भाजपा के निशाने पर कमलनाथ का गढ़

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  • मिशन 2024: नत्थन शाह, और फग्गन के नाम चर्चा में…

    गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिलने के बाद भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह रणनीतिक मोर्चे पर सक्रिय हैं। पार्टी का सबसे अधिक फोकस छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर है। कांग्रेस की एकमात्र छिंदवाड़ा सीट को जीतने के लिए भाजपा खास रणनीति बनाने में जुट गई है। सूत्रों का कहना है कि अभी तक की रणनीति के अनुसार पार्टी छिंदवाड़ा को जीतने के लिए एक बार फिर से पुराने प्रत्याशी पर ही  दांव लगा सकती है।
    छिंदवाड़ा सीट को कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता है। यहां से पूर्व सीएम और कद्दावर नेता कमलनाथ भी सांसद रह चुके हैं। 2019 के चुनाव में इस सीट से कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ सांसद बने। छिंदवाड़ा में 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर 3.48 फीसदी घटा था। जबकि भाजपा के वोट शेयर में 4.04 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। भाजपा पिछले चुनाव में बढ़े वोट प्रतिशत को देखते हुए इस बार चुनाव के करीब एक से डेढ़ महीने पहले ही यहां अपना प्रत्याशी घोषित करने की तैयारी में है। छिंदवाड़ा में पार्टी जिन चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी में है, उनमें सियासी तौर पर प्रदेश के सबसे ताकतवर नेता माने जाने वाले शिवराज सिंह चौहान का नाम पहले नंबर पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश में चुनावी शंखनाद की शुरुआत भी छिंदवाड़ा से करने जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा किसी आदिवासी नेता को भी उम्मीदवार बना सकती है। इस सीट पर मंडला सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं। कुलस्ते हाल ही में निवास सीट से विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आदिवासी नेता नत्थन शाह को उतारा था। शाह ने नकुल नाथ को कड़ी टक्कर देते हुए जीत का अंतर बेहद कम कर दिया था। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या लगभग 167,085 है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 11.1 फीसदी हैं। छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर अनुसूचित जनजाति वर्ग मतदाताओं की संख्या लगभग 544,907 है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 36.2 फीसदी हैं।
    कमजोर सीटों पर फोकस
    भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देशभर के लिए जो कार्ययोजना तैयारी की है, उनमें उन सीटों पर फोकस किया है, जहां पर वह लगातार हार रही है अथवा कमजोर है। हिंदी भाषी राज्यों की सीटों पर भाजपा का खास फोकस है। इसके लिए पार्टी ने आकांक्षी सीटों की एक सूची तैयार की है, जिसमें छिंदवाड़ा का नाम भी शामिल है। छिंदवाड़ा कांग्रेस की परंपरागत सीट है, लेकिन इसे कांग्रेस से ज्यादा कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। यहां से पूर्व सीएम कमलनाथ के साथ उनकी पत्नी अल्का नाथ सांसद रह चुकी है। साल 2019 के चुनाव में बेटे नकुल नाथ सांसद है। छिंदवाड़ा सीट पर माल 2014 की तुलना में साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत 3.48 प्रतिशत गिरा था, जबकि भाजपा का मत प्रतिशत 4.04 फीसदी बढ़ा था। वर्ष 2029 में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का आंकड़ा भी कम था। कांग्रेस प्रत्याशी नकुल नाथ को 5,87,305 वोट मिले थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार नत्थन शाह कमरेती को 5,49,769 वोट मिले थे। कांग्रेस की जीत का आंकड़ा 37 हजार के लगभग था। इसी को आधार मानकर भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह और जेपी नड्डा ने प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलकर  छिंदवाड़ा सीट पर खास फोकस किया है। पार्टी की तैयारी यह है कि किसी बड़े चेहरों को चुनाव लड़ाया जाए। तैयारी यह है कि अयोध्या के नए मंदिर में रामलला के विराजमान होने के बाद पीएम मोदी छिंदवाड़ा से मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव का आगाज करें। पार्टी के पास स्थानीय स्तर पर नत्थन शाह के अलावा बंटी साहू भी दावेदार हैं, लेकिन भाजपा की नई रणनीति के हिसाब से छिंदवाड़ा से चुनाव लडऩे  वाले नेताओं की सूची में शिवराज का नाम पहले पहले नंबर पर शामिल किया गया है। फिलहाल इस बार सीट पर मुकाबला बेहद रोचक होगा।
    छिंदवाड़ा भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
    छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। दरअसल, भाजपा विधानसभा चुनाव में कमलनाथ का किला भेदने में विफल रही है। छिंदवाड़ा के सभी सात सीटों पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी। सूत्रों का कहना है कि भाजपा एमपी में लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से करने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा के किसी आदिवासी बहुल इलाके से चुनाव प्रचार अभियान का आगाज कर सकते हैं। बीते विधानसभा चुनाव में भी अमित शाह ने चुनाव प्रचार की शुरुआती जनसभा छिंदवाड़ा में ही की थी। अब लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा आ सकते हैं। भाजपा छिंदवाड़ा लोकसभा में 1951 के बाद से ही जीत के लिए तरस रही है। 1951 से ही इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। 1997 में पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा ने एक बार जरूर उपचुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद भाजपा कभी यहां चुनाव नहीं जीत पाई। छिंदवाड़ा में 1980 से कमलनाथ का दौर शुरू हुआ है। वहां से कमलनाथ, उनकी पत्नी और बेटे नकुलनाथ लगातार लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं। कमलनाथ को छिंदवाड़ा में पटखनी देने के लिए भाजपा ने हर कोशिश की लेकिन सब बेकार साबित हुई हैं। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कड़ी टक्कर दी थी। नकुलनाथ को 5,87,305 वोट मिले थे। वहीं, भाजपा उम्मीदवार नत्थन शाह कवरेती को 549769 वोट मिले थे। इस बार जीत का फासला 40 हजार से भी कम वोटों का था। इससे पहले यह मार्जिन एक लाख से अधिक वोटों का रहा है।
    अमित शाह का फोकस छिंदवाड़ा पर
    भाजपा ने 2019 में हारी हुई लोकसभा सीटों पर विशेष ध्यान देने की कार्ययोजना के तहत कई केंद्रीय मंत्रियों को अलग-अलग राज्यों की लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी दी है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को दी गई है। सिंह ने विधानसभा चुनाव से पहले कई बार दौरा भी किया। इसके अलावा कार्यकर्ताओं की बैठक भी ली। लेकिन चुनाव में नतीजा कांग्रेस के पक्ष में ही आया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी खुद इस सीट का विधानसभा चुनाव के दौरान कई बार दौरा कर चुके हैं। भाजपा ने 2019 में हारी हुई लोकसभा सीटों पर खास फोकस कर कार्ययोजना तैयार की है। इसके मद्देनजर केंद्रीय मंत्रियों को अलग-अलग लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। छिदवाड़ा की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को सौपी गई है। सिंह की गिनती केंद्रीय मंत्री अमित शाह के करीबी नेताओं में होती है। उनकी छवि भी हार्डकोर हिंदुत्व की है। सिंह कई बार छिंदवाड़ा का दौरा भी कर चुके हैं।

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