कमलनाथ की हर नेता के कामकाज पर रहेगी नजर

कमलनाथ

विधायक-पदाधिकारियों के हर दिन कमी जानकारी की मिलेगी रिपोर्ट

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/ बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के तंत्र को पूरी तरह से सक्रिय रखना चाहते हैं, इसके लिए उनके द्वारा तरह-तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब उनके द्वारा पार्टी के विधायकों से लेकर मैदानी स्तर तक काम करने वाले पदाधिकारियों पर भी पूरी नजर रखने का तय कर लिया गया है।  इसके लिए अलग से टीम का गठन किया गया है।  इस टीम की हर दिन  उन पर  नजर रहेगी, यह टीम हर दिन की गतिविधि की पूरी जानकारी अध्यक्ष के दफ्तर तक भेजने का काम करेगी। इसके आधार पर विधायकों की सक्रियता और अन्य कमजोरियों के मामले में जानकारी देकर उनमें सुधार करवाने का काम किया जाएगा। इसके अलावा पदाधिकारियों के कामकाज का भी आंकलन किया जाएगा। इसके आधार पर पहले उन्हें अपनी कार्यशैली में सुधार लाने के लिए चेताया जाएगा, फिर भी सुधार नहीं हुआ तो फिर उन्हें जिम्मेदारी से मुक्त करने का काम कर सक्रिय और अन्य प्रभावशाली कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी जाएगी। दरअसल यह पूरी कवायद मिशन 2023 के लिए की जा रही है। इसके लिए अब महज एक साल का ही समय रह गया है। कमलनाथ इस बार विधानसभा के आम चुनाव के पहले सभी चुनावी तैयारियां पूरी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस लगातार बैठक कर जहां विधायकों, पदाधिकारियों और जिला संगठनों को सक्रिय करने के प्रयासों में लगी हुई है। इसके अलावा पार्टी के रणनीतिकार लगातार मंथन पर संगठन के कई कार्यक्रमों की रुपरेखा बनाने में लगे हुए हैं। दरअसल पार्टी को पूरा जोर सभी नेताओं को एक साथ रखना और प्रत्येक निर्णय पर आम सहमति बनाने पर है। इस तरह के प्रयासों से पार्टी मतदाताओं के बीच एकता का सकारात्मक संदेश देना चाहती है। उधर, पार्टी सूत्रों का कहना है की कमलनाथ द्वारा बीते कई माह से एक आतंरिक सर्वे कराया जा रहा है, जिसमें हर जिले व विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी जुटाने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में कहां भ्रष्टाचार हो रहा, उसकी भी जानकारी भी जुटाई जा रही है।
टैलेंट हंट से जिला प्रवक्ताओं का चयन
योग्यता के आधार पर प्रवक्ता बनाए जाने की भी पार्टी द्वारा कवायद की जा रही है। इसके माध्यम से पार्टी जिला स्तर पर अपनी मीडिया टीम को मजबूत करने की तैयारी में है। इसके माध्यम से पार्टी भाजपा को मीडिया के स्तर पर टक्कर देने की पूरी तैयारी कर रही है। कांग्रेस को जिला स्तर पर भी ऐसे प्रवक्ताओं की तलाश कर रही है , जो मुखर होने के साथ ही अधिक प्रभावी तरीके से कांग्रेस की बात आम जनता तक पहुंचा सकें। इस मामले में युवाओं को प्राथमिकता देना तय किया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देश मिलने के बाद पार्टी के प्रदेश मीडिया विभाग ने सभी जिलों में ऊर्जावान प्रवक्ताओं की नियुक्ति करने की तैयारी शुरू कर दी है। जिला प्रवक्ताओं का चयन टैलेंट हंट के माध्यम से करना तय किया गया है। इसके लिए कुछ मापदंड भी तय किए हैं, जिनके आधार पर प्रवक्ताओं का चयन किया जाएगा। इसके लिए टेलेंट हंट का आयोजन संभागीय मुख्‍यालयों पर आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान भाषायी, शाब्दिक, तार्किक ज्ञान व सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता का मूल्यांकन के अलावा उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और पार्टी विचारधारा के प्रति उसके समर्पण को देखा जाएगा। इसके अलावा तय किया गया है कि मौजूदा जिला प्रवक्ताओं द्वारा किए गए कार्यों का मूल्यांकन कर निर्धारित मापदंडों के अनुसार सक्रिय जिला प्रवक्ताओं को संभाग एवं प्रदेश स्तर पर पदोन्नत कर निष्क्रिय प्रवक्ताओं को पदमुक्त किया जाएगा। इसके अलावा जिला स्तर पर चयनित प्रवक्ताओं का प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किया जाएगा।
