प्रदेश के आईटीआई संस्थानों में बेपटरी हुई पढ़ाई

  • विशेषज्ञों की भारी कमी के कारण बेरोजगारों की ट्रेनिंग हो रही प्रभावित
    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम

    प्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नई-नई ट्रेड शुरू करने पर जोर है। जबकि हालत यह है कि प्रदेश की 290 राजकीय आईटीआई में स्टाफ की भारी किल्लत है। शिक्षक, प्रिंसिपल सहित अन्य पद खाली चल रहे हैं। इसके कारण पठन-पाठन के साथ ही सामान्य व्यवस्थाएं भी कामचलाऊ तरीके से चलाई जा रही हैं। मप्र आईटीआई कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है कि पूरे प्रदेश की आईटीआई में अमले की सख्त जरूरत है। इसकी मांग वह लगातार उठा रहे हैं। काम का अधिक दबाव होने के कारण अधिकारी कर्मचारी निरंतर बीमार हो रहे हैं। गौरतलब है कि तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के अंतर्गत कौशल विकास संचालनालय के अधीन प्रदेश के 290 शासकीय आईटीआई के माध्यम से शिल्पकार प्रशिक्षण योजना संचालित हो रही है। इनमें सालाना एक से लेकर सवा लाख युवा बेरोजगार प्रवेश लेते हैं। जिन्हें उनकी पसंद की रोजगार ट्रेनिंग दी जा रही है। दिक्कत यह है कि जिला स्तर पर प्रशिक्षण संस्थानों में जितने कर्मचारियों और  अधिकारियों की नियुक्ति होना चाहिए। उसकी पूर्ति शासन स्तर पर नहीं हो पा रही है।
    बिना विशेषज्ञों के चल रहे सौ केंद्र  
    कौशल विकास संचालनालय के अधीन युवाओं को रोजगार देने वाले आईटीआई संस्थान इस समय मेन पावर की कमी से जूझ रहे हैं। राज्य में सौ केन्द्र बिना विशेषज्ञों के चल रहे हैं। निरंतर रिटायर्डमेंट से पद खाली हो रहे हैं, जबकि भर्तियों पर डिपार्टमेंट का कोई ध्यान नहीं है।  जिससे हर दिन तकनीकी परेशानियां सामने आ रही हैं। प्रदेश में भोपाल के अलावा इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, खंडवा, रतलाम, देवास सहित कई जिलों में इस प्रकार की स्थितियां बनी हुई हैं।  हालात यह हैं कि जो अमला है, वह भी रिटायर्डमेंट की नजदीकी में क्षमता से अधिक काम का भार ढो रहा है। जिसका सीधा असर काम पर पड़ रहा है।  आलम यह है कि प्रदेश में सौ आईटीआई ऐसी हैं, जहां अतिरिक्त संचालक संयुक्त संचालक सहित प्राचार्य वर्ग एक एवं प्राचार्य वर्ग 2 के पद रिक्त हैं। अकेले वर्तमान में 80 प्राचार्यों की जरूरत है। जबकि 50 से उप प्राचार्य इन रोजगार संस्थाओं को चाहिए। वर्तमान में कार्यरत संयुक्त संचालकों में से दो संयुक्त संचालक निकट भविष्य में सेवानिवृत होने जा रहे हैं। संयुक्त संचालक स्तर पर कार्यरत लगभग सभी अधिकारियों पर कार्य का अत्यधिक दबाव है। इन हालातों में मौजूदा प्रशिक्षण अधिकारियों को अपने काम के साथ साथ अन्य कार्यों का दायित्व निभाना पड़ रहा है।
    काम के भार से दबे अधिकारी
    विभागीय योजनाओं तथा विभाग की लगभग 15 पहल की गतिविधियों की समीक्षा वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से प्रतिदिन की जाती है। जिससे विभागीय अधिकारियों को उपस्थित रहना होता है। आमतौर पर समीक्षा पद सोपान की नियमित स्थापित परंपरा के अनुसार संयुक्त संचालक द्वारा की जाती है। इस प्रक्रिया में विभागीय कर्मचारी अधिकारी के साथ-साथ अतिरिक्त मानसिक दबाव अनुभव करते हैं। संचालनालय के अधीन चार प्रमुख योजनाओं से बेरोजगारों को रोजगार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारत सरकार में मध्य प्रदेश शासन की पीएम विश्वकर्मा योजना, मुख्यमंत्री सीखो कमाओ एवं अन्य विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिन विशेषज्ञों के माध्यम से इन बेरोजगारों को रोजगार की क्लास पढ़ाई जाती है। उनकी पूर्ति नहीं होने से ट्रेनिंग वर्क प्रभावित हो रहा है। नतीजा यह है कि एक प्रशिक्षण अधिकारी को दो से लेकर तीन जगहों का काम देखना पड़ रहा है।

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