चुनाव में हथियार रखना अब पड़ेगा भारी निरस्त होगा लाइसेंस

हथियार रखना

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। चुनाव के समय कलेक्टर के आदेशों के बाद भी जिन लाइसेंसी हथियार धारकों ने अपने हथियारों को पुलिस या अन्य तय जगहों पर जमा नहीं कराए थे , उन्हें अब यह लापरवाही भारी पडऩे वाली है। इसकी वजह है जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है। प्रदेश में चारों चरणों का मतदान होने के बाद जब हथियार जमा कराने की समीक्षा की गई , जो पता चला कि करीब लाइसेंसधारियों ने तो कलेक्टर के आदेश को नकारते हुए अपने हथियार ही जमा नहीं कराए हैंं। दरअसल, अगर भोपाल की बात की जाए तो जिले में 9974 लायसेंसी हथियार हैं, जिनमें से करीब चार हजार हथियार थाने तक पहुंचे ही नहीं हैं। अब ऐसे लोगों को जिला प्रशासन द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी ए जा रहे हैं। अगर दिए गए जवाब से प्रशासन संतुष्ट नहीं होता है, तो फिर लाइसेंस को निरस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा उन्हें बताना होगा कि उनका लाइसेंस क्यों निरस्त नहीं किया जाए।
दो तिहाई महिलाओं ने भी नहीं माना आदेश
अहम बात यह है कि 375 महिलाओं के पास हथियारों के लाइसेंस है, लेकिन इनमें से दो तिहाई महिलाओं ने भी सरकारी आदेश को नहीं मना है। यही वजह है कि चुनाव के समय मात्र 140 महिलाओंं ने ही अपने हथियार जमा करवाए। जिले में कुल 9974 लोगों के पास हथियार रखने का लायसेंस हैं। इनमें से  करीब छह हजार लायसेंस वाले ही हथियार जमा हुए हैं। इसमें कई ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें हथियार रखने की छूट मिली हुई है।
कहां -कहां जमा होते हैं हथियार
जिला दंडाधिकारी कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने शस्त्र अधिनियम 1959 के तहत जिले के सभी शस्त्र लायसेंसधारियों के शस्त्र लायसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए। 16 मार्च से 06 जून 2024 तक की अवधि में सभी आग्नेयशस्त्र लायसेंसधारियों से नजदीकी थानों में जमा कराने का कहा है। यह आदेश कानून एवं व्यवस्था के कार्य में लगे पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों, सभी केन्द्र शासन एवं राज्य शासन के विभागों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों पर लागू नहीं होता है। इसके अलावा लोगों के पास हथियारों की दुकान में भी इन्हें जमा कराने की सुविधा होती है। ।
इसलिए कराए जाते हैं जमा
हथियार जमा कराने की वजह होती है, चुनाव प्रचार से लेकर मतगणना के समय कहीं किसी प्रकार की कानून व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े और इस दौरान होने वाले विवाद में गोली चलने की घटनाएं न हो सकें ।
इस तरह से मिलता है लाइसेंस
बंदूक का लाइसेंस आम्र्स एक्ट 1959 के तहत दिया जाता है। एडीएम ऑफिस या कलेक्टोरेट में आवेदन करना होता है। यहां से एसपी ऑफिस में पुलिस वेरिफिकेशन के लिए इसे भेजते हैं। संबंधित थाना क्षेत्र से आवेदक का वेरिफिकेशन किया जाता है। जिसके बाद उस एरिया के सीएसपी अपनी अनुशंसा लिखते हैं कि संबंधित को आम्र्स लाइसेंस मिलना चाहिए या नहीं। इस दौरान खासतौर पर आवेदक का आपराधिक रिकार्ड देखा जाता है।
कब कितने बने
2023 278
2022 233
2021 194
2020 166
2019 157
2018 331

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