जारी है प्रत्याशी चयन का काम
पार्टी द्वारा प्रदेश में 18 जिलों के 46 नगरीय निकायों में होने जा रहे चुनाव की तैयारियों को लेकर तेजी से काम किया जा रहा है। प्रदेश संगठन ने संबंधित जिलाध्यक्षों को स्थानीय पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ रायशुमारी कर पार्षद प्रत्याशियों के सिंगल नाम तय कर प्रदेश कार्यालय को भेजने को कहा है। अगर किसी जगह एक नाम पर सहमति नहीं बनती है तो नामों का पैनल भेजने को भी कहा गया है। यह नाम आज शाम तक मांगे गए हैं। गौरतलब है कि 46 नगरीय निकायों में हो रहे चुनाव के लिए  नामांकन पत्र 12 सितंबर तक जमा होंगे। संवीक्षा 13 सितंबर को होगी। इसी दिन अभ्यर्थियों को निर्वाचन प्रतीकों का आवंटन किया जाएगा। मतदान 27 सितंबर को सुबह 7 से शाम 5 बजे तक होगा। मतगणना एवं निर्वाचन परिणामों की घोषणा 30 सितंबर को होगी।
जातिगत समीकरण पर भी जोर
जानकारी के अनुसार प्रदेश कांग्रेस जातिगत समीकरण पर भी पूरा ध्यान दे रही है। इसलिए पार्टी द्वारा अनूसूचित जाति, आदिवासियों, पिछड़ा वर्ग के नेताओं को सक्रिय किया गया। इसी क्रम में हाल ही में कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग की बैठक भोपाल में की गई, जिसमें पूरे प्रदेश से इस वर्ग के नेताओं को पीसीसी बुलाया गया था। इसके अलावा उन्हें इस वर्ग के बीच पूरी तरह से सक्रिय रहने को भी कहा गया है।
अग्रवाल के सामने रहेगी कड़ी चुनौती
दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल को मप्र कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। 77 साल के अग्रवाल दिल्ली से चार बार लोकसभा सांसद रहे हैं। कांग्रेस में महासचिव का पद संभाल रहे अग्रवाल की लंबे समय बाद मुख्य धारा में वापसी हुई है। मप्र में विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। अग्रवाल के सामने विधानसभा चुनाव से पहले मप्र में कांग्रेस के कमजोर संगठन को मजबूत करने की चुनौती सबसे बड़ी होगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि हमारा संगठन कमजोर है। हमारा मुकाबला भाजपा से नहीं, बल्कि भाजपा के मजबूत संगठन से है। इसलिए कमलनाथ पिछले दो साल से संगठन को मजबूत करने के लिए मंडलम, सेक्टर व पोलिंग बूथ के गठन पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं, लेकिन अब तक इसके उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले हैं। जुलाई में हुए नगरीय निकाय चुनाव में मंडलम, सेक्टर व पोलिंग बूथ के गठन की जमीनी हकीकत पार्टी के सामने आ गई।  इसके बाद नाथ ने मंडलम, सेक्टर के गठन की जिम्मेदारी एनपी प्रजापति से वापस लेकर प्रदेश कोषाध्यक्ष अशोक सिंह को दे दी है। चूंकि अब चुनाव में समय कम बचा है, ऐसे में अग्रवाल को तत्काल प्रदेश में सक्रियता बढ़ाकर संगठन को मजबूत करने के लिए काम करना होगा। पार्टी संगठन पर ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार-जीत टिकी है। अग्रवाल कांग्रेस संगठन को कितना मजबूत कर पाते हैं, यह आने वाला वक्त बताएगा। उधर, प्रदेश प्रभारी के रूप में मुकुल वासनिक का कार्यकाल यादगार नहीं रहा। उन्हें करीब दो साल पहले मप्र कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था। प्रदेश प्रभारी रहते हुए दो वर्षों में उनकी मप्र में सक्रियता नहीं रही। उन्होंने इक्का-दुक्का मौकों पर ही मप्र आकर पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की। वे जब भी भोपाल आते थे, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के साथ बैठक कर वापस चले जाते थे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के फैसलों में भी उनका दखल नहीं होता था।

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