- अब मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेगी सरकार
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार ने पिछले कुछ सालों से मोटे अनाज के उत्पादन पर फोकस किया है। इसके लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। आदिवासी परंपरागत रूप से कोदो कुटकी की खेती करते रहे हैं। यह शुगर फ्री होती है, गुर्दों और मूत्राशय के लिए यह अति उत्तम है, उच्च रक्तचाप में प्रभावी समेत अन्य कई औषधीय गुणों से भी यह भरपूर होती है। इसमें रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता है, इसलिए यह मानव के लिए हर तरह से उपयोगी खाद्य पदार्थ है। सरकार ने कोदो कुटकी को संकटग्रस्त प्रजातियों की खेती वाली सूची (आईयूसीएन) में डाला हुआ है। इसे संकट से निकालने के लिए सरकारी स्तर पर जो प्रयास हुए, उसी का नतीजा है कि आज आदिवासी अंचल से निकलकर कोदो-कुटकी पांच सितारा होटल में पहुंच रही है। सरकार का प्रोत्साहन मिलने के बाद गेहूं, धान, चना, सोयाबीन, मूंग आदि फसलों के साथ-साथ प्रदेश में अब किसान मोटे अनाज खेती की ओर भी अग्रसर हो रहे हैं। खास तौर पर कोटो-कुटकी का क्षेत्र बढ़ रहा है। सरकार भी मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित कर रही है क्योंकि इसमें लागत कम होती है। कोदो-कुटकी के उत्पादों की फाइव स्टार होटलों में ब्रांडिंग की कार्ययोजना बनाई गई है। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन में लड्डू, बर्फी, बिस्कुट आदि दिए जा रहे हैं जो जल्द ही भोपाल में फूड फेस्टिवल भी आयोजित होने वाला है। कृषि विभाग ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ प्रशिक्षण दिया जाए। स्कूलों में भी कार्यक्रम हों।
फाइव स्टार होटलों में होगी ब्रांडिंग: सरकार अब इसकी ब्रांडिंग फाइव स्टार होटलों और माल में उत्पाद उपलब्ध कराने जा रही है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिशन भी प्रयास कर रहा है। मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एमएल बेलवाल का कहना है कि किसानों ने धान आदि फसलों में अधिक लाभ होने के कारण मोटे अनाज की खेती कम कर दी थी पर अब इनकी मांग बढ़ रही है। कोदो-कुटकी के प्रसंस्करण के लिए इकाइयां लगाई जा रही हैं और अब पूरा ध्यान इस बात पर है कि इनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग हो जाए। इसके लिए विभिन्न संस्थाओं के साथ अनुबंध भी किए जा रहे हैं। उधर, कृषि विभाग ने आगामी वर्ष को मिलेट मिशन घोषित किए जाने के बाद किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित करने किसान चौपाल लगाने का निर्णय किया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर कहा है कि किसान मित्र, दीदी और आत्मा परियोजना के कार्यकर्ताओं से किसानों को प्रशिक्षित कराएं। प्रसंस्करण इकाइयों से जुड़ा प्रशिक्षण भी दिलाया जाए। प्रदेश में कोदो-कुटकी का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।
कोटो-कुटकी का समर्थन मूल्य नहीं
राज्य आजीविका मिशन ने किसान उत्पादक समूह बनाकर उपज खरीदने की व्यवस्था बनाई है। प्रदेश के डिंडौरी, मंडला, उमरिया, शहडोल, अनूपपुर, सीधी, सिंगरौली, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, मुरैना, भिंड जिले में कोटो-कुटकी, बाजरा और ज्वार की खेती होती है। सरकार बाजरा दो हजार 350 और ज्वार दो हजार 970 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर खरीद रही है पर कोटो-कुटकी के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। कोदो-कुटकी 25 से 35 रुपये की दर से समूह खरीदते हैं और उसे स्व-सहायता समूहों को देते हैं जो लड्डू, बर्फी, कुकीज, बिस्कुट सहित अन्य उत्पाद तैयार करते हैं।
25/12/2022
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