खंडवा: भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशियों को जनसंपर्क पर भरोसा

भाजपा व कांग्रेस

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश में चौथे चरण के मतदान में अब तीन दिन रह गए हैं, लेकिन इसके बाद भी निमाड़ इलाके की खंडवा लोकसभा सीट पर पूर्व के चुनाव के दौरान रहने वाली प्रचार की गहमागहमी नजर नहीं आ रही है। खंडवा शहर चुनाव को लेकर पूरी तरह से अलसाया जा नजर आता है।
इस सीट पर भाजपा ने जहां एक बार फिर से ज्ञानेश्वर पाटिल पर तो, कांग्रेस ने इस बार नरेंद्र पटेल को प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही प्रत्याशियों को तामझाम की जगह व्यक्तिगत जनसंपर्क पर अधिक भरोसा है। यही वजह है कि दोनों इसी पर फोकस किए हुए हैं। खंडवा सीट पर लोकसभा चुनावों में पहले कांग्रेस का बोलबाला रहा, लेकिन बीते कुछ सालों में यहां पर भाजपा का प्रभाव ऐसा पड़ा की लगातार भाजपा को जीत मिल रही है। अभी तक हुए कुल 19 बार के लोकसभा चुनाव (दो उपचुनाव शामिल) में खंडवा सीट पर कांग्रेस ने नौ बार जीत हासिल की, जबकि भाजपा को आठ बार जीत मिली है। दो बार जनता पार्टी को भी यहां से जीत मिल चुकी है। इस बार भी इस सीट पर 11 प्रत्याशी मैदान मे हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला है। इस बार निर्दलीय या अन्य किसी दल से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरने से कांग्रेस को अपने परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक में बंटवारे की चिंता नहीं है। इसके इतर भाजपा में टिकट के लिए दावेदारों की लंबी फेहरिस्त रही है। इससे अंदरूनी बगावत से इन्कार नहीं किया जा सकता है। निर्दलीय और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों से भाजपा और कांग्रेस को अपने वोटों में सेंधमारी की ज्यादा चिंता नहीं है। भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटील और कांग्रेस के नरेंद्र पटेल भितरघात की संभावनाओं से भी बेफ्रिक हैं। दोनों ही जोरशोर से प्रचार के इतर सिर्फ जनसंपर्क तक सीमित हैं। इस चुनाव में कांग्रेस के लिए वापसी तो भाजपा के समक्ष कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है। भाजपा में चुनाव की पूरी रणनीति और संचालन की डोर सीधे केंद्रीय नेतृत्व ने थाम रखी है। ऐसे ेंम स्थानीय प्रत्याशी, पार्टी और संगठन ज्यादा चिंतित नहीं हैं। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के दो दौरे और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पुनासा में सभा के के बाद अब भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिवसीय प्रवास पर आने और कांग्रेस में सचिन पायलट की सभा करवाने की तैयारी है।  कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल को अपने परंपरागत अल्पसंख्यक वोट के अलावा सजातीय पटेल समुदाय और राजपूत वोटों से आस है। खंडवा में वहीं भाजपा ने पिछड़ा वर्ग के ज्ञानेश्वर पाटील को पुन: उम्मीदवार बनाकर फिर ओबीसी कार्ड खेला है।
यह है सीट का चुनावी इतिहास
शुरुआती पांच आम चुनावों (1952-71) में कांग्रेस ने पांचों बार खंडवा सीट से जीत का परचम लहराया। इसके बाद 1977 के चुनाव और 1979 के उपचुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली, हालांकि खंडवा की जनता ने इसके बाद फिर कांग्रेस की वापसी कराई और लगातार दो चुनाव (1980 और 1984) में कांग्रेस प्रत्याशी को जिता कर सांसद बनाया। इसके बाद 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार इस सीट से जीत हासिल की। हालांकि इसके बाद 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से खंडवा से चुनाव जीता। 1996 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी  के प्रत्याशी नंदकुमार सिंह चौहान ने जीत दर्ज कर खंडवा लोकसभा सीट पर पार्टी की वापसी कराई।  इसके बाद चौहान लगातार (1998, 1999 और 2004) चुनाव जीतते रहे और 2009 तक इस क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व लोकसभा में करते रहे। 2009 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा।  हालांकि 2014 और 2019 के चुनाव को जीतकर नंदकुमार सिंह चौहान ने अपना दबदबा कायम रखा।  चौहान के निधन के बाद 2021 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के ही उम्मीदवार ज्ञानेश्वर पाटिल ने जीत हासिल की और यहां से सांसद बने। एक बार फिर बीजेपी ने पाटिल पर भरोसा जताते हुए उन्हें लोकसभा का टिकट दिया है।
विस चुनाव में भाजपा रही भारी
इस सीट के तहत चार जिलों की आठ विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें खंडवा, बुरहानपुर, नेपानगर, पंधाना, मांधाता, बड़वाह, भीकनगांव और बागली शामिल है।  इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का पलड़ा भारी है। इनमें सात पर भाजपा और एक मात्र भीकनगांव पर कांग्रेस का विधायक है। भाजपा ने 28 साल बाद लोकसभा सीट पर दूसरी बार ओबीसी प्रत्याशी दिया है। इसकी एक वजह यह भी है कि इस संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 19.68 लाख है। इनमें से ओबीसी पांच लाख से अधिक हैं जबकि सामान्य वर्ग के मतदाना चार लाख से कम हैं। जातिगत समीकरण के गणित से देखें तो एससी-एसटी वर्ग के वोटर सबसे ज्यादा सात लाख 68 हजार हैं। वहीं आठ विधानसभा क्षेत्रों में से तीन पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल बड़वाह विधानसभा सीट से पांच माह पहले ही चुनाव हारे हैं। वे मूलत: खरगोन जिले के रहने वाले हैं।
बीते चुनाव में किसे कितने मिले मत
2021 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल ने कांग्रेस के राज नारायण सिंह पूर्णी को हराया। ज्ञानेश्वर पाटिल ने पूर्णी को 82,140 वोटों से हराया था। पाटिल को 632,455 वोट तो कांग्रेस के पूर्णी को 5,50,315 वोट मिले थे। इनके अलावा भारतीय ट्राइबल पार्टी के दारासिंह पटेल खतवासे को 17,564 वोट और  निर्दलीय डॉ. हरीसिंह गुर्जर को 17,463 वोट मिले थे।

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