लाड़लियों को अभी 1250 में ही चलाना होगा काम

सरकार
  • अनुपूरक बजट में नहीं किया गया प्रावधान

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
सरकारी खजाने की हालत को देखते हुए सरकार चुनाव पूर्व की गई घोषणा पर अमल नहीं कर पा रही है। इसकी वजह से अभी प्रदेश की लाड़ली बहनों को हर महीने 1250 रुपए में ही काम चलाना होगा। दरअसल सरकार ने उन्हें तीन हजार रुपए प्रतिमाह देने का ऐलान किया था, जिसके तहत इस राशि में समय- समय पर वृद्धि की घोषणा की गई थी। यह बात अलग है कि चुनावी फायदे के लिए शुरु की गई इस योजना में पहले एक हजार रुपए दिए जाते थे, जिसे विधाानसभा चुनाव के ठीक पहले छह माह में ही बढ़ाकर 1250 रुपए कर दिया गया था।
अब इस वृद्धि को हुए एक साल से अधिक का समय हो चुका है , लेकिन उसके बाद से कोई वृद्धि नहीं की गई है। विधानसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि 1250 रुपए से बढ़ा कर तीन हजार रुपए करने का सरकार का अभी कोई विचार नहीं है। अनुपूरक बजट में ऐसा कोई प्रस्ताव भी नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को योजना का लाभ देने के लिए आयु सीमा 21 साल से घटा कर 18 वर्ष करने का भी फिलहाल कोई इरादा नहीं है। महिला एवं बाल विकास मंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि उम्र का दायरा 60 साल से बढ़ा कर आजीवन करने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। दरअसल, कांग्रेस विधायक महेश परमार ने पूछा था कि वंचित लाड़ली बहनों को योजना से जोडऩे के लिए नए पंजीयन कब शुरू किए जाएंगे।
रजिस्ट्रेशन  की प्रक्रिया 15 माह से बंद
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में 15 माह से नया पंजीयन नहीं किया जा रहा है। मंत्री निर्मला भूरिया ने विधायक प्रताप ग्रेवाल के लिखित सवाल के जवाब में यह बताया। ग्रेवाल ने पूछा था कि इस योजना में पंजीयन क्यों बंद किया गया है। इसी तरह की लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्यादान, पोषण आहार, मध्यान भोजन, वृद्धा पेंशन, मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजनाओं में पात्रता अनुसार निरंतर लाभ दिया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्री ने स्वीकार किया की लाडली बहना योजना को छोडक़र सतत प्रवृत्ति की सभी योजनाओं में पात्रता अनुसार लाभ दिया जा रहा है।
लक्ष्य पूरा होने का नहीं कराया सर्वे
विधायक प्रताप ग्रेवाल ने कहा, योजना प्रारंभ करते समय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2020-21) का उल्लेख करते हुए लिखा गया था कि प्रदेश में 23 प्रतिशत महिलाओं का बॉडी मॉस इंडेक्स कम है। राज्य में 15 से 40 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया का स्तर 54.7 प्रतिशत है। श्रम में महिलाओं की भागीदारी कम है। महिलाओं के आर्थिक, स्वावलंबन, स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सतत सुधार एवं परिवार के निर्णय में उनकी सुदृढ़ भूमिका करने के लिए यह योजना प्रारंभ की गई है। ग्रेवाल ने पूछा कि योजना में नया पंजीयन क्या इसलिए बंद किया गया कि उपर्युक्त सारे लक्ष्य प्राप्त हो गए हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि उल्लेख बिंदुओं के सापेक्ष कोई सर्वे नहीं कराया गया है।
लाडली बहना को लेकर यह कहा सीएम ने
सरकार का एक साल पूरा होने पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पिछले दिनों मीडिया से रूबरू हुए थे। इस दौरान उन्होंने बताया था कि 1.29 करोड़ लाड़ली बहनों को अब तक 19212 करोड़ रुपए ट्रांसफर किया जा चुका है। फिर बोले थे कि जब से सरकार बनी थी, सब कह रहे थे ये चल नहीं पाएगी। लोड पड़ेगा, फाइनेंशियली तकलीफ है। ये बात जरूर मानते हैं कि इसका लोड पड़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही सरकार अपने आय के साधन बढ़ाती जाए। वित्तीय व्यवस्थाओं को खड़ा करने के लिए जब आप आय बढ़ाएंगे तो खुद ही इन सारी व्यवस्थाओं को संचालित करने के लिए आप सक्षम हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्वाभाविक तौर से हमने इस दिशा में काम किया है। हमारी सारी जन कल्याणकारी, खासतौर से बहनों की योजनाओं को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं।

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