- बगैर संधारण के टोल टैक्स की वसूली जारी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल से जबलपुर के बीच बनाए गए नेशनल हाइवे-12 के घटिया निर्माण की वजह से आम आदमी की परेशानियों को देखते हुए अब एक बार फिर से सरकार ने जांच कर पूरी रिपोर्ट तलब की है। अफसरों व ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते सडक़ का संधारण किए वगैर ही सडक़ पर टोल नाके लगाकर वाहन चालकों से राशि की वसूली की जा रही है।
इस मामले में पहले तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री द्वारा जांच के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अफसरों ने उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया था, लेकिन इस मामले में विभागीय मंत्री राकेश सिंह ने जांच कर एक माह के अंदर रिपोर्ट तलब की है। इससे विभाग में हडक़ंप मच गया है। दरअसल, इस 315 किलोमीटर लंबी इस सडक़ के के फोरलेन बनाने पर 2600 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके बाद भी इस सडक़ के अधिकांश हिस्से जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। हालत यह है कि हाइवे की अधिकांश सडक़ पर गड्ढे ही गड्ढे हो गए हैं। इसके बाद भी अफसरों द्वारा ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नही की गई है। इस मामले में अब मंत्री राकेश सिंह द्वारा गहरी नाराजगी जाताई गई है। इसके बाद विभाग के अफसर आला अफसर सक्रिय हुए हैं। विभाग के एसीएस ने एमपीआरडीसी के एमडी को पत्र लिखकर एक माह के भीतर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। दरअसल, नेशनल हाइवे-12 भोपाल- जबलपुर मार्ग टू लेन से फोरलेन में परिवर्तित किया गया है, दो साल पहले यह हाइवे बनकर तैयार हुआ है। पहले इस मार्ग का निर्माण एनएचएआई द्वारा किया जाना था, लेकिन बड़ा प्रोजेक्ट होने की वजह से एनएचएआई ने इससे हाथ खड़े कर दिए थे। एनएचएआई ने केवल एक पैकेज में काम कराया, जबकि 4 पैकेज का काम बंसल सहित अन्य तीन कंपनियों ने किया। गौहरगंज से लेकर बरेली तक का पैकेज बंसल ग्रुप द्वारा निर्मित कराया गया। पांच पैकेज के लिए 2600 करोड से अधिक का ठेका इन कंपनियों को दिया गया था। प्रत्येक पैकेज में 60 से 70 किमी मार्ग का निर्माण 600 से 800 करोड़ में 5 साल की परफार्मेस गारंटी के साथ किया गया है।
जगह-जगह हो चुके हैं गड्ढे
जबलपुर से हिरन नदी के पुल तक फोरलेन सडक़ का निर्माण बागड़ कंपनी ने किया है। भेड़ाघाट के आगे सडक़ पर दरारें साफ नजर आती हैं। ठेकेदार द्वारा इन्हें भरने का काम किया गया, लेकिन वाहनों की रफ्तार के आगे यह सुधार भी काम नहीं आ रहा है। कई जगह क्रांकीट ने डामर के तल को छोड़ दिया है, जिससे उसमें दोबारा दरारें बन गई है। खैरी, बिलखिरवा और सहजपुर, शहपुरा, नटवारा, बेलखेड़ा तक सडक़ों पर दरारें ही दरारें बनी हुई है। स्थानीय लोगों की माने तो कई बार इन दरारों की वजह से वाहन का संतुलन बिगड़ जाता है। गौहरगंज से बरेली तक का निर्माण बंसल ग्रुप द्वारा कराया गया है। इस हिस्से में भी सडक़ पर बड़ी मात्रा में जगह-जगह दरारें आ चुकी है। इसी तरह से सडक़ पर बनाए गए नए पुलों का डामर भी पूरी तरह से उखड़ चुका है। जिससे पुल और पुलियों पर जगह-जगह गड्ढे नजर आने लगे है। यहीं स्थिति बरेली से हिरण नदी और हिरण नदी से सिंगूर नदी तक फोरलेन मार्ग की है। मंत्री की नाराजगी के बाद अब एक टीम बनाकर पूरे मार्ग की जांच कराई जा रही है।
सदन में मामला उठने के बाद भी नहीं की कार्रवाई
विभाग के अफसर किस तरह से ठेकेदारों पर मेहरबान रहत हैं। इसका उदाहरण यह हाइवे हैं। करीब तीन साल पहले तत्कालीन उदयपुरा विधायक देवेंद्र पटेल ने इस हाइवे-12 में कराए गाए निर्माण में घटिया सडक़ बनाने का मामला विधानसभा में उठाया था। उस समय तत्कालीन लोकनिर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने इस मार्ग के निर्माण में की गई लापरवाही और गड़बड़ी की जांच कराने का भी सदन में आश्वासन दिया था। इसके बाद भी अफसरों ने ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
मंत्री का हो रहा हकीकत से सामना: विभागीय मंत्री राकेश सिंह जबलपुर के निवासी है और वे भोपाल से जबलपुर के बीच अधिकांशतया इसी मार्ग से आते जाते हैं। इसकी वजह से उन्होंने स्वयं नेशनल हाइवे-12 पर हुए घटिया निर्माण की स्थिति देखी है। यही वजह है के इस खराब निर्माण को देखकर वे बेहद नाराज हैं।