आरक्षण की फांस में सब इंजीनियरों की ज्वाइनिंग

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भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। नवंबर में परीक्षा, फरवरी में परिणाम और मार्च में डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन हो जाने के बाद भी प्रदेश में 2408 सब इंजीनियरों की नियुक्ति अटकी हुई है। यह नियुक्ति क्यों अटकी है, इसका किसी के पास समुचित जवाब नहीं है। लेकिन कुछ अफसरों का कहना है कि आरक्षण के फेर में सब इंजीनियरों की ज्वाइनिंग अटकी हुई है।
गौरतलब है कि गत वर्ष जब सरकार ने सब इंजीनियरों की भर्ती निकाली तो बड़ी संख्या में युवाओं ने सरकारी के चक्कर में अपनी लगी लगाई नौकरी छोड़ दी। लेकिन करीब 2 माह बाद भी उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो पाई है। इससे ढाई हजार सब इंजीनियरों में रोष व्याप्त है। कर्मचारी चयन मंडल ने नवंबर में एग्जाम लिए। फरवरी में रिजल्ट दे दिया और मार्च में डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन हो गया, लेकिन 95 प्रतिशत से अधिक पदों पर अभी भी नियुक्ति नहीं दी गई।
पुरानी नौकरी गई नई मिली नहीं
युवाओं का कहना है कि वे संविदा और निजी क्षेत्रों में जो काम कर रहे थे, उनसे इस्तीफा दिलवा दिया। सब इंजीनियरों का कहना है कि संबंधित विभागों में जाओ तो कहते हैं कि फाइल सामान्य प्रशासन विभाग में है। कोई विभाग बताता है, सीएम के यहां से मिलने का समय नहीं दिया जा रहा है। जबकि जल संसाधन विभाग ने संविदा पर मप्र शासन में काम कर रहे 50 सब इंजीनियरों से इस्तीफा दिलवा दिया है। जल संसाधन विभाग के पूर्व ईएनसी एमएस डावर (19 मई को कार्यकाल पूरा) ने इसकी पुष्टि करते हुए जल्द नियुक्ति देने की बात कही। 350 निजी क्षेत्रों में काम करने वाले भी नौकरी छोड़ चुके हैं। जीएडी का इस मामले में कहना है कि  सब इंजीनियरों की नियुक्तियों का कोई मसला जीएडी में विचाराधीन नहीं है। जहां तक मेरिट बनने का सवाल है , तो यह कम से कम एक साल और अधिकतम 18 महीने तक मान्य रहती है। वहीं पीएचई के इंजीनियर इन चीफ संजय अधवान का कहना है कि ऊपर से निर्देशों का इंतजार है। 27 मार्च को हाईकोर्ट का निर्णय आया है कि ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से अधिक न हो। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के इंचार्ज सुप्रिटेंडेंट सतीश तिवारी ने कहा, जब तक प्रक्रिया पूरी होती, हाईकोर्ट के निर्देश आ गए थे।
अब तक केवल  87 की नियुक्ति
विडंबना यह है कि जिम्मेदार कहते हैं कि ओबीसी आरक्षण की उलझन है, जबकि चार नगर निगमों के साथ सात जगहों पर 87 सब इंजीनियरों को नियुक्तियां दे दी गई है। भोपाल समेत 11 नगर निगमों के साथ 22 जगहों पर 2408 सब इंजीनियरों की नियुक्ति अटकी हुई है। जानकारी के अनुसार मप्र अर्बन डेवलपमेंट कंपनी में 14 पद, वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन में 22 पद, नगर निगम देवास में 7, बुरहानपुर में 17, सतना में 11 और मुरैना में 9 पद, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में 7 पदों पर नियुक्ति दी गई है। वहीं एमपी हाउसिंग बोर्ड में 95, पीएचई में 366, जल निगम में 71, सिंचाई विभाग में 746, वन विभाग में 10, पीडब्लूडी में 212,  ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में 565, एमपी पाठ्य पुस्तक निगम में 4, नगरीय प्रशासन में 88, नगर निगम भोपाल में 83, सिंगरौली में 10, रीवा, सागर व छिंदवाड़ा में 4, कटनी में एक, उज्जैन में 12, जबलपुर में 60, ग्वालियर में 23, रतलाम में 13 और खंडवा नगर निगम में 3, मुख्य अभियंता विद्युत एवं विद्युत निरीक्षक भोपाल में 26 और एमपी राज्य सहकारी विपणन संघ में 18 पदों पर नियुक्ति होनी है।

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