- आचार संहिता के बाद इस पर काम शुरू होने की उम्मीद
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। महाकाल की नगरी में आयोजित होने वाले आगामी सिंहस्थ की तैयारियां शुरू हो गई हैं। आगामी सिंहस्थ में शिप्रा में गंदा पानी प्रवाहित नहीं हो, इसके लिए सरकार ने काम शुरू कर दिया है। सिंहस्थ में आने वाले में संत और श्रद्धालु शिप्रा में आचमन कर सकें, इसके लिए कान्ह नदी शुद्धिकरण के लिए नए सिरे से 615 करोड़ की योजना तैयार की गई है। कान्ह के लिए नमामि गंगे में कुल 511 करोड़ मिलेंगे और अमृत-2 में भी फंड मिलने की उम्मीद है। आचार संहिता के बाद इस पर काम शुरू होने की उम्मीद है। शिप्रा शुद्धिकरण के लिए सरकार ने राज्य स्तर पर उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी के सदस्य विगत दिवस इंदौर में थे। चूंकि इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदी का पानी उसमें मिलता है, इसलिए निगमायुक्त शिवम वर्मा ने नमामि गंगे फेज- 1 और अमृत प्रोजेक्ट फेज-2 के तहत शहर में सीवर नेटवर्क और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने को लेकर स्मार्ट सिटी ऑफिस में समीक्षा बैठक ली। निगमायुक्त ने कहा कि वर्ष 2040 में शहर की जनसंख्या को देखते हुए शहर के सीधर नेटवर्क की प्लानिंग की जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि उद्योगों का वेस्ट नदी के पानी में सीधे छोडऩे की शिकायतें मिली हैं, जिन पर टीम बनाकर कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि कान्ह और सरस्वती नदी के शुद्धिकरण पर 15 वर्षों में 1152 करोड़ खर्च हो चुके हैं। देश की पहली वाटर प्लस सिटी का तमगा हासिल करने के लिए दो वर्ष पहले 200 करोड़ खर्च कर नाला टैपिंग की गई थी। हालांकि वह काम नहीं आई। वर्ष 2028 में सिंहस्थ है इसलिए नदी को साफ करने की कोशिश फिर शुरू हो गई हैं। इस पर निगम 615 करोड़ खर्च करने की तैयारी कर रहा है। अमृत योजना के पहले चरण में भी दो एसटीपी बनाए गए थे। कुल 10 एसटीपी से 412 एमएलडी पानी साफ कर रहे हैं। नमामि गंगे प्रोजेक्ट में भी इंदौर को 511 करोड़ मिले हैं। इससे 240 करोड़ खर्च कर 195 एमएलडी के तीन एसटीपी बनाएंगे, जाएंगे। अमृत योजना के दूसरे फेज में भी दो एसटीपी बनाने की योजना है। निगम को आउट फॉल्स रोकने के लिए 11 एसटीपी चाहिए।
औद्योगिक क्षेत्रों में दो नए ईटीपी बनाने की कवायद
इंदौर में भी प्रशासन व नगर निगम ने कान्ह नदी के माध्यम से शिप्रा में मिलने वाले पानी को शुद्ध करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। नगर निगम कान्ह में शहर के सीवरेज के आउट फॉल बंद करने के साथ औद्योगिक क्षेत्र का पानी भी साफ करके नदी में छोडऩे की तैयारी कर रहा है। इसके लिए औद्योगिक क्षेत्रों में दो इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) बनाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। कान्ह और शिप्रा शुद्धिकरण के लिए मुख्यमंत्री की प्राथमिकता के बाद अब स्थानीय अमला भी सक्रिय हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन और नगरीय क्षेत्र में निगम योजना पर अमल कर रहा है। अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन ने इस संबंध में पालदा और कुमेड़ी में दो स्थान पर ईटीपी प्लांट के लिए उद्योगपतियों के साथ विस्तार से चर्चा की है। सबसे पहले इनकी क्षमता तय करने के लिए उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी का आकलन किया जा रहा है। नगर निगम दोनों स्थानों के औद्योगिक क्षेत्र में स्थानीय एसोसिएशन के सहयोग से सर्वे करेगा। सांवेर रोड, पालदा क्षेत्र में कई ऐसे उद्योग हैं, जिनसे दूषित पानी कान्ह को प्रभावित कर रहा है। पिछले दिनों निगम ने ईटीपी बनाकर पानी साफ करने की कवायद की थी।
कितना सीवर निकल रहा, पता ही नहीं
बड़ी बात यह है कि अधिकारी अब तक यह भी पता नहीं लगा पा रहे थे कि शहर से रोज कितना सीवर निकल रहा है? उनसे सवाल किया तो उनका कहना है कि अब तक प्लानिंग मैच नहीं कर पा रहे थे। पानी की आपूर्ति के हिसाब से सीवर की मात्रा का अनुमान लगाया है। अभी 412 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट करने की क्षमता है। इसमें से 90 एमएलडी के दो एसटीपी का सिस्टम पुराना हो गया है। आजाद नगर के एसटीपी में 15 एमएलडी कम सीवर आता है। लाइनों में सीवर की मात्रा बढऩे लगी जो एसटीपी की क्षमता से ज्यादा है। 245 एमएलडी का एसटीपी 100 फीसदी काम कर रहा है। 77 एमएलडी के एसटीपी में 60 एमएलडी सीवर ही आ रहा है।