- देशी ही नहीं विदेशी कंपनियों की तेजी से बढ़ रही रुचि, शिव सरकार की नीतियों से हो रहे प्रभावित
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। बीमारू राज्य से मप्र को विकासशील राज्य बनाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब प्रदेश को देश का सबसे बड़ा आर्थिक राज्य बनाने की तैयारी में तेजी से जुटे हुए हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वे मप्र को औद्योगिक हब में बदलना चाहते हैं। यही वजह है कि उनके द्वारा लगातार निवेशकों को लुभाने के लिए समय-समय पर मप्र की निवेश नीति में बदलाव किया गया है। इसका असर अब यह है कि निवेशक अब मप्र में निवेश करने के लिए उत्साहित नजर आने लगे हैं। इनमें देश के ही हनीं बल्कि विदेशी निवेशक भी बड़ी मात्रा में शामिल हैं।
आलम यह है कि प्रदेश में देश ही नहीं, बल्कि विदेशी कंपनियां भी निवेश के लिए इच्छुक बताई जा रही हैं। दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, इजराइल, मुंबई, कोलकाता सहित मप्र की कंपनियां भी निवेश करने में रुचि ले रही हैं। बीते सवा साल में 786 उद्योगपतियों को सरकार ने 1,470 आवंटित की है। उक्त भूमि पर 17,600 करोड़ का निवेश होगा और 37,800 लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। मप्र में उद्योगपतियों द्वारा निवेश में लगातार रुचि दिखाई जा रही है। जिन उद्योगपतियों को जमीन आवंटित की गई है उनके द्वारा जल्द उद्योग स्थापित किए जाएंगे। वहीं इकाई स्थापित एकड़ जमीन करने के लिए नियम और मापदंडों पर खरे नहीं उतरने पर उद्योगपतियों के आवेदन निरस्त भी किए गए हैं। बीते सवा साल में दिल्ली की इंदोरमा, इजराइल की ईवीपीओ, बैंगलुरु की शाही टेक्सटाइल, गोकुलदास एक्सपोर्ट लिमिटेड, बेल्सपन, आकांक्षा इंडस्ट्री, मेटल प्राइवेट लिमिटेड, शार्क सॉफ्टवेयर जैसी बड़ी कंपनियों ने भी निवेश में रुचि ली है।
150 एकड़ पर मक्सी में बनेगा नया इंडस्ट्रीयल बेल्ट: शाजापुर जिले का मक्सी भी औद्योगिक क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका है। यहां के पुराने औद्योगिक क्षेत्र को तो नए सिरे से विकसित करने की योजना में शामिल किया ही है, वहीं नए इंडस्ट्रीयल बेल्ट के लिए भी 150 एकड़ अविकसित जमीन चिन्हित की गई है। इस जमीन के लिए प्रशासन को प्रस्ताव भेज दिया है, ताकि सरकारी जमीन का हस्तांतरण विभाग को किया जा सके। इस 150 एकड़ जमीन को आधुनिक इंडस्ट्रीयल बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे नए उद्योगों को भूखंड और जमीन उपलब्ध करवाई जा सकेगी।
अर्थव्यवस्था का संबल बने छोटे उद्योग
कोरोना के कारण पिछले दो साल से पूरे देश में आर्थिक मंदी का माहौल है। मप्र भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन इस कठिन दौर में भी प्रदेश के छोटे और मझोले उद्योग पूरी ताकत के साथ खड़े रहे। इन उद्योगों ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को संबल तो दिया है, साथ ही लाखों लोगों को बेरोजगार नहीं होने दिया। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों के दौरान सरकार ने एमएसएमई सेक्टर पर सबसे अधिक जोर दिया है। तीन सालों की बात करें तो राज्य में डेढ़ लाख से अधिक एमएसएमई स्थापित हुए और इनमें लाखों लोगों को रोजगार मिला। कोरोना की पहली लहर के दौरान बड़े उद्योगों की स्थिति जब खराब हुई थी, एमएसएमई सेक्टर ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था का बूस्टर दिया।
कोरोना काल में एमएसएमई में होते रहे उत्पादन
छोटे और मझोले उद्योगों की बात करें तो कोरोना काल में प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों और आसपास इनकी स्थापना अधिक हुई। एसो. ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज मंडीदीप अध्यक्ष राजीव अग्रवाल कहते हैं कि कोरोना की पहली लहर के दौरान उत्पादन कुछ प्रभावित हुआ, लेकिन दूसरी लहर में इसका असर नहीं दिखा। एमएसएमई पूरी ताकत के साथ खड़े रहे। यहां रोजगार सुरक्षित रहा। पीएचडीचेम्बर ऑफ कॉमर्स के एडवाइजर आरजी द्विवेदी कहते हैं कि कोरोना काल के कठिन दौर में एमएसएमई प्रभावित तो हुए, लेकिन यहां उत्पादन बंद नहीं हुआ। ये 40-60 प्रतिशत क्षमता से उत्पादन कर रहे थे। इससे खर्चे निकलते रहे। इन इकाइयों में काम कर रहे लोगों के रोजगार भी सुरक्षित रहे।
मध्यप्रदेश में होगा 17,600 करोड़ का निवेश
मप्र में नई कंपनियां निवेश के लिए लगातार रुचि ले रही हैं। प्रदेश में श्रीराम पिस्टन 500 करोड़, भारत फोर्ज 600 करोड़, सल्सन टायर 1500 करोड़, सिप्ला फार्मा 700 करोड़, मराल, टेक्सटाइल 100 करोड़, पीएआर फार्मा 400 करोड़, मैक्लोंडस फार्मा 595 करोड़, जमुना ऑटो 400 करोड़ और सिड राम पैकेजिंग 100 करोड़ रूपए का निवेश करने जा रही हैं। प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश पोत्साहन संजय कुमार शुक्ला का कहना है कि बीते सवा साल में सरकार ने 786 कंपनियों को जमीन आवंटित की है। इससे मप्र में 17, 600 करोड़ का निवेश आएगा और 37 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।
20/02/2022
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