पद नहीं बढ़ने का खामियाजा उठा रहे आईपीएस

एडीजी पद से रिटायर हो जाएंगे 5 वरिष्ठ आईपीएस

आईपीएस

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र पुलिस विभाग में प्रशासनिक ढांचे के अनुसार पद न बढऩे के कारण स्थिति इस कदर बिगड़ी  गई है कि, इसका खामियाजा वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को उठाना पड़ रहा है। आलम यह है कि आईपीएस अफसरों की कमी के कारण वरिष्ठ अफसरों का प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में 5 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एडीजी के पद से ही रिटायर हो जाएंगे। यानी इका डीजी पद पर प्रमोशन नहीं हो पाएगा।  विभागीय जानकारी के मुताबिक इस साल 5 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रिटायर होने वाले हैं। इनमें सुशोभन बैनर्जी, बीबी शर्मा व अनुराधा शंकर सिंह, जी जनार्दन और श्रीनिवास राव शामिल हैं। वर्तमान में ये सभी एडीजी के पद पर हैं। विडंबना यह है की तय संख्या के मुताबिक प्रदेश में आईपीएस अफसर नहीं होने के कारण ये 5 अफसर डीजी  पद के वेतनमान तक नहीं पहुंच पाएंगे। दरअसल, पद न बढऩे व सही प्रशासनिक ढांचा न होने के कारण प्रदेश में पुलिस विभाग के सीधी भर्ती के कई अधिकारी बिना डीजी वेतनमान के रिटायर हो जाएंगे। इनमें कई चर्चित व दबंग अधिकारी भी हैं। जानकारी के मुताबिक, 1989 बैच के सुशोभन बैनर्जी,  1990 बैच के एडीजी बीबी शर्मा व अनुराधा शंकर सिंह,  1992 बैच के जी जनार्दन और श्रीनिवास राव एडीजी वेतनमान पर रिटायर हो जाएंगे। श्रीनिवास राव 31 अगस्त 2023 और जी जनार्दन 31 दिसंबर 2023 रिटाटर होंगे। आगामी 31 जुलाई को स्पेशल डीजी के दो पद रिक्त होंगे। पवन कुमार जैन डीजी होमगार्ड तथा मुकेश जैन स्पेशल डीजी ट्रेनिंग, दोनों के रिटायर होने पर 1989 बैच की सुषमा सिंह एडीजी सीआईडी विजिलेंस तथा डॉ. एसडब्ल्यू नकवी एडीजी नारकोटिक्स स्पेशल डीजी वेतनमान में पदोन्नत होंगे। नकवी एक अगस्त को पदोन्नत होंगे और 31 अगस्त को रिटायर हो जाएंगे। वे एक महीने के लिए स्पेशल डीजी बनेंगे। नकवी के रिटायरमेंट पर 1990 बैच के एडीजी एसटीएफ विपिन माहेश्वरी स्पेशल डीजी बनेंगे। जो 30 नवंबर को रिटायर होंगे। माहेश्वरी के रिटायरमेंट पर उन्हीं के बैच के एडीजी शिकायत व ओएसडी गृह मंत्री अशोक अवस्थी स्पेशल डीजी बनेंगे। अवस्थी मई 2024 में सेवानिवृत्त होंगे। इसके पहले सुशोभन बैनर्जी, अनुराधा शंकर सिंह और बीबी शर्मा रिटायर हो जाएंगे।
आईएफएस की भी यही स्थिति
प्रदेश में केवल आईपीएस ही नहीं आईएफएस की भी ऐसी ही स्थिति है। चिंताजनक पहलू यह है कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन संरक्षक के पद रिक्त पड़े हैं। खासतौर से कैडर के मुख्य वन संरक्षक के पद पर सर्किलों में वन संरक्षक स्तर के अधिकारियों की पोस्टिंग करना पड़ रही है। यही नहीं, सेवा आर्हता पूरा नहीं करने की वजह से एपीसीसीएफ और सीसीएफके पदों पर प्रमोशन तक नहीं हो पा रहे हैं। 2002 में पीसीसीएफ का एक प्लस दो और एपीसीसीएफ के 4 पद कैडर में और इतने ही पद एक्स कैडर में थे। 2008 में हुई कैडर रिव्यू में एपीसीसीएफ के 10 पद कैडर में और एक्स कैडर में भी 10 पद स्वीकृत हुए। 2015 में हुए कैडर रिव्यू में एपीसीसीएफ के 21 पद स्वीकृत किए गए और उसके विरुद्ध 42 पद काम करने लगे। इसके बाद एपीसीसीएफ के पदों की संख्या बढक़र 58 कर दी गई है। वर्तमान की स्थिति यह है कि एपीसीसीएफ के 10 पद रिक्त हैं। इसी प्रकार कैडर में सीसीएफ के 59 पद हैं, जिसमें से केवल 13 सीसीएफ ही कार्यरत हैं। यानी नौबत यह बन गई है कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन संरक्षक के पद पर प्रमोशन पाने के लिए कोई भी आईएफएस अफसर आर्हता पूरा नहीं कर पा रहा है। वन विभाग के जिम्मेदारों द्वारा प्रशासनिक ढांचे को सुधारने की दिशा में कोई पहल भी नहीं की जा रही है। कैडर रिव्यू के प्रस्ताव को केंद्रीय कार्मिक विभाग ने संशोधन के लिए एमपी को लौटा दिया है।
एपीसीसीएफ और सीसीएफ के पद किए कम
आईएफएस कैडर में खामियां हैं, इसलिए विभाग ने केंद्रीय कार्मिक विभाग में लंबित कैडर प्रस्ताव में एपीसीसीएफ और सीसीएफ के पद कम किए हैं। दरअसल, 1978, 1979 एवं 1980 बैच में 90 आईएफएस रहे इन अधिकारियों को सेवानिवृत्ति से पहले पदोन्नति दिए जाने के कारण ऐसे हालात बने हैं। उन अधिकारियों को पदोन्नत करने के लिए केंद्र सरकार से अस्थाई मंजूरी ली गई थी। ऐसे 13 पद थे, जो समय पूरा होने के बाद भी समाप्त नहीं किए गए। अब ऐसे हालात बन गए हैं कि 24 साल की सेवा पूरी करने वाले सीसीएफ नहीं मिले रहें हैं, जो कि एपीसीसीएफ बन सकें। प्रस्ताव से सरकार सहमत हुई, तो एपीसीसीएफ के पद कम हो जाएंगे और सीसीएफ, सीएफ, डीएफओ के पद बढ़ जाएंगे। यानी फील्ड में ज्यादा अफसर पदस्थ होंगे। हालांकि इससे उन 18 वनमंडल के सीएफ की कुर्सी छिन जाएगी, जिनमें डीएफओ को हटाकर उन्हें पदस्थ किया गया है। इन वनमंडलों में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सीहोर, छतरपुर, दमोह, देवास, गुना, खंडवा, नरसिंहपुर, सतना, शिवपुरी, विदिशा, होशंगाबाद, डिंडोरी, उमरिया और कटनी शामिल हैं। 

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