- निगमायुक्त के खिलाफ में शुरू हुई राजनीति
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर नगर निगम में बात-बात पर नेतागिरी होती रहती है। इस बार नव नियुक्त नगर निगम आयुक्त को लेकर तीन आईएएस अधिकारियों ने मोर्चा खोल रखा है। आलम यह है की जूनियर आईएएस को नगर निगम आयुक्त की कमान सौंपने के मामले को ये अफसर अपनी मानहानि मान रहे हैं। यह मामला अब राजधानी भोपाल तक आ गया है। वहीं जोनल अधिकारियों ने भी नेतागिरी शुरू कर दी है। नगर निगम आयुक्त की सख्ती और अतिरिक्त काम कराने को लेकर जोनल अफसरों ने आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
गौरतलब है कि अभी हाल ही में 2018 बैच के आईएएस अमन वैष्णव को ग्वालियर का निगमायुक्त बनाया गया है। वैष्णव को निगमायुक्त बनाने पर जिले में मौजूद तीन सीनियर आईएएस अफसरों ने मोर्चा खोल दिया है। इसकी शिकायत भोपाल में की गई है। जानकारी के मुताबिक मामले में तीन सीनियर आईएएस अधिकारियों ने प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से आपत्ति दर्ज करवा दी है। प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने 10 अगस्त को प्रदेश के 26 आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर आर्डर जारी किए थे, उसमें ग्वालियर के 2015 बैंच के आईएएस हर्ष सिंह को डिंडोरी कलेक्टर के रूप में पदस्थ किया गया और उनकी जगह 2018 के आईएएस अमन वैष्णव को ग्वालियर नगर निगम की कमान दी गई। यहीं से विरोध की शुरुआत हुई क्योंकि जिले में 2014 से लेकर 2017 तक के तीन आईएएस अधिकारी है। उनकी अनदेखी कर निगमायुक्त के रूप में 2018 के आईएएस को मौका देने पर आपत्ति दर्ज करवाई गई है।
नेतागीरी पर जोनल अफसर
निगमायुक्त अमन वैष्णव का जहां तीन सीनियर आईएएस अधिकारी विरोध कर रहे हैं, वहीं नगर निगम के जोनल अधिकारियों ने भी यही रुख अपना लिया है। कारण कोई परेशानी नहीं सिर्फ नगर निगम आयुक्त की सख्ती है। नगर निगम में अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन करने वाले अधिकारी उंगलियों पर गिनने को ही मिल जाएं तो बड़ी बात होगी। अब निगम के जोनल अधिकारियों ने आयुक्त के ही खिलाफ मोर्चा खोलकर खुद को उपयंत्री का हवाला देकर गैर तकनीकी काम कराने को मुद्दा बनाना शुरु कर दिया है। इसको लेकर नगरीय प्रशासन मंत्री, महापौर से लेकर सभापति कलेक्टर तक को मांग-पत्र सौंप चुके हैं। दरअसल, जिन जोनल अधिकारियों को काम न करने की आदत थी वे अब आयुक्त की सख्ती नहीं झेल पा रहे। वहीं नगर निगम आयुक्त का साफ रुख है कि पहले काम नहीं करते होंगे, लेकिन अब तो काम करना पड़ेगा। बता दें कि नगर निगम के 17 जोनल अधिकारियों ने गत दिनों नगरीय प्रशासन मंत्री, नगरीय प्रशासन आयुक्त, महापौर, सभापति व कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में बताया गया कि जो जेडओ उपयंत्री हैं, उनसे गैर तकनीकी काम कराए जा रहे हैं। स्वच्छता में लगाया गया है, जबकि स्वच्छता का पूरा सिस्टम बना हुआ है। संपत्तिकर से लेकर अलग-अलग कामों में लगा दिया जाता है, जबकि उपयंत्री का काम निर्माण कार्य, अवैध निर्माण से लेकर जलकार्य का मूल काम होता है। इस मामले में नगर निगम की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल से जोनल अधिकारी उपयंत्रियों की नियमावली निकलवाई जा रही है, जिससे इनके पूरे कार्य स्पष्ट हो सकें। उपयंत्री के पास जलकार्य की जिम्मेदारियों के बिंदु भी मंगवाए गए हैं। इससे कहानी और साफ हो जाएगी।
काम होता है प्रभावित
ग्वालियर में जो तीन आईएएस अधिकारी वैष्णव से सीनियर हैं, उनमें विवेक सिंह, नीतू माथुर व अंजू कुमार शामिल हैं। स्मार्ट सिटी की सीईओ नीतू माथुर 2014 बैच की आईएएस है, जबकि कलेक्ट्रेट में एडीएम अंजू अरूण कुमार 2017 की, तो जिला पंयाचत सीईओ विवेक सिंह भी 2017 के आईएएस हैं। सेवानिवृत्त आईएएस अखिलेन्दु अरजरिया का कहना है कि पोस्टिंग करना सरकार का अधिकार है, इसको न्यायालय में भी चैलेज नहीं किया जा सकता। हालांकि इस तरह नहीं किया जाना चाहिए, इससे काम सफर होता है। जानकारों का कहना है कि नवागत निगमायुक्त अमन वैष्णव द्वारा पदभार ग्रहण करते ही उन्हें सीनियर आईएएस की नाराजगी की खबर लग गई थी, क्योंकि उन्होंने स्मार्ट सिटी सीईओ को बातचीत के लिए बुलाया था ,तो उन्होंने कहा था कि आप हमारे ऑफिस ही आ जाएं। स्थिति को देखकर निगमायुक्त अमन वैष्णव ने भोपाल के लिए रवानगी डाल दी थी जिससे मामला बिगडऩे से बच जाए।