नए साल में कई अफसरों पर पड़ सकता है आईटी का चाबुक

आईटी का चाबुक

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के ऐसे कई अफसर व कर्मचारी हैं, जो आयकर विभाग के राडार पर बने हुए  हैं। माना जा रहा है कि नए साल में इन पर आयकर विभाग का चाबुक छापे के रुप में  पड़ सकता है। इस खबर के बाद से इन अफसरों में हडक़ंप की स्थिति बनी हुई है। दरअसल बीते एक साल के दौरान आयकर विभाग द्वारा तमाम कारोबारियों और बिल्डर्स के यहां डाले गए छापों के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे अफसरों के नाम मिले हैं, जिन्हें रिश्वत के बतौर बड़ी-बड़ी राशि दिए जाने का उल्लेख है। इनमें से अधिकांश अफसरान पुलिस-प्रशासन, राजस्व और आबकारी महकमे के हैं। आयकर विभाग द्वारा दो- ढाई बीते एक साल में प्रदेश के कई शहरों में छापे डाले गए हैं। इन छापों के दौरान कई ठिकानों से आयकर विभाग के हाथ ऐसे दस्तावेज लगे हैं ,जिनमें बड़े पैमाने पर अफसरों के नाम और राशि का हिसाब -किताब लिखा मिला है। ऐसे अफसरों व कर्मचारियों की संख्या करीब एक सैकड़ा के आसपास बताई जा रही है। इनमें से कुछ के नाम तो इस तरह से लिखे हुए मिले हैं, जिनसे आसानी से उनकी पहचान न हो सके। अब आयकर विभाग इन सभी शासकीय अधिकारियों से उन्हें दी गई राशि के बारे में पूछताछ करने की तैयारी कर रहा है। आयकर विभाग के रडार पर प्रदेश के ऐसे सभी अधिकारी-कर्मचारी आ चुके हैं। आय-व्यय का ब्यौरा देखने के बाद रिपोर्ट राज्य शासन और संबंधित विभाग के अलावा प्रदेश की जांच एजेंसियों को भी भेजी जाएगी। ऐसे में अब कर्मचारी और अधिकारियों की परेशानी बढ़ गई है। इसकी वजह है कि अगर वे मिली रकम के हिसाब से कर का भुगतान करते हैं तो यह तय हो जाएगा कि उन्होंने बतौर रिश्वत ली थी और नहीं भरते हैं तो, विभाग की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा उनके खिलाफ राज्य की जांच एजेंसियां भी छानबीन का काम कर सकती हैं।
कर और जु़र्माना की होगी वसूली
उल्लेखित राशि के बारे में विभाग संबंधित कारोबारी अथवा करदाता से भी हर बिंदु पर विस्तृत पूछताछ कर चुका है। अधिकारियों में पुलिस और प्रशासन से जुड़े कई जिलों के मुखिया तक के नाम बताए जा रहे हैं। आयकर अधिनियम के तहत इन अधिकारी-कर्मचारियों से पूछताछ के बाद विभाग यदि जवाब से संतुष्ट नहीं होता है , तो वह अफसरों द्वाराली गई राशि को उनकी अघोषित आमदनी मान लेगा। विभाग इस राशि पर उनसे कर और जुर्माने की राशि वसूलेगा। टैक्स और जुर्माने की यह राशि उन्हें सौंपी गई कुल रकम की लगभग 82.5 प्रतिशत राशि होगी।

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