सिंचाई विभाग: अफसरों का संकट कैसे हो समय पर काम

सिंचाई विभाग
  • केन व बेतवा के बाद सिंध चंबल लिंक परियोजना पर शुरु होना है काम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश की पहली और मप्र उप्र की महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना केन-बेतवा लिंक और इसी बीच काली सिंध और चंबल लिंक परियोजना पर भी काम शुरु होना है। इसका जिम्मा सिंचाई विभाग के पास है, लेकिन इस विभाग में इंजिनियर ही नहीं हैं, जिससे सवाल बना हुआ है कि आखिर ऐसे में दोनों परियोजनाओं का काम समय पर कैसे पूरा होगा। वैसे भी केन बेतवा परियोजना बेहद बिलंव से चल रही है।   केन बेतवा परियोजनाओं का मुख्यालय छतरपुर में बनाया गया है। इस परियोजना से मप्र और उप्र के 13 जिलों की करीब 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई और पीने के लिए पानी उपलब्ध कराया जाना है। केंद्र सरकार ने इसके लिए करीब 1200 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए हैं, लेकिन दोधन डैम निर्माण के लिए 4500 करोड़ का टेंडर अभी तक मंजूर नहीं हुआ है। केन-बेतवा लिंक परियोजना में एमपी और यूपी के 13 जिले शामिल हैं। इनमें मप्र के 9 जिले पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन हैं। इस परियोजना से करीब 10 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी और 62 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिल सकेगा। इसके तहत 103 मेगावाट हाइड्रो पावर और 27 मेगावाट की क्षमता वाला सोलर प्लांट भी स्थापित किया जाना है। बुंदेलखंड के के लिए वरदान साबित होने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना में 6 हजार 17 हेक्टेयर भूमि आ रही है। इसके लिए 9 राजस्व और 13 वन ग्रामों का विस्थापन करना है। डूब क्षेत्र में आने वाले पन्ना जिले के 22 गांवों को विशेष पैकेज देने के लिए शिवराज कैबिनेट ने 9 सितंबर 2023 को मंजूरी दी थी। भारत सरकार ने केन बेतवा नदियों को लिंक करने के लिए 44 हजार 605 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया है। इस योजना में 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार खर्च करेगी। शेष दस फीसदी एमपी और यूपी सरकार खर्च करेगी।
डूब प्रभावितों को मिला विशेष पैकेज
9 सितंबर 2023 को हुई कैबिनेट बैठक में केन- बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत डूब प्रभावित 22 ग्रामों की भूमि को सहमति से क्रय करने और प्रभावित परिवारों का पुनर्वास करने के उद्देश्य से विशेष पुनर्वास पैकेज देने का निर्णय लिया गया है। डूब क्षेत्र में क्रय और अर्जित की जाने वाले भूमि के लिए प्रति हेक्टेयर कलेक्टर गाइड लाइन दर से निर्धारित मूल्य और राशि का 100 प्रतिशत सोलेशियम राशि अथवा प्रति हेक्टेयर 12 लाख 50 हजार रुपए की दर से एकमुश्त राशि, जो भी अधिक हो, देय होगी।
प्राधिकरण ने मांगा स्टाफ
केन बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण का मुख्यालय छतरपुर में बनाया गया है। इसके लिए जल संसाधन विभाग के ईएनसी शिरीष मिश्रा के हस्ताक्षर से 2 दिसंबर 2024 को जारी आदेश में परियोजना में पदस्थ करने के लिए इच्छुक शासकीय सेवक से अपनी सहमति के साथ आवेदन मांगे हैं। इसके लिए विभाग ने सभी चीफ इंजीनियर, एनवीडीए, आयुक्त भू-अर्जन बाणसागर, आयुक्त कमांड क्षेत्र से भी अधिकारियों की डिमांड की है। प्राधिकरण में अतिरिक्त परियोजना संचालक अधीक्षण यंत्री का एक, कार्यपालन यंत्री 5, सहायक यंत्री 15, अधीक्षक का एक, उपयंत्री के 44 पद, सहायक ग्रेड-1, 6 पद, सहायक ग्रेड-2, 25 पद, सहायक ग्रेड-3, 36 पद, अमीन 16 सहित कुल 196 अधिकारियों, कर्मचारियों की आवश्यकता है, जो प्रतिनियुक्ति पर परियोजना में पदस्थ किए जाएंगे।
संविदा से चलाया जा रहा है काम
जल संसाधन विभाग में ईएनसी के 3, चीफ इंजीनियर के 13, अधीक्षण यंत्री के 55, कार्यपालन यंत्री के 105 सहित 240 एसडीओ (सहायक यंत्री) आदि के पद मंजूर हैं, लेकिन सभी पदों पर प्रभार और संविदा पर इंजीनियरों को रखकर काम चलाया जा रहा है। यहां तक ईएनसी भी रिटायर अधीक्षण यंत्री हैं और वह संविदा पर प्रभारी ईएनसी बने हुए हैं। विभाग में केवल 5 रेगुलर अधीक्षण यंत्री कार्यरत हैं, इनमें से दो एनवीडीए में और 3 जल संसाधन विभाग में काम कर रहे हैं।
हो रही काम में देरी
इस प्रोजेक्ट के लिए दोधन डैम का निर्माण मप्र में किया जाना है, जिससे करीब 2.71 लाख किमी लिंक नहर का निर्माण किया जा सके। दोघन डैम का निर्माण कराने मप्र सरकार ने जलशक्ति मंत्रालय भारत सरकार को जनवरी 2024 में 4,500 करोड़ का टेंडर मंजूरी के लिए भेजा है, लेकिन अभी तक इसे मंजूरी नहीं मिल सकी है। वहीं, करीब 42 जलाशयों का निर्माण भी कराया जाना है। केंद्र सरकार ने डूब प्रभावित गांवों का विस्थापन और भू- अर्जन के लिए 1200 करोड़ की राशि मप्र सरकार को दी है, लेकिन अभी तक 22 गांवों का विस्थापन भी नहीं हो सका है और निजी भूमि के अधिग्रहण का मामला भी अटका हुआ है।

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