अच्छे परफॉर्मेंस पर जिताऊ को ही मिलेगा टिकट

 भाजपा

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में भले ही अभी करीब पांच माह का वक्त है, लेकिन भाजपा ने अभी से टिकट का क्राइटेरिया लगभग तय कर दिया है। पार्टी ने वर्तमान विधायकों और टिकट के दावेदारों को बता दिया गया है कि इस बार केवल जिताऊ उम्मीदवारों को ही टिकट दिया जाएगा। इसके लिए पार्टी वकायदा दावेदार की परफॉर्मेंस चेक कराएगी। भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी लगातार सभी 230 विधानसभा सीटों की समीक्षा कर रही है। गौरतलब है की भाजपा ने इस बार 200 सीटों को जीतने का लक्ष्य बनाया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए पार्टी ने इस बार टिकट वितरण के लिए गाइडलाइन बनाई है। इस कड़ी में विधायकों की परफार्मेंस के सिलसिले में पार्टी ने फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। जल्द ही एजेंसी तय कर सर्वे भी कराया जाएगा।
मप्र में भी गुजरात की तरह रिकॉर्ड जीत के लिए सत्ता और संगठन के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व भी सक्रिय हो गया है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव का कहना है कि हम प्रदेश की सभी सीटों पर बराबर नजर रखे हुए हैं। इस बार परफार्मेंस रिपोर्ट ही विधानसभा चुनाव में विधायकों के पार्टी टिकट का आधार बनेगी। चुनाव में केवल जिताऊ प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा जाएगा। प्रदेश भाजपा में असंतोष की खबरों पर राव का मानना है कि छिटपुट असंतोष को संभालने में पार्टी सक्षम है। हमारे पास निष्ठावान कार्यकर्ता हैं, किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। उन्होंने बताया कि सभी 230 सीटों पर होमवर्क शुरू कर दिया है। रिमोट, अनुकंपा, अथवा लॉबिंग से नहीं, बल्कि समान मापदंड और पारदर्शिता से उम्मीदवारी तय होगी। सिंधिया समर्थकों के लिए अलग से कोई रूल नहीं है। प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव का दावा है कि डबल इंजन की सरकार के कामकाज और विकास कार्यों के आधार पर पुन: जनसमर्थन हासिल करेंगे। प्रदेश की सत्ता पर करीब दो दशक से काबिज रहने के कारण जनता की उम्मीदों के साथ चुनौतियां भी हैं, लेकिन हम इसे संभालने में सक्षम है। वह कहते हैं कि कर्नाटक चुनाव के नतीजों का यहां कोई असर नहीं, दोनों राज्यों की परिस्थितियां भिन्न हैं।
गौरतलब है कि मप्र में भाजपा के पास मजबूत संगठन के साथ ही संघ का जबर्दस्त नेटवर्क है। इससे भाजपा की पहुंच प्रदेश के हर घर में है। वहीं प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ऐतिहासिक विकास हुआ है, वहीं केंद्र सरकार की योजनाओं का सबसे अधिक क्रियान्वयन भी हुआ है। प्रदेश प्रभारी का मानना है की डबल इंजन की सरकार में मप्र में जो विकास हुआ है, उससे जनता काफी खुश है। इसलिए भाजपा जीत के लिए पूरी तरह आशान्वित है। वह कहते हैं कि प्रदेश में भाजपा विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। हमारी सरकार ने प्रदेश में खूब विकास किया है। हमारे काम जमीन पर दिख रहे हैं। कांग्रेस के पास उपलब्धियों के नाम पर कुछ भी नहीं। यही जनादेश हासिल करने का आधार बनेगा। पार्टी में नए और पुराने भाजपाइयों में खींचतान और असंतोष की खबरों पर वे कहते हैं कि अब कोई नया या पुराना नहीं। भाजपा में निष्ठावान कार्यकर्ता ज्यादा हैं। सभी के लिए काम है। हमारे पास उन्हें संभालने और सम्मान से एडजस्ट करने की क्षमता है।
