युवा, जुझारू और सक्रिय नेताओं को मिलेगी कमान
भोपाल/हारीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ अपनी नई टीम को चुनावी मोर्चे पर तैनात करना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है की कमलनाथ ने नई टीम की स्क्रिप्ट तैयार कर ली है। प्रदेश कांग्रेस की नई टीम में युवा, जझारू और सक्रिय नेताओं को कमान दी जाएगी। वहीं वर्तमान संगठन में जो नेता निष्क्रिय हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। 2023 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ इसी माह नई कार्यकारिणी की घोषणा कर सकते हैं। कमलनाथ की नई टीम में आधे पदों की जिम्मेदारी युवा चेहरों को देने की कोशिश है। जानकारों का कहना है कि जनवरी में नई टीम अपना कामकाज संभाल लेगी। मौजूदा कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव समेत अन्य पदाधिकारियों की संख्या 150 से ऊपर है। इनमें से आधे नई टीम में बाहर हो जाएंगे।
अनुभवी लोगों को दी जाएगी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस तैयारियों में जुटी है, सत्ता में वापसी के लिए ताकत लगा रही कांग्रेस मिशन-2023 के लिए कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। नए साल में कमलनाथ अपनी पूरी टीम को एक्टिव कर देंगे, जहां एक साथ कई मोर्चों पर काम किया जाएगा। गौरतलब है कि अधिकांश को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई थी, लेकिन बुरहानपुर और खंडवा में मिस मैनेजमेंट की शिकायतें पीसीसी को मिली हैं। नाथ नई कार्यकारिणी में अनुभवी लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपना चाहते हैं। क्योंकि 2018 में उनका इस तरह का प्रयोग सफल हो चुका है। चुनाव लड़ने वाले लोग संगठन की जिम्मेदारियों से भी मुक्त किए जाएंगे।
40-45 पदाधिकारियों के हाथों में चुनावी कमान
नई टीम में 40-45 पदाधिकारियों के हाथों में चुनावी कमान होगी। अधिकांश संगठन से जुड़े अनुभवी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिसमें अपवाद स्वरूप विधायक का चुनाव लड़ने वाले भी हो सकते हैं। वर्तमान कार्यकारिणी में 2020 में हुए उपचुनाव तक नेताओं के नाम जुड़ते रहे ,जिससे उसका स्वरूप जंबो हो गया और संगठन की स्थिति भी मजबूत नहीं है। कांग्रेस की मिशन-2023 के लिए ब्लॉक स्तर तक संगठनों को बूस्ट अप करने की तैयारी चल रही है। कांग्रेस मिशन 2023 पर फोकस कर सत्ता में वापसी पर काम कर रही है। यही वजह है कि कांग्रेस अब ब्लॉक, जिला स्तर पर फोकस करेगी इसी के तहत निचले स्तर पर संगठन पदाधिकारियों से संवाद का सिलसिला शुरू किया जा रहा है। संवाद के बाद प्रदेश में खाली पड़े कांग्रेस के पदों के लिए भी जल्द संगठन चुनाव होंगे, ताकि खाली पड़े बड़े पदों को भरकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एनर्जी भरी जाए।
युकां के विस प्रभारियों का वन-टू-वन आज से
मप्र युवा कांग्रेस ने पोलिंग बूथ के गठन के लिए विधानसभा की जाएगी। प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। युवा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अखिलेश यादव और युकां के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आज से दो दिन विधानसभा प्रभारियों के साथ वन-टू-वन चर्चा कर रहे हैं। मप्र युवक कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष विवेक त्रिपाठी के मुताबिक युवक कांग्रेस ने प्रदेश के सभी 65 हजार पोलिंग बूथों पर कार्यकर्ताओं को तैनात करने का लक्ष्य रखा है। यह काम लगभग पूरा हो गया है। इसकी जिम्मेदारी विधानसभा प्रभारियों को दी गई है। वन-टू-वन चर्चा में विस प्रभारियों से बूथों के गठन की स्थिति की अपडेट जानकारी ली जाएगी। और चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की जाएगी।
संगठन में दिखेंगे बड़े बदलाव
