमों को हर दिन तीन से चार किलोमीटर संपर्क करने के लिए कहा गया है। मंडल के दलों पर विधानसभा प्रत्याशी और पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार करने की जिम्मेदारी है। बूथ स्तर पर मौजूद पन्ना प्रमुख और बूथ संयोजक के साथ ही संबंधित क्षेत्र के प्रतिष्ठित कार्यकर्ताओं को मतदाता सूचियां उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रत्याशी के जन संपर्क के समय जिस गली या जिस मतदान केंद्र पर मतदाताओं से संपर्क होना है, उस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की कोर टीम एक दिन पहले मतदाताओं से अनुरोध कर दौरे को लेकर सकारात्मक माहौल तैयार कर रही है। इसके बाद प्रत्याशी के जन संपर्क के समय क्षेत्रीय प्रतिष्ठित और साफ-सुथरी छवि के कार्यकर्ताओं को आगे लेकर समर्थन मांगा जा रहा है।  विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के दौरान जिस क्षेत्र में जिस वर्ग के मतदाता है, उसी स्तर के कार्यकर्ताओं को साथ लेकर समर्थन मांगा जा रहा है। व्यवसायी वर्ग, संभ्रांत परिवार और स्तरीय कॉलोनियों में जाने पर आपराधिक छवि वाले नेता या कार्यकर्ताओं को प्रचर से दूर रखा जा रहा है। यह रणनीति कुछ संभ्रांत कॉलोनियों से आई आपत्तियों के बाद पार्टी के रणनीतिकारों ने अपनाई है।

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