प्रदेश में भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पांचवीं बार सरकार बनाने के लिए कमर कस चुकी है। सत्ता और संगठन को पूरा विश्वास है की इस बार गुजरात की तरह ही मप्र में भी भाजपा रिकॉर्ड जीत दर्ज करेगी। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव का कहना है कि मप्र में पार्टी के पास नेताओं और कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। सभी समन्वय के साथ मिलकर जनता के बीच सक्रिय रहते हैं। इसलिए भाजपा में टिकट दावेदारों की भी लंबी कतार होती है। इसलिए टिकट वितरण की चुनौती ज्यादा होती है। राव कहते हैं की भाजपा के पास चुनौतियों से निपटने की कैपेसिटी भी है। क्राइटेरिया तय है, समान मापदंड पर टिकट बंटेंगे। सिंधिया समर्थकों के लिए कोई अलग रूल नहीं है। वह कहते है कि भाजपा में जो भी है सबके लिए एक ही नियम है। सूत्रों के अनुसार, इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा संगठन में दर्जनों ऐसे चेहरे हैं ,जो टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता, संगठन मंत्री से लेकर जिला अध्यक्ष तक टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। चुनाव से पहले भाजपा कई जिला अध्यक्षों को बदल चुकी है।
कम अंतर से चुनाव जीतने वाली सीटों पर फोकस
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का फोकस 2018 की उन विधानसभा सीटों पर सबसे ज्यादा है जहां बहुत कम अंतर से हार मिली थी। जिसके इसके लिए लगातार कैंपेन कर रही है। इसी कड़ी में प्रभारियों की भी नियुक्ति की गई है। हाल ही में एक सर्वे रिपोर्ट भाजपा संगठन को सौंपी गई है। इस जमीनी फीडबैक को लेकर भाजपा ने मंथन शुरू कर दिया है। राव का कहना है कि हारी हुई सीटों और अन्य क्षेत्रों को लेकर योजनाबद्ध तरीके से हमारा कैडर मैनेजमेंट का काम कर रहा है, सभी जिलों में लोगों को तैनात कर रहे हैं। हारी हुई सीटों पर प्रत्याशी जल्दी घोषित होंगे। वह कहते हैं कि  कांग्रेस प्रभाव वाली सीटों पर कमल खिलाने की तैयारी है। जहां हम मजबूत हैं और जीत के करीब वाली सीटों की अलग-अलग प्लानिंग है। हम जीतने वाले नए लोगों को भी मौका देंगे।
32 सीटों पर अधिक जद्दोजहद
गौरतलब है कि उपचुनाव वाली 32 सीटों में से ज्यादातर सीटों पर टिकट को लेकर सबसे ज्यादा जद्दोजहद की स्थिति बनेगी। हालांकि पार्टी का टिकट वितरण का फॉर्मूला पूरी तरह से साफ है। पार्टी उन्हें ही टिकट देगी जो जिताऊ है। जिन सीटों पर भाजपा को बड़ी मार्जिन से जीत मिली है, पार्टी वहां किसी भी प्रकार का बदलाव करने का नहीं सोचेगी। ऐसे में ये तय माना जा सकता है कि, उपचुनाव वाली 32 सीटों में से 21 सीटों पर भाजपा उन्ही प्रत्याशियों को मैदान में दोबारा उतारेगी, जिन्हें जीत मिली थी। बाकी बची 11 सीटों पर पार्टी को थोड़ा मंथन करना होगा। हालांकि पार्टी को भांडेर विधानसभा में थोड़ी मेहनत करने की जरूरत जरूर पड़ेगी, क्योंकि यहां भाजपा प्रत्याशी रक्षा सनोरिया भले ही जीत गई हों, लेकिन जीत का अंतर महज 161 वोटों का ही था।  वहीं जिन सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को कम मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा था पार्टी वहां एक फिर उन्हें रिपीट करने पर विचार कर सकती है। इसमें रघुराज सिंह कंषाना, इमरती देवी और मनोज ऊंटवाल के नाम शामिल है। ये तीनों ही काम मार्जिन से चुनाव हारे थे।

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