- परिवहन और स्वास्थ्य मंत्री की सिफारिश के बाद भी परिवहन विभाग ने छूट देने से खड़े कर दिए हाथ
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। हाईटेक और फास्ट सर्विस के बड़े-बड़े दावों के साथ एंबुलेंस 108 सेवा शुरू करने वाली छत्तीसगढ़ की जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज (जेएईएस) सुविधाएं देने में फेल हो गई कंपनी अब सरकार से टैक्स की मांग कर रही हैं। हालांकि परिवहन विभाग ने सारी सिफारिशों को दरकिनार करते हुए कंपनी को टैक्स से छूट देने से मना कर दिया है। गौरतलब है कि मरीजों, गर्भवती महिलाओं और घायलों को तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने हाईटेक एंबुलेंस सेवा शुरू की है वह टांय-टांय फिस हो गई है। नई कंपनी जय अंबे प्रालि. द्वारा 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की गई थी। कंपनी का दावा था कि अत्याधुनिक उपकरणों और तकनीक की सहायता से वह घायलों के पास जल्द से जल्द पहुंचेंगे। इसके लिए उन्होंने मोबाइल कंपनियों की मदद लेने का दावा भी किया था। लेकिन कंपनी की एंबुलेंस सेवा घायलों तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे में अपनी सुविधाएं सुधारने की बजाय कंपनी सरकार से लगभग 30 करोड़ रोड टैक्स में छूट मांग रही है।
प्रदेश में रोड टैक्स में छूट की मांग
दरअसल, छत्तीसगढ़ में रजिस्टर्ड वाहनों को मप्र में एंबुलेंस व जननी एक्सप्रेस बनाकर दौड़ा रही जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज सरकार से लगभग 30 करोड़ रोड टैक्स में छूट मांग रही है। परिवहन और स्वास्थ्य मंत्री की सिफारिश के बाद भी परिवहन विभाग ने सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों का हवाला देते हुए टैक्स में छूट देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। मामला वित्त विभाग के पास भी जाएगा। उसके बाद सिर्फ कैबिनेट का रास्ता बचेगा। जेएईएस की 606 एंबुलेंस और 686 जननी एक्सप्रेस मप्र में चल रही हैं। ये सभी वाहन छत्तीसगढ़ में रजिस्टर्ड हैं। इस कंपनी से स्वास्थ्य विभाग ने 2052 वाहनों के लिए। अनुबंध किया है। अभी 1292 गाड़िय़ां आॅन रोड हैं, शेष एक-दो महीने में आना है। कंपनी ने सरकार से प्रदेश में रोड टैक्स में छूट की मांग की है।
यह है प्रावधान
सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार के किसी भी राज्य में रजिस्टर्ड वाहन किसी दूसरे राज्य में सिर्फ 12 महीने के लिए उसी नंबर से चल सकती है। दूसरे राज्य में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। जेएईएस की गाड़िय़ां मप्र में 1 अप्रैल, 2023 तक छग के नंबर से चल सकती हैं, लेकिन 3 दिन पहले इन वाहनों को मप्र में रजिस्टर्ड कराना ही होगा। मप्र मोटरयान कराधान अधिनियम की धारा-11 में नगर निगम, नगरपालिका, नगर परिषद, छावनी बोर्ड की या मप्र सरकार की खरीदी गई गाड़िय़ों पर ही छूट देने का प्रावधान है। किसी प्राइवेट एजेंसी की गाड़िय़ों को छूट नहीं दी जा सकती। परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार विभाग को टैक्स माफ करने का अधिकार नहीं है। सिर्फ राज्य सरकार ही किन्हीं विशेष परिस्थिति में टैक्स माफ कर सकती है। सरकार ने कोरोनाकाल के दौरान बसें बंद रहने के कारण बस आॅपरेटरों का 103:50 करोड़ रुपए का टैक्स माफ किया था। लेकिन चूंकि एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस चलाने वाली एजेंसी सरकार से हर महीने लगभग 20 करोड़ रुपए का संचालन शुल्क लेगी, इसलिए उसे 30 करोड़ रुपए की टैक्स माफी नहीं दी जाएगी।
मंत्री भी छूट देने के पक्ष में
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत कंपनी को छूट देने के पक्ष में हैं। इन दोनों के पत्र मिलने पर परिवहन आयुक्त कार्यालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र की संचालक प्रियंका दास को पत्र लिखकर 6 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इधर, जेएईएस प्रोजेक्ट हेड संतोष मोरे ने कहा कि छग सरकार ने टैक्स में छूट दे रखी है। मप्र सरकार से भी छूट की मांग की है। वहां मिली छूट के कारण ही गाड़िय़ों का रजिस्ट्रेशन छग में कराया था। पत्र में टेंडर का ब्योरा, एंबुलेंस की जिलेवार संख्या और रजिस्ट्रेशन नंबर, एंबुलेंस की कीमत, संबंधित एजेंसी का ब्योरा, प्रतिदिन तय की जाने वाली औसत दूरी, फ्यूल का सोर्स सहित ड्राइवरों और अन्य स्टाफ के वेतन सहित जानकारी मांगी गई है। अपर परिवहन आयुक्त अरविंद सक्सेना का कहना है कि यह जानकारी मिलने पर टैक्स से छूट के बारे में परीक्षण कराया जाएगा और उसके बाद उचित प्रस्ताव विभाग को भेजा जाएगा।