बिना किताब स्नातक करने को मजबूर लाखों छात्र

छात्र
  • जैसे-तैसे फर्स्ट ईयर करने वालों को सेकंड ईयर में भी किताबों का टोटा

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि प्रदेश में लाखों छात्र बिना किताबों के ही स्नातक कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि करीब 5 लाख छात्रों ने तो बिना किताब के ही फर्स्ट ईयर पास कर लिया है और सेकंड ईयर में आ गए हैं। लेकिन उनकी पढ़ाई के लिए सेकंड ईयर की किताबों का भी इंतजाम नहीं हैं। ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग फर्स्ट और सेकंड ईयर के लिए 10 लाख किताबों की व्यवस्था में जुट गया है।  गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग ने 2021 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की। लेकिन जल्दबाजी में कई बुनियादी जरूरतों का ध्यान नहीं रखा। पिछले साल स्नातक में प्रदेश में करीब 5 लाख छात्रों को प्रवेश मिला, पर उन्हें नई किताबें नहीं मिल सकीं। वे इस बार दूसरे ईयर में चले गए। उनके लिए भी किताबों का संकट बरकरार है। ऐसे में करीब 10 लाख छात्र किताबों का टोटा झेल रहे हैं। अब उनकी इस संकट को दूर करने विभाग ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है।
रचनाकारों की जुटाई जा रही जानकारी
आयुक्त कार्यालय ने सभी क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों (एडी) और विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। उनसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के रचनाकारों से विस्तृत बायोडाटा और मौलिक कृति 20 जुलाई तक भिजवाने को कहा है। विभाग स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए सामग्री तैयार करवा रहा है। इसके लिए विज्ञान, वाणिज्य, साहित्य, संस्कृति और कला सहित अन्य पाठ्यक्रम से संबंधित रचना करने वालों को प्राथमिकता दिया जाएगा। विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में पढ़ाने व देश दुनिया में विशेष पहचान रखने वाले ऐसे प्राध्यापकों, ग्रंथपालों और खेल अफसरों के नाम, विषय, विशेषज्ञता, संपर्क नंबर और पते भी सूचीबद्ध हो रहे हैं। इसका जिम्मा भी एडी व कुलसचिवों को दिया है। इनकी जानकारी ई-मेल से अकादमिक शाखा को भेजनी है। उच्च शिक्षा विभाग के अकादमिक  ओएसडी डॉ. धीरेंद्र शुक्ला का कहना है कि नई नीति के तहत राज्य में लागू स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रमों के हिसाब से उत्कृष्ट पुस्तकों का लेखन कार्य कराने कई नवाचार हो रहे हैं। सभी एडी और कुलसचिवों से मौलिक रचनाकारों का बायोडाटा और मूल कृति मंगवाई है। ऐसे नामी-गिरामी लेखकों की भी सूची बनवाई जा रही है।
अब किताबों के लिए नया फॉर्मूला तय
प्यास लगने पर कुआं खोदने की तर्ज पर विभाग किताबों के लिए हाथ पैर मार रहा है। दरअसल नई नीति के हिसाब से स्नातक स्तर पर फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर के लिए पाठ्यक्रम जैसे-तैसे बने, लेकिन उसके लिए किताबों का टोटा हो गया। इसके लिए विभाग ने नया फॉर्मूला लागू किया है। अब ऐसे लेखकों और विषय- विशेषज्ञों की खोज की जा रही है, जिन्होंने विज्ञान, वाणिज्य, साहित्य, संस्कृति और कला में मौलिक लेखन किया है। उनके विस्तृत बायोडाटा और मौलिक कृतियां मंगवाई गई हैं। इस  आधार पर एनईपी के विभिन्न विषयों पर किताबें लिखवाकर प्रकाशन कराया जा सके।

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