चुनाव: पचौरी और अरुण को… कमलनाथ ने दी अहम जिम्मेदारी

कमलनाथ

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ उतरने की योजना बना रही है। बीते चुनाव की ही तरह ही इस बार भी कमलनाथ सभी बड़े नेताओं के साथ मिलकर चुनावी समर में उतरने की रणनीति बनाकर उस पर अमल करते दिखने लगे हैं। उनके द्वारा अब दो बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने का तो अरुण यादव को जातिगत समीकरण साधने का अहम जिम्मा दिया गया है।  
दरअसल सूबे की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसके अलावा कई अन्य नेताओं को भी अलग-अलग काम सौंपा जा रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए व्यापक रणनीति बनाने का काम  पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को सौंपा गया है। वे सभी प्रमुख सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा करके अपनी रिपोर्ट तैयार कर उसे कमलनाथ को देंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर ही पार्टी द्वारा टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार की तैयारियां की जाएंगी। दरअसल प्रदेश में 230 विधानसभा की सीटें हैं, जिनमें से 82 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 148 अनारक्षित सीटों पर सामाजिक समीकरणों को देखते हुए प्रत्याशी तय किए जाएंगे।
पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को मुद्दा बनाने की तैयारी
दरअसल, कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है। इसकी वजह से   प्रत्याशी चयन भी बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है, लेकिन इसका असर अन्य समाजों पर न पड़े, इस पर भी ध्यान देना आवश्यक है। यही वजह है कि पहली बार कांग्रेस ने सामाजिक समीकरणों का अध्ययन कराने का फैसला किया है। अरुण यादव पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उनका पूरे प्रदेश में नेटवर्क भी है। खास बात यह है की वे पिछड़ा वर्ग से भी आते हैं, जिसकी वजह से ही  ा कमल नाथ द्वारा उन्हें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा करके उनकी अपेक्षाएं संबंधी रिपोर्ट बनाने का काम दिया गया है। वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी को चुनाव प्रचार अभियान की रूपरेखा तय करने का जिम्मा दिया है। वे भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति बनाएंगे। इसमें प्रमुख मुद्दे, उन्हें उठाने के तरीके, भाजपा के आरोपों पर पलटवार जैसे विषय शामिल रहेंगे।
समाजों को एकजुट करने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस विभिन्न समाजों को पार्टी के पक्ष में एकजुट करने में जुटी हुई है। पहली बार समाज समन्वय प्रकोष्ठ गठित किया गया है। इसके तहत राज्य स्तरीय सम्मेलन का सिलसिला भी प्रदेश कांग्रेस ने प्रारंभ कर दिया है। प्रकोष्ठों के प्रभारी जेपी धनोपिया का कहना है कि राजनीतिक तौर पर जो समाज पिछड़े हुए हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम प्रकोष्ठ के माध्यम से किया जा रहा है। पार्टी ने तय किया है कि इन्हें हर माध्यम से उचित स्थान दिया जाएगा।
एकता पर दिया जा रहा जोर
दरअसल कांग्रेस के बारे में कहा जाता है की उसके प्रदेश में सभी बड़े नेताओं के अपने-अपने गुट हैं। नेताओं के गुटों की वजह से ही पार्टी को बहुत अधिक चुनावी नुकसान होता है। इससे सबक लेते हुए ही अब कमलनाथ द्वारा पूरी तरह से गुटबाजी समाप्त कर एका पर जोर दिया जा रहा है। बीते चुनाव में भी इसी तरह का सफल प्रयोग किया गया था, जिसके परिणम स्वरुप कांग्रेस को डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी का मौका मिला था। यह बात अलग है की बाद में गुटबाजी का रोग ऐसा विस्फोटक हुआर की पार्टी को महज 15 माह में ही सत्ता से बाहर हो जाना पड़ा था।

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