तीन अरब की जमीन को किया 28 करोड़ में नीलाम

ईओडब्ल्यू
  • ईओडब्ल्यू ने धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में टीएंडसीपी अफसर सहित दस को बनाया आरोपी  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भू माफिया और अफसरों के बीच बेहद मजबूत गठजोड़ ने करीब तीन सौ करोड़ की जमीन को महज 28 करोड़ रुपए में ही नीलाम कर डाला। इस मामले में अब इंदौर के चर्चित और विवादित जमीन कारोबारी केशव नाचानी उर्फ हनी भी इस  नए केस में उलझ गए हैं। ईओडब्ल्यू ने 28 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में केस दर्ज कर लिया है। नाचानी सहित कुल 10 आरोपी बनाए गए हैं। मामला सहकारी समिति की जमीन का ही है। नाचानी पर ईडी ने भी भूमाफिया अभियान में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया हुआ है। उनकी संपत्ति भी अटैच की है। इसके साथ हो इस मामले में टीएंडसीपी के तत्कालीन संयुक्त संचालक बीपी कुलश्रेष्ठ, इंडसइंड बैंक के तत्कालीन मैनेजर और अन्य अधिकारियों, वैल्यूअर पर भी केस दर्ज हुआ है। नोबेल रियल एस्टेट प्रालि के केशव कुमार नाचानी और महिराज गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष समीर पिता मूसा खान सहित 10 के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। महिराज गृह निर्माण संस्था की जमीन नाचानी ने डेवलपमेंट के लिए ली थी। बाद में इस जमीन को गिरवी रखकर बैंक से लोन ले लिया। बैंक ने ऋण अदायगी न होने पर कुछ दिन पहले ही 28 करोड़ रुपए में जमीन नीलाम कर दी, जबकि इसकी मौजूदा बाजार में कीमत करीब 300 करोड़  है। ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया है कि 1989 में पंजीबद्ध हुई महिराज संस्था के नाम पर ग्राम खजराना के सर्वे नंबर 122/1 की 1.639 हेक्टेयर (4.05 एकड़) जमीन है, जो संस्था ने दिसंबर 1997 में खरीदी थी। संस्था यहां राधे विहार के नाम से कॉलोनी काटने वाली थी, जहां सदस्यों को प्लॉट दिए जा सके। 1999 से 2005 के बीच संस्था ने 45 प्लॉट की रजिस्ट्री सदस्यों को कर दी। 2006 में समीर खान अध्यक्ष बना। वह भी बिना किसी चुनाव और संचालक मंडल की बैठक के समीर ने पलासिया स्थित इंदौर स्वयंसिद्ध महिला को-ऑपरेटिव बैंक में खाता खुलवाया। फरवरी 2006 में समीर ने जमीन पर नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में वाणिज्यिक उपयोग के लिए भू-अभिन्यास मंजूरी का आवेदन दिया। जुलाई में नक्शा मंजूर हो गया। अगस्त 2006 में समीर ने सहकारिता विभाग के तमाम प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए जमीन 2 करोड़ रुपए में नोबल रियल एस्टेट प्रालि को बेच दी।
ईओडब्ल्यू की जांच में फर्जी निकला  प्रस्ताव
नोबेल के संचालक केशव नाचानी और उनकी पत्नी रेणु नाचानी है।  दोनों का पता 614 उषा नगर है। समीर के जो ठहराव प्रस्ताव रजिस्ट्री में बताया, वो ईओडब्ल्यू की जांच में फर्जी निकला। 2 करोड़ रुपए में से 58 लाख रुपए नाचानी ने चेक से दिए थे। जिसका समीर ने उपयोग कर लिया।
ऐसे चला अधिक कर्ज लेने का सिलसिला
नाचानी ने अपनी दूसरी फर्म एमपी बुलियन को इंडसइंड बैंक से क्रेडिट लिमिट और ओवरड्राफ्ट का कर्ज मंजूर कराने के लिए संस्था की जमीन सितंबर  2009 को 12 करोड़ में गिरवी रख दी। बैंक अधिकारियों ने भी वेरिफिकेशन के दौरान 45 प्लॉट और रजिस्ट्री का उल्लेख न करके नाचानी के फर्जीवाड़े में साथ दिया। शिकायत के बाद बैंक ने नवंबर 2009 में फर्जीवाड़ा पकड़ा। इसके बाद बैंक द्वारा कहा गया कि बैंक गारंटी और ओवर ड्रफ्ट  की सुविधा निरस्त की जाती है ,क्योंकि जमीन पर बिके प्लॉट के साक्ष्य हमें मिले है। इसके बाद भी 2017 तक सुविधाएं जारी रही। 2017 में बैंक गारंटी 9 करोड़ और ड्राफ्ट 14 करोड़ और ड्राफ्ट केडिट 2.50 करोड़ कर दी गई जिससे 12 करोड़ रुपए का लोन बढक़र 25.50 करोड़ तक पहुंच गया।
इन लोगों पर केस दर्ज
समोर मुला खान (अध्यक्ष महिराज संस्था) केशव  कुमार नाचानी , टीसीपी के पूर्व संयुक्त संचालक वीपी कुलश्रेष्ठ, बैंक के मैनेजर राजेश पिता बीसी मंगल, बैंक के जोन प्रबंधक धमेंद जाखोडिय़ा, प्रदीप भावे,टाइटल सर्च करने वाले रमेशचंद्र माहेश्वरी , राजेन्द्र फारख्या, मुल्यांकनकर्ता राजेन्द्र गुप्ता और पेलारूस असेस्टस रिकंस्ट्रक्शन प्रालि।

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