हर छोटे बड़े आयोजनों में सीसीटीवी से नजर रखना होगा जरुरी

  • प्रदेश में लोक सुरक्षा कानून लागू करने की तैयारी
सरकार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश में सरकार लोक सुरक्षा कानून लागू करने की तैयारी में है। इसके तहत हर छोटे- बड़े आयोजनों के दौरान सीसीटीवी से नजर रखना जरूरी होगा और उसके दो माह तक फुटेज सहेजकर भी रखने होंगे। ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही के तहत जुर्माना लगाया जाएगा।  इस कानून को लागू करने के लिए गृह विभाग द्वारा ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। ड्राफ्ट में किए गए प्रावधानों में उल्लेख किया गया है कि शादी ब्याह की वीडियो रिकॉर्डिंग जरूरी होगी। इसी तरह से हर उस आयोजन में सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य होगा जहां पर एक सैकड़ा या उससे अधिक लोग शामिल होंगे। इसी तरह से कॉलेज, स्कूल, मॉल, रेस्टोरेंट, अस्पतालों के साथ राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम, रैलियां और जुलूसों में सीसीटीवी अनिवार्य होंगे। आयोजन के बाद आयोजकों को उनकी रिकार्डिंग भी दो माह तक सुरक्षित रखना अनिवार्य होगा। जरुरत पड़ने पर यह फुटेज पुलिस को उपलब्ध कराने होंगे। अहम बात यह है कि सीसीटीवी पर आने वाले खर्च को आयोजकों या फिर संबंधित प्रतिष्ठान के मालिक को उठाना होगा। इस नए कानून को प्रदेशभर में लागू करने से पहले इसे बतौर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इंदौर में लागू किया गया है। जिसे काफी सफल माना जा रहा हैद्य। दरअसल , प्रदेश की आबादी तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से सर्विलांस की जरूरत महसूस की जा रही है। दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद जस्टिस उषा मेहरा आयोग ने देश में महिला सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कई उपाय सुझाए थे। इनमें से एक सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना भी था। आयोग ने यह भी सुझाव दिया था कि सार्वजनिक स्थानों और सार्वजनिक परिवहन के अलावा पीसीआर वैन और पुलिस स्टेशनों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए। इस कानून के लिए प्रदेश में बीते चार सालों से तैयारी की जा रही है। 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर गृह विभाग ने इसकी कवायद शुरू कर दी थी। गृह विभाग ने ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया था, मगर ये लागू नहीं हो सका। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में संभागीय समीक्षा के दौरान इस काम में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।
चार स्तरीय समितियां होंगी गठित
इस कानून के तहत चार स्तर पर कमेटियों का गठन किया जाएगा। इनमें निगरानी और नियंत्रण समिति सबसे प्रमुख होगी। इसके बाद पर्यवेक्षण समिति फिर क्रियान्वयन समिति और चौथी समिति क्षेत्रीय होगी। चारों समितियों के पास अलग-अलग अधिकार होंगे। क्षेत्रीय समिति में क्षेत्र के दुकानदार, व्यवसायिक प्रतिष्ठान के संचालक मिलकर एक कमेटी बनाएंगे, जिनका एक प्रतिनिधि होगा। क्षेत्रीय समिति के प्रतिनिधि का सीधा संपर्क क्रियान्वयन समिति से रहेगा। क्रियान्वयन समिति में तीन सदस्य होंगे। ये कमेटी पर्यवेक्षण समिति के अधीन काम करेगी और उसे रिपोर्ट करेगी। इसी तरह से क्रियान्वयन समिति हर थाना स्तर पर गठित की जाएगी। इसका काम अपने अधिकार क्षेत्र के प्रतिष्ठान-संस्थानों का डेटा बेस तैयार करना होगा। इसे किसी भी प्रतिष्ठान की जांच का अधिकार रहेगा। पर्यवेक्षण समिति में इस कमेटी में चार सदस्य होंगे। ये समिति मॉनिटरिंग एंड कंट्रोल कमेटी के अधीन काम करेगी और उसे रिपोर्ट करेगी। सुपरवाइजिंग कमेटी के पास अपने अधिकार क्षेत्र के 10 फीसदी प्रतिष्ठानों के औचक निरीक्षण और जांच के साथ जुर्माना लगाने का भी अधिकार होगा। इसी तरह से नियंत्रण समिति को लापरवाही बरतने वाले किसी भी प्रतिष्ठान या संस्थान को सील करने या कार्रवाई इसी कमेटी की रिपोर्ट के बाद हो सकेगी।

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