कमलनाथ की नई टीम में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। जानकारी के अनुसार कार्यकारी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित कई पदाधिकारी बदले जा सकते हैं। डॉ. गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी हैं। उन्हें उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है। जीतू पटवारी, बाला बच्चन, रामनिवास रावत और सुरेंद्र चौधरी कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इनकी भी भूमिकाएं बदल सकती हैं। क्योंकि पटवारी, बच्चन और रावत तीनों विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अंतिम फैसला एआईसीसी लेगी। वहीं कमलेश्वर पटेल और नर्मदा प्रसाद प्रजापति पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं। दोनों विधायक हैं और विधानसभा चुनाव में भी उतरेंगे, इसलिए उन्हें संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त कर मैदान में भेजा जाएगा। राजा पटेरिया विवादास्पद टिप्पणी के चलते जेल में हैं, उन पर पार्टी ने निष्कासन की कार्रवाई करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सूत्रों का कहना है कि पांच से छह विधायकों की महामंत्री पद से छुट्टी हो सकती है। हर्ष यादव सागर जिले की देवरी विधानसभा से विधायक हैं और महामंत्री भी हैं। सचिन यादव खरगोन जिले की कसरावद विधानसभा से विधायक हैं। सिद्धार्थ कुशवाहा सतना से विधायक हैं। सुखदेव पांसे मुलताई, प्रियव्रत सिंह खिलचीपुर से विधायक हैं, जिन्हें महामंत्री पद की भूमिका से मुक्त किया जाएगा और क्षेत्र में जाकर चुनावी तैयारी करने को कहा जाएगा।
18 को चुनाव की तैयारियों पर होगी चर्चा
मध्य प्रदेश से भारत जोड़ो यात्रा के गुजरने के बाद अब कांग्रेस फिर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने 18 दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में जिला प्रभारियों और सह प्रभारियों की बैठक बुलाई है। बैठक में जिलों में संगठन के कामकाज, मंडलम, सेक्टर, बूथ के गठन समेत चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की जाएगी। कमलनाथ प्रभारियों से उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारियों का फीडबैक लेंगे। इसके अलावा कमलनाथ 26 जनवरी से शुरू होने वाले कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ो अभियान को लेकर चर्चा करेंगे। बैठक में अभियान के क्रियान्वयन की रूपरेखा तय की जाएगी। यह अभियान राज्य, जिला और ब्लॉक-गांव स्तर पर आयोजित किया जाएगा। मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह अभियान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बैठक में जिला प्रभारियों को संगठन के कामकाज में सामने आ रही कठिनाइयों को लेकर अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा।
18 जिलाध्यक्ष भी बदले जाएंगे
कांग्रेस जल्द 18 संगठनात्मक जिलों में बदलाव करने जा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ इस संबंध में मैराथन बैठकें करेंगे। फिलहाल लगभग 18 नये जिलाध्यक्षों के नाम तय कर लिए गये हैं। इन नामों की अनुशंसा दिल्ली भेजी जा रही। सभी नये जिलाध्यक्षों की घोषणा दिल्ली से होगी। जानकारी के अनुसा भोपाल, इंदौर और जबलपुर में शहरी और ग्रामीण दोनों जिलाध्यक्ष बदले जाना है। वहीं मुरैना, खरगोन, दतिया और रतलाम में ग्रामीण तथा खंडवा और बुरहानपुर में शहरी और ग्रामीण दोनों जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। उमरिया, शहडोल, आगर-मालवा, कटनी, रीवा में भी नए जिलाध्यक्ष बनना है। बदलाव की प्रमुख वजह नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के चुनाव के नतीजे हैं। भोपाल और इंदौर जिले में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। भोपाल महापौर पद की प्रत्याशी विभा पटेल ने जिला संगठन से सहयोग न मिलने की शिकायत की थी। इंदौर नगर निगम चुनाव में हार के बाद कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने भी ठीक इसी तरह की शिकायत की थी। इंदौर में जिला, जनपद और पंचायतों में भी कांग्रेस की हार हुई। जबलपुर के जिलाध्यक्ष जगत बहादुर सिंह महापौर बन गए हैं, इसलिए वहां नया जिलाध्यक्ष बनाया जाना है। रीवा में महापौर चुनाव के दौरान जिलाध्यक्ष ने प्रत्याशी का विरोध कर दिया था। सागर और टीकमगढ़ में कांग्रेस के जिला संगठन की स्थिति लचर है। वहीं खंडवा-बुरहानपुर में कार्यवाहक अध्यक्ष काम कर रहे हैं।