- लोकायुक्त छापे के बाद हो रहे हैं कई तरह के खुलासे
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। जिसका जैसा रसूख पुलिस उसके साथ वैसा ही करती है, इसके कई उदाहरण भरे पड़े हैं। ऐसा ही खुलासा हुआ है पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन में पदस्थ रही हेमा मीणा के करोड़ों की संपत्ति मिलने के बाद। दरअसल जिस ठेकेदार ने हेमा के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत की थी, उससे शिकायत वापस करवाने के लिए हेमा ने अपने ही अफसर जर्नादन के साथ मिलकर हर वो हथकंडा अपनाया, जिससे शिकायत वापसी की संभावना बन सकती थी। यह बात अलग है कि इस मामले में हेमा व जर्नादन का साथ देने वाले सब इंस्पेक्टर और उसके साथी पुलिसकर्मियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह हाल तब हैं, जबकि इस मामले की शिकायत पुलिस के आला अफसरों से पीड़ित शंभूृनाथ सिंह ने स्वयं लिखित में की थी। इससे समझा जा सकता है कि कारपोरेशन के अफसरों से लेकर पुलिस के आला अफसरों तक का साथ हेमा व जर्नादन को कितना मिला हुआ था। वह तो श्ंाभूनाथ की हिम्मत ही थी की इस मामले में न तो डरे और न ही लालच में फंसे। आखिरकार तीन साल के लंबे इंतजार के बाद लोकायुक्त पुलिस द्वारा इस मामले में छापे की कार्रवाई की गई और हेमा का सच सामने आ ही गया। दरअसल शिकायत के बाद हर कभी पुलिस का एक सब इंस्पेक्टर दलबल के साथ आधी रात को शंभूनाथ सिंह के घर पहुंचकर उन्हें पूरी रात परेशान करता था, जिससे की परेशान होकर वह समझौता के लिए तैयार हो जाए। इसके बाद भी शंभूनाथ समझौते के लिए तैयार नहीं हुए तो फिर जर्नादन सिंह और हेमा मीणा ने उन्हें समझौता के लिए लालच भी दिया गया। शंभूनाथ सिंह ने इसकी लिखित शिकायत की थी। लोकायुक्त में शिकायत के बाद उसे कई बार कार्पोरेशन बुलाकर बयान दर्ज कराने के लिए कहा जाने लगा था, जबकि उसने शिकायत लोकायुक्त में की थी , तब भी उसे हाउसिंग कार्पोरेशन अधिकारी बुलाते थे।
कामों की गुणवत्ता की जांच करेगी कमेटी
पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन की बर्खास्त असिस्टेंट इंजीनियर हेमा मीणा की मुश्किलें अब लगातार बढ़ती दिख रही हैं। लोकायुक्त पुलिस के साथ अब पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा भी हेमा के प्रभार के तहत कराए गए कामों की जांच शुरू करवा दी गई है। इसके लिए पुलिस हाउसिंग कारपेारेशन के एमडी द्वारा एक जांच समिति का गठन कर दिया गया है। इसमें इंदौर के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर किशन विधानी और प्रोजेक्ट इंजीनियर ज्ञानेश्वर यादव को रखा गया है। यह समिति हेमा के सुपरविजन में अब तक कराए गए सभी 30 प्रोजेक्ट की गुणवत्ता की जांच कर उसकी रिपोर्ट एक पखवाड़े के अंदर देगी। गौरतलब है कि इस मामले में नाम सामने आने के बाद हेमा के बॉस रहे जनार्दन सिंह को भी निलंबित किया जा चुका है। दरअसल हेमा द्वारा बनाई गई संपत्ति के पीछे पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के इंजीनियर जनार्दन की कृपा बताई जा रही है। दोनों के करीबी रिश्तों की तो चर्चा पहले से है। जनार्दन की कृपा की तमाम कडिय़ां हेमा की प्रॉपर्टी से जुड़ रही हैं।
नहीं किया ठेकेदार का भुगतान
लोकायुक्त जांच के बीच खुलासा हुआ है कि हेमा व जर्नादन अपने रसूख की दम पर ठेकेदारों की रकम भी हजम कर जाते थे। ऐसा ही एक खुलासा हुआ है एक ठेकेदार से। उसके मुताबिक हेमा और जनार्दन ने उनसे तीन प्रॉपर्टी पर काम कराया। जनार्दन रोज फोन कॉल्स और वॉट्सऐप पर इनका अपडेट लेता था, लेकिन निर्माण कार्य का 53 लाख रुपए का काम होने के बाद भुगतान ही नहीं किया गया। इस संबंध में डीजीपी और सीएम तक जनार्दन और हेमा के नाम से शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। जनार्दन के रसूख का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि लोकायुक्त को जो शिकायतें मिली हैं, उनमें जनार्दन का भी नाम था, लेकिन अब तक वह जांच के दायरे में नहीं आया है। हालांकि, लोकायुक्त टीम का कहना है कि हम कनेक्शन खंगाल रहे हैं।